संदीपनी आश्रम, नारायण धाम, अमझेरा और जानापाव बनेंगे तीर्थ स्थल:CM बोले-MP में जहां श्री कृष्ण के चरण पडे़ वे तीर्थ स्थल बनेंगे, जन्माष्टमी पर होंगे विशेष आयोजन

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इस बार मप्र सरकार जन्माष्टमी के पर्व को विशेष तौर पर मनाने जा रही है। 26 अगस्त को जन्माष्टमी के मौके पर मप्र सरकार ने अवकाश घोषित किया है। इसके साथ ही मप्र सरकार भगवान श्री कृष्ण से जुडे़ चार स्थानों को तीर्थ स्थल के रूप में विकसित करने जा रही है। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने यह जानकारी दी है।
मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा- मध्य प्रदेश, भगवान श्री कृष्ण और भगवान श्री राम के वास से प्रेरित और पावन भूमि है। ये हमारा सौभाग्य है कि मध्य प्रदेश में भगवान कृष्ण, कंस को मारने के बाद उज्जैन के सांदीपनि आश्रम में शिक्षा ग्रहण करने आए थे। इन चार स्थानों को कृष्ण तीर्थ के रूप में किया जाएगा विकसित
संदीपनि आश्रम- यहां कृष्ण ने शिक्षा ग्रहण की
उज्जैन में संदीपनी आश्रम एक पवित्र तीर्थस्थल है जो महर्षि संदीपनी की याद में बनाया गया है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि यह वही आश्रम है जहां गुरु संदीपनी श्री कृष्ण को शिक्षा देते थे। सुदामा और भगवान कृष्ण के भाई बलराम और सुदामा की तीन मूर्तियां यहां मौजूद हैं। इस आश्रम में स्थित एक मंदिर, जिसे सर्वेश्वर महादेव कहा जाता है, में 6000 साल पुराना शिवलिंग है, जिसमें शेषनाग अपने प्राकृतिक रूप में है, और माना जाता है कि गुरु संदीपनी और उनके शिष्य इसकी पूजा करते थे।
आश्रम में गोमती कुंड नामक एक विशाल सीढ़ीदार तालाब भी है, जिसमें भगवान कृष्ण ने पवित्र केंद्रों से सभी पवित्र जल को इकट्ठा किया था ताकि गुरु संदीपनी को पवित्र जल प्राप्त करने में आसानी हो। इस तालाब का पानी पवित्र माना जाता है और इसलिए, भक्त यहाँ अपनी पानी की बोतलें भरते हैं और पानी घर ले जाते हैं। नारायण धाम- श्रीकृष्ण सुदामा की मित्रता हुई
उज्जैन जिले की महिदपुर तहसील से करीब 9 किमी. दूर है। वैसे तो यह श्री कृष्ण का मंदिर है पर दुनिया का यह ही एकमात्र मंदिर है जिसमें श्री कृष्ण अपने मित्र सुदामा के साथ में यहां विराजते हैं। नारायण धाम मंदिर में आप कृष्ण-सुदामा की अटूट मित्रता को पेड़ों के प्रमाण के तौर में भी देख सकते हैं। कहा जाता है कि,नारायण धाम ये पेड़ उन्हीं लकड़ियों से फले-फूले हैं जो श्रीकृष्ण व सुदामा ने एकत्रित की थी। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा- यह मध्य प्रदेश का ही सौभाग्य है जहां नारायण धाम है। ये वो स्थान है जहां भगवान कृष्ण की सुदामा से मित्रता हुई। यानी गरीबी और अमीरी की मित्रता का सबसे श्रेष्ठ स्थान है। अमझेरा धाम – कृष्ण ने रुकमणि को हराया
द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण ने जिस स्थान से माता रुकमणि का हरण किया था वो अमका-झमका मंदिर धार जिले के अमझेरा में स्थित है। अमका-झमका मंदिर 7000 साल पुराना वो स्थान है जहां से भगवान श्री कृष्णा ने माता रुकमणि का हरण किया था। स्थानीय लोगों के मुताबिक यह मंदिर रुक्मिणि जी की कुलदेवी का था। वो यहां पूजा करने आया करती थी। सन 1720- 40 में इस मंदिर का राजा लाल सिंह ने जीर्णोद्धार करवाया था। पौराणिक युग में इस स्थान को कुन्दनपुर के नाम से जाना जाता था। रुक्मिणि वहीं के राजा की पुत्री थी, उसके बाद मंदिर के नाम से जगह को अमझेरा नाम दिया गया। जानापाव – परशुराम ने कृष्ण को सुदर्शन चक्र दिया
सीएम डॉ मोहन यादव ने कहा हमारे इंदौर के पास जाना पाव नामक स्थान है जहां पर विनम्रता और श्रद्धा से परशुराम जी से सुदर्शन चक्र भगवान श्री कृष्ण ने प्राप्त किया था। जानापाव वो स्थान है जहां कहा जाता है कि जब भगवान श्री कृष्ण 12-13 साल थे, तब परशुराम से मिलने उनकी जन्मस्थली जानापाव (इंदौर) गए थे। वहां परशुराम ने कृष्ण को उपहार में सुदर्शन चक्र दिया। शिव ने यह चक्र त्रिपुरासुर वध के लिए बनाया था और विष्णु को दे दिया था। कृष्ण के पास आने के बाद यह उनके पास ही रहा। जन्माष्टमी पर होंगे विशेष कार्यक्रम
हर जिले में भगवान श्रीकृष्ण के मंदिरों की साफ-सफाई कार्य एवं सांस्कृतिक कार्यकमों का आयोजन किया जाएगा। भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षा और मित्रता के प्रसंग तथा जीवन दर्शन के साथ भारतीय सांस्कृतिक परम्पराओं, योग आदि पर आधारित विभिन्न विषयों पर विद्वानों के व्याख्यान एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। सरकारी, निजी स्कूल, कॉलेज में भी कार्यक्रम आयोजित होंगे। प्रदेश के ऐसे स्थान जहां भगवान श्रीकृष्ण के जीवन में जुड़े विशेष प्रसंग स्थलों जैसे कि जानापाव, अमझेरा, नारायणा एवं सांदीपनी आश्रम उज्जैन में जन्माष्टमी के अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे