डिंडौरी की फर्स्ट एडीजे कोर्ट ने 20 अगस्त को एक आदिवासी युवक की पुलिस कस्टडी में हुई मौत के मामले में फैसला सुनाया है। कोर्ट ने एक SI और हेड कॉन्स्टेबल को 10-10 साल की सजा सुनाई है, वहीं तत्कालीन थाना प्रभारी को बरी कर दिया है। वहीं, मृतक के पिता का कहना है कि इसमें और भी पुलिसवाले शामिल थे। ये मामला आठ साल पहले साल 2016 का है। दरअसल, पुलिस ने एक सिर कटी लाश की गुत्थी सुलझाने के लिए 23 साल के देवलाल श्याम को संदेह के आधार पर पकड़ा था। पूछताछ के दौरान देवलाल के साथ थर्ड डिग्री का इस्तेमाल किया गया। जुर्म कबूल करवाने के लिए उसे इतना पीटा गया कि उसके यूरिनल पार्ट से खून आने लगा था। सुनवाई के दौरान डॉक्टर ने अपने बयान में बताया कि यही देवलाल की मौत की वजह बनी थी। आखिर क्या था सिर कटी लाश का रहस्य और पुलिस को देवीलाल पर क्यों संदेह था। पढ़िए रिपोर्ट… पहले जानिए क्या था सिर कटी लाश का मामला डिंडौरी जिले के सिधौली गांव के सूरज के खेत में मार्च 2013 में एक सिर कटी लाश मिली थी। कपड़ों के आधार पर उसकी पहचान गांव के राम सुजान ढीमर के रूप में की गई थी। डिंडौरी की कोतवाली पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ हत्या का केस दर्ज किया। तीन साल तक अलग-अलग पुलिस अधिकारी इस मामले की जांच करते रहे, लेकिन केस नहीं सुलझ सका। यहां तक कि राम सुजान का घटनास्थल से गायब सिर भी पुलिस नहीं खोज पाई। 25 दिसंबर 2016 को एसपी ने एक बार फिर इस केस को सुलझाने की जिम्मेदारी अधिकारियों को दी। कोतवाली के तत्कालीन प्रभारी गिरवर सिंह उईके ने एसपी के आदेश पर SI छोटेलाल बरकड़े को जांच का जिम्मा सौंपा। एसपी कार्यालय में पदस्थ हेड कॉन्स्टेबल घनश्याम द्विवेदी को भी इसमें शामिल किया गया। पुलिस को देवलाल पर संदेह क्यों था? पुलिस ने जब इस मामले की जांच शुरू की, तो वह गांव के कुछ युवकों को उठाकर लाई। पहले प्रमोद श्याम को हिरासत में लिया। उससे दोस्तों के बारे में पूछा तो उसने देवलाल श्याम, दिलीप उद्दे, विजय वनवासी और बबलू का नाम लिया। पुलिस ने इन सभी को हिरासत में ले लिया। पुलिस को संदेह था कि युवकों ने ही राम सुजान की हत्या की है। इनसे पूछताछ की तो सभी ने हत्या में शामिल होने से इनकार किया। पुलिस पर केस सुलझाने का दबाव था, इसलिए एसआई और हेड कॉन्स्टेबल ने थर्ड डिग्री का इस्तेमाल किया। पुलिस का दावा था कि पूछताछ में देवलाल ने कबूल किया था कि राम सुजान की हत्या उसने ही की है। ये भी खुलासा किया कि उसका सिर उसने अपने घर में चूल्हे के नीचे गाड़ दिया है। सिर नहीं मिला तो थाने में उलटा लटकाकर पीटा 30 दिसंबर 2016 को पुलिस देवलाल को लेकर उसके गांव पहुंची। उसकी निशानदेही पर पुलिस ने चूल्हे सहित घर के सारे कमरों को खोद डाला, पर कहीं भी सिर नहीं मिला। इसके बाद पुलिस देवलाल, उसके पिता रामलाल श्याम और मां भागवती बाई को लेकर थाने लौटी। एसआई बरकड़े और हेड कॉन्स्टेबल घनश्याम द्विवेदी इस बात से नाराज थे कि देवलाल ने उनसे झूठ कहा था कि उसके घर के चूल्हे के नीचे राम सुजान का सिर है। ठंड का समय था। दोनों ने थाने पहुंचकर देवलाल के कपड़े उतरवाए और उसे उलटा लटका कर बुरी तरह से पीटा। पुलिस कस्टडी में मौत की जांच CID ने की पुलिस कस्टडी में देवलाल की मौत को लेकर जमकर राजनीति हुई। प्रशासन ने इस केस की जांच CID को सौंपी। CID ने तीन साल में जांच पूरी कर 5 फरवरी 2019 को कोर्ट में आरोप पत्र पेश किया। तत्कालीन टीआई गिरवर सिंह उईके, SI छोटेलाल बरकड़े और हेड कॉन्स्टेबल घनश्याम द्विवेदी को हत्या का दोषी माना था। 15 जनवरी 2020 को मामले की सुनवाई शुरू हुई। कोर्ट के सामने कुल 26 गवाह और 36 साक्ष्य पेश किए गए थे। सुनवाई के दौरान चार गवाह पलट गए। कोर्ट ने परिजन, शहपुरा अस्पताल के डॉक्टर और नर्स, पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टर की गवाही को अहम माना। 