75 मिनट में सवा 2 इंच बारिश होने से दीनदयाल चौराहा क्षेत्र की सड़कें जलमग्न हो गईं। इसके बाद पानी आसपास के घरों-दुकानों में भरने लगा। इसका कारण झील में मिलने वाले गंदे पानी को रोकने के लिए किए गए नाला टेपिंग के प्वाइंट पर तीन दिन पहले ही स्लूज गेट लगाना बना। लोगों ने इसकी सूचना महापौर संगीता सुशील तिवारी और निगमायुक्त राजकुमार खत्री को दी। उनके निर्देश पर नगर निगम की टीम मौके पर पहुंची। पानी निकासी के लिए स्लूज गेट हटाना पड़ा। इससे लोगों के घरों और आसपास के क्षेत्र में भरा पानी नाले से होते हुए सीधे झील में जाने लगा। लोगों के घरों से तो पानी निकल गया लेकिन इस मामले ने नाला टेपिंग में की गई लापरवाही की तस्वीर सामने ला दी। यह स्थिति तब बनी है जब 92 करोड़ रुपए के झील सौंदर्यीकरण के प्रोजेक्ट में 75 करोड़ रुपए का भुगतान अश्वथ इंफ्रा कंपनी को हो चुका है। दरअसल, नाला टेपिंग में ऐसा काम किया गया है कि 3 से 4 फीट तक तो पानी बहकर सीधे नाले से मोगा होकर निकलता रहेगा लेकिन जैसे ही इससे ज्यादा होगा तो सीधा झील में मिलने लगेगा। अब यह जिम्मेदारी स्मार्ट सिटी के अफसरों की है कि वे इस मामले का उचित हल निकालें जिससे जलभराव भी न हो और गंदा पानी भी नाले में न मिले। घर-आंगन में 2 फीट पानी, पहली बार ऐसी स्थिति बनी बारिश के पानी की जब निकासी नहीं हो सकी तो आसपास के घरों में पानी भरने लगा। लोगों के घर-दुकान में दो से ढाई फीट तक पानी भरा। तालाब के आसपास के क्षेत्र में रहने वाले लोगों का कहना है कि अभी तक उनके घरों में कभी पानी नहीं भरता था, पहली बार ऐसा काम किया गया कि घरों में इस तरह से पानी भरा। रिशांक तिवारी ने पहुंचकर निगम के अमले के साथ पानी निकासी का प्रबंध कराया। तीन दिन पहले बंद किया था गेट, हटाना पड़ा नाला टेपिंग के बाद भी झील में दो जगह से गंदा पानी मिल रहा था। इसके वीडियो वायरल होने के बाद स्मार्ट सिटी के वे अफसर जागे जो नाला टेपिंग की वाहवाही लूट रहे थे। उन्होंने शहनाई गार्ड और संजय ड्राइव के आगे नालों पर स्लूज गेट लगा दिए। ताकि जो गंदा पानी झील में मिल रहा था, उसे रोका जा सके। बारिश में जलभराव से गेट हटाने पर उससे भी ज्यादा पानी मिल गया। भोपाल के अफसरों ने बनाया था कागजी प्लान नाला टेपिंग का पूरा प्लान भोपाल से बना। अफसरों ने वहीं बैठे तय कर दिया कि 900 मीटर डाया के पाइप डालकर नालों को टेप कर दिया जाए। इसमें यह ध्यान ही नहीं रखा कि सिविल लाइन, तहसीली क्षेत्र से लगा हुआ पहाड़ी एरिया होने से आसपास के वार्डों से पानी ज्यादा आएगा। स्थानीय अफसर भी कुछ बोलने की जगह मौन रहे। इसी का नतीजा अब नाले में गंदा पानी मिलने के रूप में सामने आ रहा है। पार्षद का आरोप- निरीक्षण-बैठकें कर धोखे में रख रहे, नाला नहीं बनवा रहे मंगलवार को हुई बारिश के बाद गुरुगोविंद सिंह वार्ड से कांग्रेस पार्षद शशि महेश जाटव ने निगम के अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए। उनका कहना है कि हम लगातार कह रहे हैं कि अतिक्रमण हटाकर नाले बनाएं, कोई नहीं सुन रहा। 66 लाख के एक नाला निर्माण के लिए निगमायुक्त से कई बार बात की लेकिन सिर्फ फाइल चल रही है। वार्ड के लोगों की समस्या का स्थाई हल काम से निकलेगा, बैठकें-बैठकें करने और निरीक्षण करने से सिर्फ झूठे आश्वासन ही मिलते हैं।