गुना की लखपति दीदी का आज पीएम से संवाद:कभी चारदीवारी में रहती थी, अब 240 महिलाओं को रोजगार दिया; बदली गांव की तस्वीर

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गुना जिले के मुहालपुर गांव में कभी घूंघट में चारदीवारी के अंदर रहने वाली गंगा अहिरवार खुद तो आत्मनिर्भर बनी ही..पति, ससुर, जेठानी सहित गांव की 240 महिलाओं को भी रोजगार से जोड़ा। गंगा ने अपना ही नहीं, गांव के अधिकतर परिवारों का जीवन स्तर सुधारा। यही कारण है कि गांवभर में अब गंगा को हर कोई लक्ष्मी कहकर बुलाता है। गुना की इस ‘लखपति दीदी’ गंगा बाई अहिरवार से आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संवाद करेंगे। इस दौरान वे अपनी सफलता की कहानी सुनाएंगी। साथ ही पीएम मोदी द्वारा उन्हें सम्मानित भी किया जाएगा। कार्यक्रम में शामिल होने के लिए गंगा महाराष्ट्र के जलगांव पहुंच गई हैं। उनके अलावा मध्यप्रदेश की पांच लखपति दीदी इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए महाराष्ट्र पहुंची हैं। आइए…जानते हैं गंगा अहिरवार ने कैसे पाया यह मुकाम गुना जिले के विकासखंड गुना के ग्राम मुहालपुर में उमा स्व सहायता समूह से जुड़कर गंगा अहिरवार आत्मनिर्भर हुई है। गंगा अहिरवार ने बताया कि उनका विवाह ग्राम मुहाल के गंगा विशन अहिरवार के साथ हुआ था। शादी के बाद वे गृह कार्य ही करती थीं। उनके सास-ससुर और पति के खेतों कार्य में भी सहयोग करती है। जीवन यापन के लिए परिजनों को कर्ज भी लेना पड़ता था। इसी बीच उन्हें आजीविका मिशन के स्व सहायता समूह के बारे में जानकारी मिली। इसके बाद उससे जुड़ीं और राज्य आजीविका मिशन से जुड़कर वर्ष 2016 में स्व सहायता समूह का गठन किया। शुरुआत में उन्होंने 10 रुपए प्रति सप्ताह की बचत की। समूह के माध्यम से घर की छोटी-मोटी जरूरतें पूरी करने लगीं। 240 महिलाओं के 22 स्व सहायता समूहों का गठन किया गंगा अहिरवार ने बताया कि उन्होंने अपने आसपास के अन्य गांव की 240 महिलाओं के 22 स्व सहायता समूहों का गठन किया गया। उन्हें आजीविका मिशन की गतिविधि शुरू करने के लिए प्रेरित किया। इस प्रकार सक्रिय सीआरपी के रूप में उन्हें कुछ आय प्राप्त होने लगी, जिससे वे अपनी साप्ताहिक बचत के रूप में स्व सहायता समूह में जमा करती थी। गंगा ने बताया कि पति, ससुर, जेठानी और देवरानी को भी रोजगार की राह पर ले जाकर आत्मनिर्भर बनाने का काम किया। गंगा के जज्बे और जुनून ने कोरोना काल में अपने ससुर को किराना दुकान खुलवाकर रोजगार की राह दिखाई, तो जेठानी को सब्जी की खेती के लिए प्रेरित किया। देवरानी घर के काम में लगी थी, उसको भी घर पर ही सिलाई और कढ़ाई सेंटर खुलवाकर रोजगार की नई ईबारत लिखी। 5 हजार रुपए की महीने में काम करने वाले पति की नौकरी छुड़वाकर स्व सहायता समूह के माध्यम से संयुक्त रूप से 2 कैंटीन संचालित कर हर महीने 20 हजार रुपए कमा रही हैं। इस परिवार की बहू को आज गांव का हर व्यक्ति ‘लक्ष्मी’ कहकर बुलाता है। 