प्रजापति ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की पूर्व मुख्य प्रशासिका डॉक्टर दादी प्रकाशमणि की 17वीं पुण्यतिथि रविवार को विश्व बंधुत्व दिवस के रूप में मनाई। इंदौर जोन के मुख्यालय ज्ञान शिखर ओमशांति भवन में स्थानीय सभी सेवा केंद्रों के भाई-बहनों का सामूहिक कार्यक्रम किया गया। इंदौर जोन की क्षेत्रीय निर्देशिका ब्रह्माकुमारी हेमलता दीदी ने दादी के साथ बिताए लंबे समय का अनुभव सुनाया। उन्होंने बताया कि दादी प्रकाशमणि बचपन से ही आध्यात्मिक थी। अपनी विशेषताओं के कारण वह पूरे विश्व को प्रकाश दिखाने वाली मणि दादी प्रकाशमणि कहलाई। उन्होंने न सिर्फ भारत में अपितु पूरे विश्व के 140 देशों में परमात्म ज्ञान का परचम फहराया। संस्थान के फाउंडर पिताश्री ब्रह्मा बाबा के 18 जनवरी 1969 में अव्यक्त होने के बाद परमात्मा द्वारा रचे हुए इस विशाल काम को दादी ने अपने परमात्म प्यार की शक्ति, पवित्रता और सच्चाई के बल से सबको अपनापन देकर सबके अंदर विश्वास पैदा कर सभी को एकता के सूत्र में बांधकर ब्रह्माकुमारी संस्था को बुलंदियों तक पहुंचाया। दादी निश्चल, निष्काम और आत्मिक प्रेम की प्रतिमूर्ति थी। दादी की नेतृत्व क्षमता इतनी महान थी कि उन्होंने अपने सामान लाखों की अंदाज में लीडर तैयार कर दिए। ऐसी सशक्त नारी शक्ति की मिसाल थी। इस मौके पर कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ.मानसिंह परमार ने कहा – वर्तमान समय जबकि चारों ओर कई देशों में अशांति, हाहाकार मचा हैं, ऐसे समय में दादी प्रकाशमणि के स्मृति दिवस को विश्व बंधुत्व दिवस के रूप में मनाना अति महत्वपूर्ण और सराहनीय है। दादी ने जो पूरे विश्व की आत्माओं को आपसी प्रेम, सद्भावना, एक परमात्मा की संतान आत्मा भाई-भाई का पाठ पढ़ाया यह भारत के लिए गर्व की बात है। इसी से भारत पुनः विश्वगुरु के मार्ग पर अग्रसर होगा। इस अवसर पर कस्टम विभाग के एडिशनल कमिश्नर डॉ.दिनेश बिसेन न अपने जीवन में घटी घटना सुनाते हुए कहा कि – जहां ईश्वर की सच्ची स्मृति होती है। वहां हमारे जीवन में कई विघ्न और समस्याएं समाप्त हो जाती है। ईश्वर की स्मृति से मन शांत और जीवन में संतुलन बना रहता है और हमारे अंदर निर्णय लेने की शक्ति आती है। आस्ट्रेलिया से आए सिविल इंजीनियर प्रोजेक्ट मैनेजर यशवंत मिश्रा ने दादी के साथ का अनुभव सुनाते हुए कहा कि – 1987 में पहली मुलाकात में ही उनकी प्यार भरी दृष्टि और चेहरे की मधुर मुस्कान से उनकी महानता और निर्माणता का अनुभव हुआ। आस्ट्रेलिया प्रवास के दौरान दादी ने हर कर्म निमित्त भाव से करने का मूल मंत्र सिखाया। अंत में हेमलता दीदी और इंदौर की सभी वरिष्ठ ब्रह्माकुमारी बहनों के साथ सैकड़ों भाई-बहनों ने दादी को पुष्पांजलि अर्पित करते हुए उनके पद चिन्हों पर चलकर उनके समान बनने का संकल्प लिया। कार्यक्रम का संचालन ब्रह्माकुमारी शारदा बहन ने किया।