रीवा के डॉ. रुद्रसेन गुप्ता के खिलाफ न्यू संकल्प नशा मुक्ति केंद्र (एनजीओ) का डायरेक्टर और उसके साथी छेड़खानी की झूठी एफआईआर कराना चाहते थे। डॉक्टर को आरोपी पीटते हुए थाने तक ले गए। एफआईआर कराने में नाकाम रहे, इसके बाद वापस एनजीओ लेकर पहुंचे और डॉक्टर को दोबारा इतना पीटा कि इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। डॉ. रुद्रसेन की पत्नी सुनीता गुप्ता ने दैनिक भास्कर से बातचीत में कहा, ‘इसके पहले भी एनजीओ डायरेक्टर नीलेश तिवारी ने जब पति का कॉलर पकड़ा था, तो वे घर आकर मेरे और बेटी के सामने फूट-फूटकर रोए थे।’ सुनीता का क्या-कुछ कहना है, पहले मामला जान लेते हैं… महिला समेत 3 आरोपी अरेस्ट, डायरेक्टर समेत 2 फरार
शहर के कृष्णा नगर में रहने वाले डॉ. रुद्रसेन, पद्मधर कॉलोनी में संचालित न्यू संकल्प नशा मुक्ति केंद्र में ढाई साल कार्यरत रहे। 2 महीने पहले उन्होंने नौकरी छोड़ दी थी। एनजीओ डायरेक्टर नीलेश तिवारी, असिस्टेंट डायरेक्टर शशांक तिवारी, प्रोजेक्ट मैनेजर प्रसून तिवारी, प्रियंका तिवारी और राजकुमार तिवारी पर उनकी हत्या का आरोप है। नीलेश और राजकुमार फरार हैं। बाकी तीन आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं। थाने से ही अस्पताल भेज दिया जाता तो…
जिस दिन की बात है, उस रोज रक्षाबंधन के दिन मैं भाई को राखी बांधने मायके गोविंदगढ़ चली गई थी। मेरी 14 साल की बेटी सदमे में है। हमारे मां-बाप दुनिया में नहीं हैं। पति और मैं ही एक- दूसरे का सहारा थे। बेटी पूछ रही है कि मम्मी पापा क्या अब कभी लौट कर नहीं आएंगे। उन्होंने पापा को क्यों मार डाला। घर में वही एक कमाने वाले थे। आरोपियों ने पहले उन्हें पीटा और फिर घायल हालत में ही थाने ले गए। केस दर्ज करने का दबाव डाला, पुलिस ने छेड़खानी का केस दर्ज करने से इनकार कर दिया। पति की चोटिल हालत देखकर सवाल भी किए। यहां से आरोपी दोबारा पति को एनजीओ ले गए। उन्हें मरते दम तक मारा। जब तक अस्पताल में भर्ती कराया, तब तक हालत बेहद बिगड़ चुकी थी। जब उन्हें आरोपी थाने ले गए थे, तब भी वे घायल थे। अगर उसी समय उन्हें थाने से अस्पताल भेज दिया जाता, तो उनकी जान बच जाती। आज हम इस तरह असहाय नहीं होते। कहा था कि फोन बंद आए तो समझना मुझे बंधक बनाया होगा…
पैसे के लेनदेन को लेकर पति की नीलेश तिवारी से अनबन चल रही थी। दो महीने से सैलरी नहीं दी थी, इसीलिए उन्होंने नौकरी छोड़ दी थी। जब-जब वे पिछले पैसे लेने जाते थे, एनजीओ डायरेक्टर उन पर भड़क जाता था। 19 अगस्त को आरोपियों ने उन्हें एनजीओ के दफ्तर बुलाया। डॉक्टर साहब (पति) ने मुझसे कहा था कि घर से निकलने के बाद 1 घंटे तक अगर मेरा फोन बंद आए, तो समझ लेना कि उन्होंने (आरोपियों) मुझे बंधक बना लिया। मैं और मेरी बेटी इस बात को लेकर बहुत परेशान रहते थे। अक्सर हम उन्हें मना करते थे कि आप वहां मत जाओ, वहां आपकी जान को खतरा है। घर की जरूरतों की वजह से अपना पिछला पैसा लेने के लिए वे डायरेक्टर के पास जाते थे। हमने उन्हें पहले कभी इस तरह रोते हुए नहीं देखा था…
इसके पहले नीलेश तिवारी ने उनका कॉलर पकड़कर उनके साथ अभद्रता की थी, गाली-गलौज करते हुए जान से मारने की धमकी भी दी थी, पति घर आकर मेरे और बेटी के सामने फूट-फूटकर रोए थे। उन्होंने मुझसे कहा था कि मुझे पूरी जिंदगी में इस तरह किसी ने जलील नहीं किया। आज मैं खुद को बहुत कमजोर महसूस कर रहा हूं। हमने भी इससे पहले उन्हें कभी इस तरह से रोते हुए नहीं देखा था। वो बोलते थे कि मैं भी उन्हें जवाब दे सकता हूं। लेकिन, तुम्हारे और बेटी के चेहरे को देखकर उन्हें कुछ नहीं कहता। बेटी को बहुत प्यार करते थे। जब भी कोई बोलता था कि आपके कोई बेटा नहीं है, तो कहते थे कि मेरी बेटी-बेटा सब यही है। खुद ही उसे घर में पढ़ाते थे। (जैसा डॉ. रुद्रसेन गुप्ता की पत्नी सुनीता गुप्ता ने भास्कर को बताया) आरोपियों की प्रॉपर्टी पर बुलडोजर चलाने की मांग
सुनीता गुप्ता ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से आरोपियों के घरों पर बुलडोजर चलाने की मांग की। उन्होंने कहा कि नशा मुक्ति केंद्र से अपराध का गोरखधंधा चल रहा है। ऐसे मकान को गिरा देना चाहिए। सरकार और मुख्यमंत्री ने हमें बहन बनाया है, इसलिए अब ये बहन उनसे न्याय की गुहार लगा रही है। महिला ने खुद कबूला कि छेड़खानी का आरोप झूठा
सुरेश गुप्ता ने बताया, ‘मौसा डॉ. रुद्रसेन गुप्ता 15 साल से डॉक्टर थे। पहले वे शहर के निपानिया में क्लिनिक चलाते थे, इसके बाद कई साल तक चिरहुला कॉलोनी में क्लिनिक चलाई। बाद में वे नशा मुक्ति केंद्र में नौकरी करने लगे। नशा मुक्ति केंद्र के संचालक ने उन पर छेड़खानी के आरोप लगाए। उसने महिला को सामने रखकर झूठे आरोप में फंसाने की कोशिश की। बाद में महिला ने खुद कबूला है कि मैंने दबाव में आकर झूठा आरोप लगाया था।’ सीसीटीवी कैमरे की हार्ड डिस्क और डीवीआर साथ ले गए
सिविल लाइन थाना प्रभारी कमलेश साहू ने बताया कि आरोपी इतने चालाक हैं कि घटना के बाद हार्ड डिस्क और डीवीआर भी अपने साथ लेकर फरार हो गए हैं। पहली बार मारपीट नशा मुक्ति केंद्र के अंदर की गई। जाहिर तौर पर मारपीट की पूरी घटना नशा मुक्ति केंद्र में लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हुई होगी। पुलिस कोशिश कर रही है कि फरार आरोपियों की जल्द गिरफ्तारी के साथ उनके कब्जे से हार्ड डिस्क और डीवीआर भी बरामद कर सके।