एससी-एसटी संगठनों के भारत बंद आव्हान का असर कई शहरों में हैं। हालांकि खंडवा में बंद का असर नहीं रहा। यह दलित-आदिवासी संगठन के कुछ नेताओं ने अंबेडकर प्रतिमा पर पहुंचकर नारेबाजी की। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध किया। आरक्षण के वर्गीकरण को लेकर सरकार की साजिश बताई। रैली निकालकर राष्ट्रपति के नाम कलेक्टर को ज्ञापन दिया। अंबेडकर स्मारक समिति के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. डीएल भगोरिया का कहना है कि आज आंदोलन और भारत बंद का आव्हान किया गया है। आरक्षण के संबंध में सुप्रीम कोर्ट का फैसला समाज के विपरित हैं। मुख्य रूप से जिन्होंने भी रीट दायर की है। लेकिन हमारे समाज और वर्ग को पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया। सुप्रीम कोर्ट को इस केस में रिव्यू और पुर्नावलोकन करना चाहिए। पहले इस वर्ग को सुना जाए। बाबा साहेब अंबेडकर ने संविधान को रचा है, उसी समय आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए आरक्षण की व्यवस्था की है। इसी पिछड़ेपन के कारण देश में विकास नहीं हो पाया है, जो होना है। हर दृष्टिकोण से भारतीय समाज में खासकर अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग का नागरिक पिछड़ा हुआ है। आज भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने मनमाने तरीके से अपने लोगों को नियुक्त कर जो फैसला करवाया है, वह विधि विरूद्ध है। यदि कोई याचिका लगी थी तो निश्चित रूप से एससी-एसटी और ओबीसी वर्ग को सुनवाई का मौका मिलना था। अभी हमारा वर्ग उस स्तर तक नहीं पहुंच पाया है। इस फैसले के कारण समाज में अशांति का माहौल है। समाज को आघात पहुंचा हैं, रैली निकालकर राष्ट्रपति के नाम कलेक्टर को ज्ञापन देंगे।