2019 में कलेक्ट्रेट में खोली थी कैंटीन गंगा ने सास, ससुर और पति के साथ मिलकर गणवेश सिलाई का कार्य भी सफलतापूर्वक करते हुए आजीविका मिशन को सुदृढ़ किया। साथ ही गांव की अन्य महिलाओं को समूह के सदस्यों के रूप में सम्मिलित किया। गंगा द्वारा कलेक्ट्रेट परिसर गुना में वर्ष 2019 से कैंटीन का संचालन किया जा रहा था, लेकिन कोरोना के कारण कैंटीन चल नहीं पाई। कोरोना के बाद गंगा ने फिर से कैंटीन प्रारंभ की। इसमें वे चाय-नाश्ता बनाकर अपनी कैंटीन से उनको 800 रुपए रोज की बिक्री होने लगी। गंगा ने आईएचएम भोपाल से पाककला का प्रशिक्षण लिया था। इसलिए कलेक्टर डाॅ. सत्येंद्र सिंह द्वारा गंगा को मार्गदर्शन दिया कि नाश्ते के साथ-साथ कैंटीन में भोजन एवं टिफिन सेवा भी प्रारंभ करें। गंगा ने कलेक्टर की सलाह से प्रेरित होकर अपनी कैंटीन का विस्तार करते हुए टिफिन सेवा शुरू की। कैंटीन में ही भोजनालय प्रारंभ किया, जिससे उन्हें लगभग 15-20 हजार रुपए प्रति माह की बचत होने लगी। लगभग 40-50 टिफिन हर दिन वितरण होने लगे। सिंधिया भी कर चुके हैं खाने की तारीफ कलेक्ट्रेट स्थित गंगा अहिरवार की कैंटीन में खाने की तारीफ खुद केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी कर चुके हैं। 12 अगस्त को सिंधिया गुना दौरे पर थे। इस दौरान वह गंगा की कैंटीन पर पहुंचे थे। यहां उन्हें भिंडी, मक्के की कीस, दाल-चावल, बाफले परोसे गए थे। खाना खाने के बाद सिंधिया ने भी गंगा की तारीफ की और इनाम स्वरूप कुछ राशि भेंट की। इस अवसर पर उन्होंने गंगा अहिरवार से सफलता की पूरी कहानी सुनी। साथ ही उन्होंने सभी से कैंटीन पर खाना खाने की अपील की थी। वर्तमान में गंगा को कैंटीन, उन्नत कृषि कार्य, फलोद्यान, सिलाई कार्य आदि से पिछले 3 माह से निरंतर रूप से लगभग 20 हजार आय प्राप्त होने लगी है। जिससे वे लखपती दीदी की श्रेणी में सम्मिलित हो गई है। कोरोना काल में शासकीय चिकित्सालय में कोविड के रोगियों को आहार वितरण की सेवा से 4.50 लाख रुपए का रोजगार प्राप्त किया। इसके लिए तत्कालीन पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिंह सिसौदिया द्वारा गंगा को इस सराहनीय कार्य के लिए प्रशंसा पत्र द्वारा सम्मानित किया गया। यह खबर भी पढ़ें.. गंगा दीदी के कैंटीन पर पहुंचे ज्योतिरादित्य सिंधिया केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने तीन दिवसीय लोकसभा क्षेत्र के दौरे के दूसरे दिन गुना में विभिन्न कार्यक्रम व बैठक में शामिल हुए। शाम 6 बजे से शुरू होने वाली कलेक्ट्रेट में ज़िले के अधिकारियों के साथ विकास की रिव्यू मीटिंग से पहले वो आजीविका दीदी की कैंटीन में पहुँचे। कैंटीन में उन्होंने खाना खाया, जो स्व सहायता समूह की दीदियों ने बनाया था। पूरी खबर पढ़ें