मांधाता विधानसभा के बहुचर्चित घाट घोटाले में आरोपी एक ग्राम पंचायत ने कमिश्नर कोर्ट से स्टे ले लिया है। इस पंचायत ने सीईओ जिला पंचायत के फैसले को इंदौर कमिश्नर कोर्ट में चुनौती दी थी। कमिश्नर ने सीईओ के उस आदेश को निरस्त कर दिया, जिसमें सरपंच-सचिव और रोजगार सहायक के विरूद्व रिकवरी निकाली गई थी। सीईओ ने पुनासा जनपद की 62 पंचायतों में 158 घाट निर्माण में भ्रष्टाचार पाया था। इन सभी पंचायतों के लिए सिंगल आदेश जारी किया था। इधर, कमिश्नर कोर्ट ने अलग-अलग कार्रवाई के संबंध में आदेश दिए हैं। दरअसल, घाट घोटाले का मामला 2022 से चला रहा है। ग्राम पंचायत रिछफल के तत्कालीन सरपंच सुंदरबाई पति मोहनसिंह, सचिव बलीराम बिर्ला, रोजगार सहायक सुखदेव खतवासे के खिलाफ सीईओ जिला पंचायत कोर्ट के 20 नवंबर 2023 को आदेश पारित कर रिकवरी निकाली थी। उनके खिलाफ 6 लाख 62 हजार 31 रूपए की रिकवरी निकाली थी। उक्त रिकवरी की राशि को 7 दिन के भीतर जमा करने के आदेश दिए थे। असंतुष्ट सरपंच, सचिव व रोजगार सहायक ने इस आदेश को इंदौर कमिश्नर कोर्ट में चुनौती दे दी। कमिश्नर कोर्ट ने आवेदक का पक्ष जाना और 31 जुलाई 2024 को फैसला सुनाते हुए सीईओ के रिकवरी आदेश को निरस्त कर दिया। प्रकरण में आरोपी सरपंच-सचिव और रोजगार सहायक को स्टे मिल गया। मजे की बात यह है कि सरपंच तो बदल गए, लेकिन सचिव व जीआरएस उसी रिछफल पंचायत में पदस्थ है। कमिश्नर कोर्ट ने कहा- अलग-अलग प्रकरण बनाएं, सुनवाई का मौका दें इंदौर कमिश्नर दीपकसिंह की कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि खंडवा जिला पंचायत सीईओ के रिकवरी आदेश को निरस्त किया जाता है। साथ ही उन्हें आदेशित किया जाता है कि वे इस प्रकरण में फोटोग्राफ और पंचनामा के साथ अलग-अलग ग्राम पंचायतवार प्रतिवेदन बनाएं। इसकी प्रति सरपंच, सचिव और राेजगार सहायक को उपलब्ध कराएं। उन्हें समक्ष सुनवाई, दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत करने तथा प्रतिपरीक्षण किए जाने का मौका दें। इसके बाद पंचायत एक्ट के तहत जो भी विधिक प्रावधान लागू होते है, उसके अधीन कार्रवाई करें। सरपंच के खिलाफ पंचायत एक्ट, सचिव के खिलाफ भर्ती नियम तथा रोजगार सहायक के खिलाफ संविदा भर्ती नियम के तहत कार्रवाई की जाए। इधर, सीईओ जिला पंचायत शैलेंद्र सोलंकी का कहना है कि, कमिश्नर कोर्ट के फैसले के संबंध में मुझे अभी तक जानकारी नहीं मिली हैं।