नाफरमानी:अश्वथ कंपनी की मनमानी से मिला झील में नाला, अफसर नोटिस देते रहे पर अधूरा काम नहीं करा पाए

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20 अगस्त को शहर में हुई महज सवा दो इंच बारिश के बाद दीनदयाल चौराहा, बस स्टैंड, वृंदावन वार्ड के कई घरों में पानी भरा। इसकी निकासी के लिए टेप नाले के पानी को झील में छोड़ना पड़ा। स्लूज गेट हटाकर ऐसा किया गया। इसके बाद झील सौंदर्यीकरण के सबसे महत्वपूर्ण काम नाला टेपिंग को लेकर सवाल उठ रहे हैं। 20 अगस्त को जो भी हुआ, उसका अंदेशा स्मार्ट सिटी के अफसरों व निर्माण एजेंसी अश्वथ इंफ्रा लिमिटेड को पहले से ही था। साल भर से इस पर पत्राचार चल रहा था। स्मार्ट सिटी के अध्यक्ष तत्कालीन कलेक्टर यह सब देख और समझ रहे थे, कि जलभराव की स्थिति बन सकती है। उन्होंने एक नहीं अनेक निरीक्षण में ऐसा देखा। इसके बाद स्मार्ट सिटी प्रबंधन ने निर्माण एजेंसी अश्वथ इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड जेवी नई दिल्ली को नोटिस दिए। लेकिन ठेकेदार ने अधूरा काम ही पूरा नहीं किया और न ही स्मार्ट सिटी के जिम्मेदार काम करा सके। नोटिसों से स्पष्ट, काम नहीं हुआ तो जलभराव होगा 1. 6 जून 2023 को दिए नोटिस में लिखा था कि स्मार्ट सिटी लिमिटेड के अध्यक्ष यानी कलेक्टर के पिछले 2 दौरों के दौरान बरसात के पहले नाला टेपिंग लाइन की सफाई का निर्देश दिया गया था। जिससे जलभराव से मुक्ति मिल सके। जैसा पिछले वर्ष देखने को मिला था। अभी भी उस कार्य को करने के लिए कोई कर्मचारी नहीं लगाए गए हैं। इसके चलते मानसून में जल भराव होगा। इसको देखते हुए निर्देश दिया जाता है कि नाला टेपिंग लाइन की सफाई के लिए तत्काल टीम तैनात करें। 2. 27 फरवरी 2024 को दिए नोटिस में लिखा था- बड़े नाले में स्लूज गेट होस्ट का काम अधूरा है। होस्ट न लगाए जाने की स्थिति में शहर मंे वर्षा ऋतु के दौरान जलभराव की स्थिति उत्पन्न होगी। इन दोनों नोटिस के बाद भी अश्वथ कंपनी ने लापरवाही दिखाई। 18 माह में होना था झील का काम, 50 माह बाद भी अधूरा लाखा बंजारा झील के सौंदर्यीकरण का काम 4 जून 2020 को शुरू हुआ था। यह काम 18 माह में पूरा होना था, जो 50 माह बाद भी पूरा नहीं हो सका है। निर्माण एजेंसी पर अब तक 65 लाख रुपए का जुर्माना भी स्मार्ट सिटी प्रबंधन द्वारा किया जा चुका है। बावजूद इसके काम में तेजी नहीं लाई जा रही है। अभी भी पाथ-वे का काम अधूरा है। मोंगा बंधान की तरह गेट लगने पर ही होगा स्थाई हल ठेकेदार को मोंगा बंधान की तरह स्लूज गेट में होस्ट यानी पुल्ली वाला गेट लगाना था। इससे जैसे ही आसपास जलभराव और पानी का स्तर बढ़ता तो कर्मचारी होस्ट से गेट ऊपर कर देता। इससे नाला कवर होता और भराव वाला बारिश का पानी बहकर झील में चला जाता। ऐसा होने से नाले का पानी झील में नहीं मिल पाता। महज 9 लाख रुपए का यह काम कंपनी ने नहीं किया।