सागर में आंगनबाड़ी में दीदी का पद दिलाने के एवज में रिश्वत लेने वाले आरोपी बाबू विजय कुमार चौधरी को अदालत ने सजा सुनाई है। प्रकरण की सुनवाई विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम आलोक मिश्रा की कोर्ट में हुई। न्यायालय ने सुनवाई करते हुए आरोपी बाबू विजय चौधरी को दोषी पाया और 4 वर्ष के सश्रम कारावास व जुर्माने की सजा सुनाई है। शासन की ओर से मामले की पैरवी प्रभारी उपसंचालक (अभियोजन) धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्गदर्शन में सहायक जिला अभियोजन अधिकारी लक्ष्मी प्रसाद कुर्मी ने की। अभियोजन के मीडिया प्रभारी ने बताया कि 6 अक्टूबर 2017 को आवेदक विवेक तिवारी ने पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त कार्यालय सागर में शिकायत की थी। शिकायत में बताया कि उसकी पत्नी ने नयाखेड़ा आंगनबाड़ी में दीदी के पद के लिए 20 दिन पहले परियोजना-2 एकीकृत बाल विकास सेवा कार्यालय सागर में आवेदन किया था। जहां आवेदक ने कार्यरत अधिकारी विजय बाबू से संपर्क किया। जहां विजय बाबू ने उसकी पत्नी को दीदी का पद दिलाने के एवज में 2 हजार रुपए रिश्वत की मांग की। शिकायत मिलने पर लोकायुक्त ने जांच शुरू की। जांच में शिकायत सही पाई गई। जिसके बाद लोकायुक्त की टीम कार्रवाई के लिए रवाना हुई। शिकायकर्ता विवेक तिवारी को रिश्वत की राशि लेकर आरोपी के पास भेजा।
टेबल पर रखे रजिस्टर में छिपा दिए थे पैसे
शिकायतकर्ता ने कार्यालय के कम्प्यूटर कक्ष में पहुंचकर विजय बाबू को रिश्वत की राशि दी। जिसके बाद बाहर आकर इशारा किया। इशारा मिलते ही लोकायुक्त की टीम ने दबिश दी और कम्प्यूटर कक्ष में कुर्सी पर बैठे विजय चौधरी को रिश्वत के साथ रंगेहाथ पकड़ लिया। रिश्वत की राशि आरोपी ने रजिस्टर में रख दी थी। जिसे टीम ने जब्त किया। मामले में विजय चौधरी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज किया। जांच पूरी होने पर चालान न्यायालय में पेश किया। कोर्ट ने प्रकरण में सुनवाई शुरू की। सुनवाई के दौरान अभियोजन ने मामले से जुड़े साक्ष्य व दस्तावेज कोर्ट में पेश किए। साक्षियों की गवाही कराई। न्यायालय ने सुनवाई करते हुए आरोपी विजय चौधरी को दोषी पाया और साक्ष्यों के आधार पर सजा सुनाई है।