मंकी पॉक्स का अलर्ट…:जेपी, हमीदिया, कस्तूरबा और एम्स में बेड रिजर्व, अफ्रीकी देशों से आने वालों पर नजर

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बुखार, बदन दर्द, शरीर पर दाने और थकान हैं प्रमुख लक्षण राजधानी में मंकी पॉक्स का खतरा है। इसके चलते शासन ने अलर्ट जारी किया है। यह संक्रामक बीमारी हैं। हालांकि प्रदेश में फिलहाल इसका कोई मरीज नहीं मिला है लेकिन एहतियात के तौर पर जेपी अस्पताल में 7 बेड और हमीदिया, कस्तूरबा तथा एम्स में 10-10 बेड आरक्षित कर दिए गए हैं। ये सभी बेड आइसोलेशन वार्ड में रखे गए हैं।
अब अफ्रीका, स्वीडन, सऊदी अरब, पीओके व बांग्लादेश से लौटे यात्रियों पर नजर रहेगी। लक्षण पाए जाने पर जांच कराई जाएगी। पॉजिटिव केस मिलने पर कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग कर विगत 21 दिनों में रोगी के संपर्क में आए लोगों को फौरन आइसोलेट किया जाएगा। सभी केस एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम के जिला सर्विलांस अधिकारी की निगरानी में रहेंगे। फ्लू जैसे लक्षण… संक्रमण के 5-21 दिन में आ सकते हैं मंकी पॉक्स से ग्रसित मरीजों में शुरुआती लक्षण फ्लू जैसे होते हैं। इनमें बुखार, बदन दर्द और शरीर पर दाने के अलावा कंपकंपी छूटना, थकान और सूजी हुई लिम्फ नोड्स (गले के नीचे) शामिल हैं। ये लक्षण संक्रमण के 5वें दिन से 21वें दिन तक आ सकते हैं। यह बीमारी मंकी पॉक्स नाम के वायरस से होती है।
विकसित हो चुका है टीका-चेचक उन्मूलन कार्यक्रम में टीकों ने मंकी पॉक्स से भी सुरक्षा प्रदान की। नए टीके विकसित किए गए हैं। एक एंटीवायरल एजेंट को मंकी पॉक्स के इलाज के लिए लाइसेंस दिया गया है। संक्रामक बीमारी… पशुओं से मनुष्य और मनुष्य से मनुष्य में फैलती है {मंकी पॉक्स वायरस पशुओं से मनुष्य में और मनुष्य से मनुष्य में भी फैल सकता है।
{संक्रमित पशु से मानव में वायरस का संक्रमण खरोंचने, शरीर के तरल पदार्थ एवं घाव से सीधे या अप्रत्यक्ष संपर्क से हो सकता है।
{वायरस कटी-फटी त्वचा, सांस लेने, आंख, नाक या मुंह के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है।
{ संक्रमण होने पर ठंड के साथ तेज बुखार, सिरदर्द और लिंफ नोड में सूजन होती है। लगभग 98 प्रतिशत रोगी ठीक हो जाते हैं। पहला रोगी 1958 में मिला था, अभी 70 से ज्यादा देशों में फैला
पहली बार मंकी पॉक्स का रोगी 1958 में अफ्रीका में पाया गया था। 1970 में यह 10 अफ्रीकी देशों में फैला। 2022 में हुए आउटब्रेक में इसका पहला केस ब्रिटेन में मिला। इसके बाद 70 से ज्यादा देशों में फैल गया है। आइसोलेशन वार्ड आरक्षित
^फिलहाल मप्र में कोई भी मंकी पॉक्स का पॉजिटिव केस नहीं आया है। अगर कोई संदिग्ध मरीज मिलता है तो उसकी जांच के लिए सैंपल एनआईवी पुणे भेजेंगे। पॉजिटिव केस आने के बाद उसके 21 दिन में संपर्क में आए लोगों की कांटेक्ट हिस्ट्री बनाएंगे। फिलहाल सभी सरकारी अस्पतालों में आइसोलेशन वार्ड हैं, जिन्हें मंकी पॉक्स के लिए आरक्षित किया गया है।
डॉ. प्रभाकर तिवारी, सीएमएचओ, भोपाल