8 साल बाद यानी 20 अगस्त 2024 को डिंडौरी के प्रथम एडीजे कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाया। हालांकि कोर्ट ने आरोपियों को हत्या की साजिश रचने, हत्या करने का दोषी नहीं माना है। कोर्ट ने हत्या की बजाय आरोपियों को गैर इरादतन हत्या (IPC 304) का दोषी माना है। कोर्ट ने कहा कि पुलिसकर्मियों की मंशा हत्या की नहीं थी। वे थर्ड डिग्री का इस्तेमाल हत्या के प्रकरण का खुलासा करने की मंशा से कर रहे थे, लेकिन उन्हें पता था कि इससे किसी व्यक्ति की मृत्यु हो सकती है। पिता बोले- जिस दिन हत्या हुई बेटा कन्याकुमारी में था पिता रामलाल श्याम ने दैनिक भास्कर से बातचीत में बताया कि मार्च 2013 में जब गांव के राम सुजान ढीमर की लाश मिली थी, तो देवलाल कन्याकुमारी में था और लौंग तोड़ने गया था। वहां उसकी हाजिरी वाला रजिस्टर भी मैंने CID के सामने पेश किया था। 30 दिसंबर 2016 की रात जब उसकी मौत हो गई तो उसकी सूचना नहीं दी। मुझे और पत्नी को जबलपुर ले गए। वहां बेटे का शव देखकर मैं बदहवास हो गया था। रामलाल ने कहा कि देवलाल की पिटाई करने वाले और भी पुलिसवाले थे, लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। जिस समय देवलाल की मौत हुई उस वक्त उसकी पत्नी कलावती गर्भवती थी। पति की मौत के 15वें दिन 14 जनवरी 2017 को उसने एक बेटी को जन्म दिया। बेटी सात साल की है और दूसरी क्लास में पढ़ रही है। देवलाल की पत्नी कलावती को पुलिस विभाग के गोपनीय सेल में नौकरी मिली है। वह डिंडौरी जिले में पदस्थ है। अब पढ़िए आरोपियों ने कैसे कोर्ट को गुमराह करने की कोशिश की गिरवर उइके, तत्कालीन टीआई: इन्होंने कहा, कि वे इसमें शामिल नहीं हैं, क्योंकि वह इस मामले की जांच नहीं कर रहे थे। अपने बचाव में उन्होंने थाने का रोजनामचा भी पेश किया। बताया कि सिर्फ थाना प्रभारी होने के चलते उन्हें जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। छोटेलाल बरकड़े, एसआई: इन्होंने कहा, कि 30 दिसंबर 2016 को वह नाइट ऑफिसर नहीं था। उसे देवलाल की तबीयत खराब होने पर फोन कर बुलाया गया था। घनश्याम द्विवेदी, प्रधान आरक्षक: इसने ये कहते हुए बचाव किया कि उसकी तैनाती कोतवाली थाने में ही नहीं थी। परिजन और डॉक्टरों ने कोर्ट में बताई हैवानियत की कहानी रामलाल श्याम, पिता: ’26 दिसंबर 2016 को पुलिस वाले मेरे बेटे देवलाल को ले गए थे। अगले दिन उसे गांव लाए थे। तब वह ठीक से चल नहीं पा रहा था। उसके साथ बहुत मारपीट की गई थी। पांचवें दिन 30 दिसंबर को पुलिस फिर देवलाल को गांव लेकर पहुंची। तब एसपी मैडम भी साथ में थीं।’ ‘वापसी में पुलिस वाले देवलाल के साथ मुझे, मेरी पत्नी भागवती बाई को भी साथ ले गए। वहां सभी को अलग-अलग कमरों में बंद कर दिया। कमरे की खिड़की से मैंने देखा था कि पुलिस वालों ने देवलाल के कपड़े उतारकर उसकी बेरहमी से पिटाई की। अगले दिन सुबह उसकी मौत हो गई थी। उसके पूरे शरीर पर चोट के नीले निशान थे।’ भागवती बाई, मां: ‘पुलिस देवलाल को गिरफ्तार करने के पांचवें दिन लेकर आई थी। उस दिन उसके पूरे घर की खुदाई कर डाली। वे बार-बार देवलाल से पूछ रहे थे कि राम सुजान का सिर कहां छिपाया है। जब सिर नहीं मिला, तो वे हमें भी थाने ले गए। वहां हमारे साथ भी मारपीट की गई।’ राम गणेश श्याम, चाचा: ‘मेरी देवलाल से आखिरी मुलाकात 30 दिसंबर 2016 को डिंडौरी कोतवाली में हुई थी। उसके साथ बहुत मारपीट की गई थी। उसकी हालत पागलों जैसी हो गई थी।’ दीपिका मानकर, नर्स, शहपुरा अस्पताल: ‘देवलाल को जब लाया गया था तो उसके यूरिन से ब्लड आ रहा था। उसका शुगर लेवल गिरा हुआ था। बीपी और पल्स भी बढ़ा हुआ था।’ डॉ एके वर्मा, शहपुरा अस्पताल: ‘देवलाल के दोनों पैरों के बीच और कूल्हे में सूजन थी। पेशाब नली से खून निकल रहा था। मैंने पुलिस को उसे जबलपुर ले जाने के लिए कहा, लेकिन वे काफी देर बाद ले गए। तब तक उसकी हालत और बिगड़ चुकी थी।’