बैतूल के दक्षिण वन मंडल क्षेत्र में हुए बटर फ्लाई सर्वे में 43 प्रकार की तितलियां देखी गई हैं। इनमें कई दुर्लभ प्रजातियां भी मिली हैं। यह सर्वे जून में किया गया था जिसकी रिपोर्ट आज (बुधवार) सार्वजनिक हुई। एमपी में इसकी 150 प्रजातियां रिकॉर्ड की गई है। दक्षिण बैतूल (सा.) वनमंडल ने रंग-बिरंगी तितलियों का पहला समर सर्वे करवाया था। वनमंडल में सर्वेक्षण के दौरान 43 प्रकार की तितलियां देखी गई, जिसमें से कई प्रकार की तितलियां ऐसी हैं जो मध्यप्रदेश में कम देखी गई हैं। वनमंडलाधिकारी दक्षिण बैतूल (सा.) वनमंडल विजयानन्तम टी.आर. की पहल पर बैतूल में पाए जाने वाली रंग-बिरंगी तितलियों के बारे में और अधिक जानने के लिए इस वर्ष 19 जून से लेकर 24 जून 2024 तक दक्षिण बैतूल (सा.) वनमंडल के अंतर्गत रंग-बिरंगी तितलियों का सर्वेक्षण किया गया। बंगलौर और इंदौर के बर्ड एक्सपर्ट प्रवल मौर्य, विपुल लूनिया के साथ वन विभाग के दल ने वन मण्डल में यह सर्वे किया था। दुर्लभ प्रजातियां भी मिली
वनमंडल अंतर्गत किए गए सर्वेक्षण में हेस्पेरिडे परिवार की स्पॉटेड स्मॉल फ्लैट तितली भी देखी गई, जो की सिटिजन साइंस के रिकॉर्ड्स के आधार पर अब तक सिर्फ पचमढ़ी में ही रिकॉर्ड की गई थी। इसका बैतूल में मिलना यह संकेत है कि बैतूल में तितलियों की और भी कई असमान्य प्रजातियों के मिलने की सम्भावना है। इनके आलावा स्लेट फ़्लैश कॉमन ट्रीब्राउन, कॉमन शॉट सिल्वरलाइन, कॉमन पॉमफ्लॉय, डबल बैंडेड जुडी, कॉमन थ्री-रिंग, कॉमन हेज ब्लू, कॉमन माइम स्वैलोटेल इत्यादि शामिल हैं। सर्वेक्षण में तितलियों की प्रजातियों का दस्तावेजी करण भी किया गया, जिससे तितलियों के बेस लाइन डेटा को समृद्ध किया जा सके, साथ ही साथ तितलियों और उनके पारिस्थितिक महत्व के बारे में लोगों में जागरूकता फैलाई जा सके। बेहद रोमांचक है यह दुनिया
डीएफओ विजयननतम ने बताया, अंडे से रंगीन कैटरपिलर तक, कैटरपिलर से प्यूपा और फिर वयस्क तितली चार विभिन्न जीवन चक्रों में बंटी तितलियों की दिलचस्प दुनियां मन में जिज्ञासा जगाती है। परिस्थितिकी तंत्र में होने वाले मामूली से बदलाव को भी पहचान सकने वाली तितलियां लगभग पूरी दुनिया में पाई जाती हैं और यह पर्यावरण के स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक संवेदनशील संकेतक होती हैं। पौधों के सबसे मुख्य परागणकर्ता, तितलियां हम मनुष्यों के जीवन के लिए अति महत्वपूर्ण हैं। बैतूल के जंगल बेहद समृद्ध
किसी भी जगह तितलियों की समृद्धता पर्यावरणीय कारकों जैसे आर्द्रता, तापमान और लार्वा होस्ट पौधों की उपलब्धता से प्रभावित होती है, क्योंकि तितलियां केवल विशिष्ट पौधों पर ही अंडे देती हैं जिन्हें लार्वा होस्ट पौधे कहा जाता है। बैतूल की प्राकृतिक सुंदरता में यहां के जंगल महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यहां के जंगलों के विविध प्रकार के पेड़-पौधे कई प्रकार की तितलियों को आकर्षित करते हैं। भारत में 15 सौ प्रजाति मिलती है
भारत समृद्ध जैव विविधता वाले देशों में से एक है, जहां दुनिया भर में पाई जाने वाली लगभग 17,000 तितली प्रजातियों में से लगभग 1500 प्रजातियां पाई जाती हैं जिनमें से कई स्थानिक है। अर्थात जो भारत के अलावा कहीं और नहीं पाई जाती। भारत दुनिया में तितली विविधता का एक हॉटस्पॉट है। मध्यप्रदेश में 150 से भी ज्यादा प्रजातियों की तितलियों को रिकॉर्ड किया गया है। देखिए फोटोज…