जिले में मंकीपॉक्स को लेकर मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आरबी कुरेले ने एडवाइजरी जारी की है। जिसमें मंकीपॉक्स के नियंत्रण और उससे बचाव के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने के निर्देश दिए गए हैं। गाइडलाइन के अनुसार सभी संदिग्ध प्रकरणों को चिह्नित कर स्वास्थ्य सुविधाओं में अलग रखा जाएगा। उपचार करने वाले चिकित्सक जब आइसोलेशन समाप्त करने का निर्देश देंगे तब ही मरीजों को डिस्चार्ज किया जाएगा। सभी संभावित मरीज जिला सर्विलांस अधिकारी की निगरानी में रहेंगे। संभावित संक्रमण की स्थिति में मंकीपॉक्स वायरस टेस्ट के लिए लैब का सैंपल एनआईवी पुणे भेजे जाएंगे। साथ ही मंकीपॉक्स का पॉजिटिव केस पाए जाने पर कांटैक्ट ट्रेसिंग कर पिछले 21 दिनों में रोगी के संपर्क में आए व्यक्तियों की पहचान किए जाने के निर्देश हैं। मनुष्य से मनुष्य में भी फैल सकता है मनोज गुप्ता जिला महामारी विशेषज्ञ के मुताबिक यह वायरस पशुओं से मनुष्य में और मनुष्य से मनुष्य में भी फैल सकता है। उक्त वायरस कटी-फटी त्वचा, रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट या म्यूकस मेम्ब्रेन (आंख, नाक या मुंह) के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है। संक्रमित पशु या वन्य पशु से मानव में वायरस का संचरण काटने, खरोंचने, शरीर के तरल पदार्थ एवं घाव से सीधे अथवा अप्रत्यक्ष संपर्क (जैसे दूषित बिस्तर) के माध्यम से हो सकता है। उन्होंने आगे बताया, मंकीपॉक्स का इनक्यूबेशन पीरियड आमतौर पर सात से 14 दिनों का होता है। हालांकि, यह पांच से 21 दिनों तक हो सकता है और इस अवधि के दौरान व्यक्ति आमतौर पर संक्रामक नहीं होता है. संक्रमित व्यक्ति शरीर पर चकत्ते दिखने के एक से दो दिन पहले तक रोग फैला सकता है। सभी चकत्तों से जब तक पपड़ी गिर न जाए रोगी तब तक संक्रामक बना रह सकता है। गौरतलब है कि हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मंकीपॉक्स बीमारी को लोक स्वास्थ्य के हित में विश्व स्तर पर चिंताजनक घोषित किया है। मध्य प्रदेश में मंकी पॉक्स को लेकर लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग ने एडवाइजरी जारी करते हुए मंकीपॉक्स के नियंत्रण और उससे बचाव के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने के लिए जिला कलेक्टरों के अलावा चिकित्सा महाविद्यालय के अधिष्ठाता, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी और सिविल सर्जन को निर्देश दिए गए हैं।