एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमीलेयर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर मंगलवार को भारत बंद का आह्वान किया गया है। अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) के संगठनों की ओर से बुलाए गए बंद का जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस) भी समर्थन करेगा। मंगलवार देर रात समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ मनोज यादव ने भी वीडियो जारी कर बंद को समर्थन देने का ऐलान किया। धार जिले की मनावर सीट से कांग्रेस विधायक और जयस के राष्ट्रीय संरक्षक डॉ. हीरालाल अलावा और भांडेर से कांग्रेस विधायक फूल सिंह बरैया इस बंद के समर्थन में हैं। वहीं, कांग्रेस इस बंद को लेकर पशोपेश में है। कांग्रेस ने इस बंद को लेकर फिलहाल स्थिति साफ नहीं की है। इधर, पुलिस – प्रशासन बंद को लेकर अलर्ट है। गृह विभाग ने कानून व्यवस्था को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए हैं। उधर, ग्वालियर के कई स्कूलों ने आज छुट्टी घोषित की है। ग्वालियर कलेक्टर ने मंगलवार रात से ही धारा 144 के आदेश लागू कर दिए। अलावा बोले- एसटी/एससी आपस में लड़ेंगे, हम कमजोर होंगे विधायक डॉ. हीरालाल अलावा ने कहा, ‘देश भर के एससी-एसटी और ओबीसी वर्ग से जुड़े संगठनों ने भारत बंद का आह्वान किया है। भारत बंद इसलिए किया गया है, क्योंकि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने जजमेंट देते हुए कहा कि एसटी और एससी के आरक्षण में क्रीमीलेयर की व्यवस्था होनी चाहिए। जैसे किसी ने एक पीढ़ी में आरक्षण का फायदा उठा लिया, तो दूसरी पीढ़ी को उसका फायदा नहीं मिलना चाहिए।’ विधायक ने कहा, ‘सब जानते हैं कि देश में एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग 5000 सालों से कहीं न कहीं गुलामी में था। अंग्रेजों के शासन के बाद बाबा साहब के संविधान को लागू किया गया। एससी, एसटी और ओबीसी को बराबरी पर खड़ा करने के लिए हमारे पुरखों ने संघर्ष कर संविधान में आरक्षण की व्यवस्था की। इस आरक्षण की व्यवस्था को धीरे-धीरे बांटा गया है। एसटी और एससी के सब क्लासिफिकेशन की जो बात की गई है, उसमें एससी, एसटी वर्ग का बड़ा भाग इसमें बंटेगा। निश्चित रूप से जब एससी, एसटी वर्ग आपस में ही कॉप्टीशन कर एक – दूसरे से आरक्षण के लिए लड़ेंगे, तो कहीं न कहीं हम और ज्यादा कमजोर होंगे। कांग्रेस विधायक बरैया बोले-मोदी सरकार के वकीलों ने कोर्ट में सही तथ्य नहीं रखे भांडेर से कांग्रेस विधायक फूल सिंह बरैया ने कहा- हम इस बंद का समर्थन करें। लेकिन, बंद के आंदोलन में ये याद रखें कि हमें शांतिप्रिय संवैधानिक रास्ता अपनाएं। क्योंकि, इस तरह की आरक्षण से संबंधित जो रैलियां होती हैं। उनमें षड़यंत्रकारी षड़यंत्र करके डिस्टर्ब करते हैं। अगर कोई गाली भी देता है तो हम उन्हें संभालने की कोशिश करें। और शीर्ष प्रशासनिक अधिकारी को ज्ञापन सौंपें। जिसमें सुप्रीम कोर्ट का जो निर्णय है वो संविधान के खिलाफ है। मोदी जी की सरकार के मंत्रियों ने पहले ही घोषणा की थी कि हम संविधान खत्म करेंगे, आरक्षण को खत्म करने के लिए उनके पास बहुमत नहीं था इसलिए सुप्रीम कोर्ट के माध्यम से आरक्षण करने जैसा फैसला करवाया है। इनके अटॉर्नी जनरल के जरिए सरकार सही पक्ष रखती तो ऐसा फैसला नहीं आता। इनके वकीलों ने जो पक्ष रखा उसके आधार पर सुप्रीम कोर्ट को ये फैसला देना पड़ा। ये फैसला पूर्ण रूप से असंवैधानिक है। बाबा साहब ने जो संविधान बनाया उसकी सीमाओं को लांघ रहा है। इस फैसले का विरोध करना जरूरी है। मोदी जी की सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर संसद में ऑर्डिनेंस लाएं और इस फैसले को पलटकर संसद में कानून बनाएं। ताकि करोड़ों लोगों का जीवन बदले। यह खबर भी पढ़ें… सुप्रीम कोर्ट ने अपना 19 साल पुराना फैसला पलटा राज्य सरकारें अब अनुसूचित जाति, यानी SC के रिजर्वेशन में कोटे में कोटा दे सकेंगी। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (1 अगस्त) को इस बारे में बड़ा फैसला सुनाया। अदालत ने 20 साल पुराना अपना ही फैसला पलटा है। तब कोर्ट ने कहा था कि अनुसूचित जातियां खुद में एक समूह हैं, इसमें शामिल जातियों के आधार पर और बंटवारा नहीं किया जा सकता। यहां पढ़ें पूरी खबर…