नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता में सुधार के लिए स्कूल शिक्षा विभाग अब नया प्रयोग करने जा रहा है। इसके तहत ऐसे विद्यार्थी जो पढ़ाई में कमजोर हैं, उनकी अलग से कक्षाएं लगाई जाएंगी।स्कूल शिक्षा विभाग ने नवमीं में फेल होने वाले बच्चों के लिए अहम फैसला लिया है। जिले के सभी सरकारी स्कूल के लिए यह निर्देश जारी किए हैं कि सभी स्कूल यह सुनिश्चित करें। जो बच्चे नौवीं में शैक्षणिक साल 2023-24 में फेल हुए हैं। वह नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग में 2024-25 में जाकर एडमिशन लें। शिक्षा विभाग के सहायक संचालक बलवंत पटेल ने बताया कि नवमीं क्लास में एक या दो बार फेल होने वालों छात्र छात्राओं को स्कूलों में प्रवेश नही दिया जाता है। जिससे उनकी आगे की शिक्षा बंद हो जाती है। इसके लिए अब जिले के 19 सरकारी स्कूलों का चयन किया गया है।जिसमें 1126 बच्चों को चिह्नित किया गया है। जो एक या दो बार नवमीं फेल होने पर शिक्षा की मुख्य धारा से दूर हो गए हैं। ऐसे विद्यार्थियों के लिए बाकायदा अलग सुपर सेक्शन बनेगा और शिक्षक भी अलग से तैनात होंगे। जो सभी छात्र छात्राओं का साप्ताहिक और मासिक टेस्ट लेकर प्रति सप्ताह मूल्यांकन करके जहां कमी है। उसे दूर करने पर फोकस कर उन्हें दूर करने का प्रयास करेंगे। जिसके लिए एक विशेष सेक्शन में 30 छात्र छात्राओं को अध्यापन कराया जाएगा। इसके लिए स्कूल शिक्षा विभाग राज्य ओपन बोर्ड के साथ मिलकर काम करेगा। इनके लिए ओपन स्कूल चलाया जाएगा। उन्होंने बताया कि किन्हीं कारणों से शिक्षा से दूर होने वाले विद्यार्थियों को दोबारा से शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने इस योजना की शुरुआत की गई है। इस योजना में शामिल विद्यार्थियों की एग्जाम ओपन बोर्ड से होगी। बताया जा रहा है कि इस व्यवस्था का मकसद मप्र माध्यमिक शिक्षा मंडल की 10वीं कक्षा का रिजल्ट सुधारना है।