जिले में रुक-रुककर हो रही वर्षा से फसलों को काफी नुकसान हो रहा है। जिले में जून से आज 21 अगस्त तक 1049 मिलीमीटर औसत वर्षा हो चुकी है। जो सामान्य से करीब 316 मिमी अधिक है। हालाकि खंड वर्षा के कारण जिले में कहीं-कहीं ज्यादा नुकसान होने की आशंका है। जबकि विकासखंड क्षेत्रों में धूप खिलने और मौसम साफ होने के कारण फसलों को ज्यादा नुकसान की आशंका से कृषि अधिकारी इनकार कर रहे हैं। कृषि अधिकारियों का कहना है कि फसलों का सर्वे कराने के बाद स्पष्ट हो सकेगा कि जिले में अतिवर्षा से कितना नुकसान हुआ है। वहीं किसानों का कहना है कि लगातार वर्षा के कारण फसलों की बढ़त (ग्रोथ) रूक गई है। आसमान में बादलों के छाए रहने व अतिवर्षा से मक्का फसल की जड़ों में सड़न आने के साथ ही उसमें रोग फैल रहा है। सोयाबीन की फसल पीली पड़ने लगी है। केवलारी के किसान सुजीत राय, रामसिंह जंघेला, संदीप बघेल, तीरथ जंघेला, धर्मेन्द्र चौरसिया, पूनम जंघेल,अशोक बांदेवर सहित अन्य किसानों ने बताया कि लगातार वर्षा के कारण खेतों में लगी मक्का फसल पीली पड़ने के साथ ही इसकी बढ़त रुक गई है। सिवनी मुख्यालय सहित कुरई-सुकतरा क्षेत्र के किसान भी मक्का फसल में ज्यादा नुकसान की बात कह रहे हैं। कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को मौसम साफ होने पर मक्का, सोयाबीन व सब्जी फसल में बढ़त को बरकरार रखने नैनो यूरिया के अलावा सूक्ष्म पोषक तत्वों का छिड़काव करने की सलाह दी है। खेत मे पानी एकत्रित होने से नुकसान कृषि उपसंचालक मारिख नाथ ने बताया कि रोगग्रस्त फसलों के बेहतर प्रबंधन हेतु आवश्यक दवाओं का छिड़काव करने की सलाह कृषि विज्ञान केंद्र के विज्ञानियों की ओर से किसानों को लगातार दी जा रही है। खेतों से वर्षा के पानी का ठहराव होने से फसलों को नुकसान हो रहा है। किसानों को खेतों में जल निकासी का उचित प्रबंध करने की सलाह दी जा रही है। हालाकि जिले के दो लाख हेक्टेयर रकबे में लगी धान फसल को ज्यादा नुकसान नहीं है। लेकिन आगामी समय में वर्षा के कारण धान फसल पीली पड़ सकती है। जिले में 1.88 लाख हेक्टेयर में मक्का, 23 हजार में अरहर, 12 हजार में उड़द, 6 हजार में मूंग, 15 हजार में सोयाबीन तथा 6500 हेक्टेयर में कोदो कुटकी फसल लगी है। कहीं तेज तो कहीं रुक-रुक कर बारिश कृषि अधिकारियों के अनुसार जिले में कहीं कम तो कहीं जोरदार वर्षा का प्रभाव देखने को मिल रहा है। लखनादौन क्षेत्र में बीते तीन दिनों से वर्षा का दौर थमा हुआ है। जबकि सिवनी मुख्यालय सहित धनौरा, पलारी, केवलारी, गोपालगंज, सुकतरा इत्यादि क्षेत्रों में रुक-रुक कर तीन दिनों से लगातार वर्षा हो रही है। इससे खेतों में लगी मक्का फसल पीली पड़कर खराब होने लगी है। सिवनी, केवलारी, कुरई, धनौरा विकासखंड में लगी फसलों पर वर्षा का ज्यादा असर देखने को मिल रहा है। वहीं बरघाट, छपारा, लखनादौन और घंसौर विकासखंड में फसल नुकसानी कुछ कम है। मक्का फसल हुई प्रभावित अत्याधिक वर्षों से मक्का फसल के नुकसान पर किसानों का कहना है कि पौधे की बढ़त रुक गई है। पौधे मुश्किल से एक फीट ऊंचे होकर पीले पड़ गए हैं। इसमें मक्के के भुट्टे नहीं आएंगे तथा जो पौधे दो फिट तक आए हैं, उसमें मक्का का फल नहीं आएगा और जो बड़े पौधे हैं उनमें भी फल कमजोर व छोटा आएगा। ज्यादा वर्षा से मक्का फसल सबसे ज्यादा प्रभावित है। अखिल भारतीय किसान सभा के जिला संयोजक डीडी वासनिक, राजेंद्र जैसवाल, डा. बीसी उके, कन्हैया खरटि, प्रीतम सिंह उईके, पीआर इनवाती, आरसी शर्मा, समद। खान, परमहंस हिरकने, तीरथ प्रसाद गजभिए, राहुल कुमार, अंगद सिंह बघेल, शंभू सिंह बघेल आदि ने जिला प्रशासन से जिले में मक्का, फसल का सर्वे कराने की मांग की है। कृषि विभाग के उपसंचालक मोरिस नाथ का कहना है कि जिले में खंड वर्षा हो रही है। कुछ स्थानों पर रुक रुक कर पानी गिर रहा है। जबकि कुछ विकासखंड में लगातार वर्षा बाद हो रही है। फसलों का सर्वे करवाने के वास्तविक स्थिति स्पष्ट हो सकेगी। खेतों में जल भराव के कारण 10 से 15 प्रतिशत तक मक्का फसल को नुकसान की आशंका है।