भगवान के चरणों में जितना समय बीत जाए उतना अच्छा है। इस संसार में एक-एक पल बहुत कीमती है। जो बीत गया सो बीत गया। इसलिए जीवन को व्यर्थ नहीं करना चाहिए। भगवान द्वारा प्रदान किए गए जीवन को भगवान के साथ और भगवान के सत्संग में ही व्यतीत करना चाहिए। भागवत प्रश्न से प्रारंभ होती है और पहला ही प्रश्न है कि कलयुग के प्राणी का कल्याण कैसे होगा? इसमें सतयुग, त्रेता और द्वापर युग की चर्चा ही नहीं की गई है। ऐसे में यह प्रश्न उठता है कि बार-बार यही चर्चा क्यों की जाती है, अन्य किसी की क्यों नहीं। इसके कई कारण हैं जैसे अल्प आयु, भाग्यहीन और रोगी। उक्त विचार कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में बुधवार से आरंभ हुई संगीतमय भागवत कथा में कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा के भतीजे पंडित शिवम मिश्रा ने कहे। पंडित शिवम मिश्रा ने बुधवार से भागवत कथा के साथ यहां पर सुंदर भजनों की प्रस्तुती दी। यहां आए श्रद्धालुओं को भाव विभोर कर दिया। गुरुवार को कथा के दूसरे दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह उत्सव मनाया जाएगा। कथा के पहले दिन उन्होंने कहा कि इस संसार में जो भगवान का भजन न कर सके, वह सबसे बड़ा भाग्यहीन है। भगवान इस धरती पर बार-बार इसलिए आते हैं ताकि हम कलयुग में उनकी कथाओं में आनंद ले सकें और कथाओं के माध्यम से अपना चित्त शुद्ध कर सकें। व्यक्ति इस संसार से केवल अपना कर्म लेकर जाता है। इसलिए अच्छे कर्म करो। भाग्य, भक्ति, वैराग्य और मुक्ति पाने के लिए भगवत की कथा सुनो।