मरीज बेहाल:एम्स की ओपीडी में कतारें, परिजन ही खींच रहे स्ट्रेचर, 3 दिन से चक्कर काट रहे कैंसर पेशेंट

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हड़ताल खत्म लेकिन ओपीडी में 22 फीसदी की गिरावट एम्स की ओपीडी में बुधवार को जमकर भीड़ रही। डर्मेटोलॉजी, पल्मोनरी, न्यूरोलॉजी, कार्डियोलॉजी, त्वचा रोग, कैंसर और न्यूरोसर्जरी विभाग की ओपीडी में लंबी कतारें दिखीं। छतरपुर से आए संजय सेन ने बताया कि वे तीन दिन से एम्स आ रहे हैं। पिता के लंग्स में पानी भर रहा है। कैंसर विभाग में दिखाया तो आज आने को कहा था। अब तक भर्ती नहीं किया गया है। इधर, मरीजों के परिजन स्ट्रेचर भी खुद खींचते दिखाई दिए। तीन दिन से ऑर्थोपेडिक्स ओपीडी में फिजियोलॉजी और एनॉटामी के डॉक्टर्स मरीज देख रहे थे। कोलकाता में लेडी डॉक्टर से रेप और हत्या के विरोध में लगातार रेजीडेंट डॉक्टर्स के हड़ताल पर जाने के कारण ओपीडी में गिरावट आई। बुधवार को हड़ताल खत्म हो गई फिर भी 22% ओपीडी कम रही। 3863 मरीजों का पर्चा बनाया गया। बता दें कि 20 अगस्त को ओपीडी में 33% कमी आई थी। बुधवार से स्थिति सामान्य होना शुरू हो गई। एम्स के आरडीए ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट की अपील के बाद ओपीडी में सेवाएं देना शुरू कर दिया है। हालांकि प्रदर्शन न्याय मिलने तक जारी रहेगा। गुरुवार को रेसीडेंट डॉक्टर्स काले कपड़े पहनकर ओपीडी चलाएंगे। डॉक्टर्स के लिए बनेगी आरएफआईडी, तभी वे ड्यूटी रूम में दाखिल हो सकेंगे एम्स प्रबंधन से मिली जानकारी के अनुसार अब डॉक्टर्स की सुरक्षा के लिए रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (आरएफआईडी) कार्ड बनाए जाएंगे। इसमें डॉक्टर का थंब या फेस कार्ड जनरेट किया जाएगा, जिसकी मदद से डॉक्टर अपने ड्यूटी रूम को खोल सकेगा। अगर कोई व्यक्ति डॉक्टर के ड्यूटी रूम में आना भी चाहता है तो इसके लिए डॉक्टर की आरएफआईडी की आवश्यकता पड़ेगी। यह यहां के 200 से ज्यादा डॉक्टरों को दिए जाएंगे। कैमरों की संख्या बढ़ाने के साथ 150 जगहों पर अलार्म लगाए जाएंगे। हमीदिया में जूडा ने दूसरे दिन भी लगाई समानांतर ओपीडी भोपाल के हमीदिया हॉस्पिटल में जूनियर डॉक्टर्स ने लगातार दूसरे दिन बुधवार को भी समानांतर ओपीडी लगाई। बिल्डिंग के बाहर ओपीडी लगाकर 100 मरीजों का इलाज किया। मरीज अगर इमरजेंसी स्थिति में है तो उसे रैफर किया जा रहा है। वहीं, कैम्पस में रक्तदान शिविर भी लगाया। डॉक्टर्स ने बारी-बारी से रक्तदान किया। एम्स में भी करीब 70 यूनिट रक्तदान किया गया। ^महासंघ ने सीबीआई को जांच सौंपने के बाद आंदोलन वापसी का निर्णय लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने चिकित्सकों की कार्यस्थल पर सुरक्षा को राष्ट्रीय महत्व का विषय बताया तथा इस विषय पर नेशनल टास्क फोर्स का गठन किया गया है। डॉ. राकेश मालवीया, मुख्य संयोजक, चिकित्सक महासंघ, मध्य प्रदेश