निकायों की माली हालत खराब:इंदौर में प्रति व्यक्ति टैक्स भुगतान 1933 तो मुरैना में महज 126 रु., संपत्ति कर की दरें सालों से नहीं बदली

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प्रदेश के 16 नगर निगमों सहित 413 नगरीय निकायों की वित्तीय जांच में पता चला है कि विकास का जिम्मा उठाने वाले निकायों का खुद का बजट बुरी तरह बिगड़ा हुआ है। इंदौर सबसे बेहतर हालत में है जबकि बुरहानपुर सबसे बुरी हालत में है। दरअसल, नगरीय आवास एवं विकास विभाग जांच कर पता लगा रहा है कि कहां किस चीज पर फोकस करके आमदनी बढ़ाई जा सकती है। बुरहानपुर जैसे जिलों में सालों से प्रॉपर्टी टैक्स संशोधित नहीं हुई है, तो बड़ी संख्या में निकाय ऐसे हैं जिन्होंने सालों से ट्रेड लाइसेंस दिए ही नहीं। बड़े बकायादारों की लिस्टिंग करके प्रयास होगा कि अटके भुगतानों का बड़ा हिस्सा निकायों को मिल जाए। लगभग सभी निकायों में पानी सप्लाई का फिक्स चार्ज है। 5000 वर्ग फीट का मकान मालिक वही चार्ज देता है जो 500 वर्ग फीट वाला देता है। टैक्स दायरे में 15 से 20 % लोग बाहर हैं। इन बिंदुओं पर विचार शहर राशि शहर राशि इंदौर 1933 हैदराबाद 1642 भोपाल 976 चेन्नई 1550 जबलपुर 670 सूरत 680 ग्वालियर 650 आगरा 150 मुरैना 126 बुरहानपुर 165 मप्र मंे मप्र के बाहर भोपाल और इंदौर जैसे निगम पानी सप्लाई पर भारी खर्च करते हैं। विचार हो रहा है कि पानी का टैक्स इतना हो कि जलापूर्ति का पूरा खर्च टैक्स से निकल जाए। निकायों में बड़े बकायादारों से वसूली हो ताकि बकाया टैक्स का बड़ा हिस्सा मिल जाए, छोटे बकायादारों में भुगतान का माहौल बनेगा। निकाय प्रॉपर्टी टैक्स की दरें संशोधित कर निगमों का राष्ट्रीय औसत टैक्स कलेक्शन 500 करोड़, मप्र का 250 करोड़ देश के बड़े नगर निगमों का सालाना औसत टैक्स कलेक्शन लगभग 500 करोड़ है जबकि मप्र में ये आंकड़ा 250 करोड़ है। सभी निकायों को मिलाकर राष्ट्रीय स्तर पर टैक्स कलेक्शन 23 करोड़ है तो मप्र में 8.2 करोड़ है। पिछले वित्तीय वर्ष में भोपाल निगम की आय 220 करोड़, इंदौर की 400 करोड़, जबलपुर की 95 करोड़ और ग्वालियर की लगभग 100 करोड़ रही है।