तीन साला पहले एनएचएआई ने अपने टोल नाकों पर जनता की सहूलियत के लिए निकाला नियम खत्म कर दिया है। 100 मीटर से लंबी लाइन होने या फास्टैग स्कैन होने में 10 सेकंड से ज्यादा समय लगने पर टोल न लगने का प्रावधान हटाए जाने को लेकर सर्कुलर जारी हो चुका है। अब चाहे टोल पर आपको 10 मिनट लगे या आधा घंटा एनएचएआई टोल नाके से मुफ्त में नहीं गुजरने देगी। इंदौर में इसका सबसे ज्यादा असर इंदौर-देवास बायपास के मांगलिया टोल नाके पर पड़ेगा। यहां आए दिन टोल नाके पर वाहनों की लंबी कतारें लग जाती हैं। कई बार ट्रक को रिवर्स भी लेना पड़ता है जिस कारण से कई दिन टोल नाके से गुजरने में 15-20 मिनट का भी समय लग जाता है। सरकार ने इसके पीछे कारण दिया है कि इसे लागू करने में आ रही परेशानियों के चलते इस पालिसी को खत्म किया गया है। हालांकि, पते की बात ये है कि इंदौर में सबसे ज्यादा जाम मांगलिया पर लगता है। लेकिन यहां एक बार भी कभी किसी टोल संचालक ने 100 मीटर से ज्यादा लंबी लाइन लगने पर टोल नाके का बूम खोला नहीं। चाहे कितना ही लंबा ट्रैफिक जाम क्यों न लगा हो, टोल वसूली सबसे हुई है। इंदौर-देवास के बीच प्रतिदिन 1 लाख से ज्यादा वाहन गुजरते हैं। इसमें बड़ी संख्या उपनगरीय बसों की होती है। मॉनिटरिंग के लिए नया सिस्टम लाए हैं ऐसे में कई कार चालक जाम लगने पर सरकार के नियमों का हवाला देते हुए अपने अधिकार को लेकर आवाज भी उठा चुके हैं। लेकिन, कभी फ्री फ्लो पालिसी के तहत गाड़ियों को गुजरने नहीं दिया है। मांगलिया टोल नाके के अलावा एनएचएआई के इंदौर-गुजरात हाईवे पर मेठवाड़ा और दत्तीगांव में, इंदौर-मुंबई हाईवे पर सोनवाय में और इंदौर- आगरा हाईवे पर छपरा और रोजवास में भी टोल नाके हैं। बावजूद इसके इनमें से किसी पर भी ट्रैफिक जाम से जुड़ी स्थिति निर्मित नहीं होती। एनएचएआई के प्रोजेक्ट डायरेक्टर सुमेश बांझल ने बताया कि सरकार ने ये पालिसी जरूर खत्म की है, लेकिन सभी टोल नाकों की मॉनिटरिंग के लिए नया सिस्टम लाया है, जिसमें जाम लगने पर अलर्ट आ जाएगा और उसे समाप्त करने के लिए सभी जरूरी कदम उठाएंगे। इसके लिए एक व्यक्ति को ट्रेनिंग भी दी जाएगी।