200 लोगों का गांव भूतों के डर से खाली:छतरपुर के चौका में केवल दो पुरुष, एक महिला; भास्कर रिपोर्टर ने रात गुजारकर जाना सच

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मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले की राजनगर तहसील के चौका गांव को सभी लोग भुतहा कहते हैं। 15 साल पहले तक गांव में 200 परिवार रहते थे, लेकिन भूतों के डर से एक-एक कर चले गए। खास बात यह है कि प्रशासन को इस बात की जानकारी नहीं है कि अंधविश्वास की वजह से ये गांव खाली हो चुका है। इस गांव में अब केवल तीन लोग रहते हैं। इनमें एक पंडित जी, दूसरा गांव का चौकीदार और तीसरी बुजुर्ग महिला हैं। तीनों रात को गांव में ही सोते हैं जबकि ग्रामीणों का अंधविश्वास है कि गांव में जो भी रात गुजारता है, दूसरे दिन उसकी तबीयत खराब हो जाती है। ग्रामीणों के इस दावे की पड़ताल के लिए दैनिक भास्कर ने पूरी रात इस गांव में गुजारी। पंडित जी, चौकीदार और बुजुर्ग महिला से बात भी की। ​​​​​​पढ़िए ये रिपोर्ट… गांव के मकान हो गए खंडहर भास्कर की टीम जब चौका गांव पहुंची तो शाम के 4 बजे थे। गांव जंगल के बीच में है। अंदर पहुंचे तो 50 से ज्यादा खंडहर दिखाई दिए। कुछ घर पक्के थे, बाकी सभी कच्चे। पक्के घरों में ताला डला था, कच्चे घर बारिश के चलते आधे से ज्यादा टूट चुके हैं। बड़ी-बड़ी घास और पेड़ उग आए हैं। गांव में घूमते हुए हमारी मुलाकात हुई गाय चरा रहे रामस्वरूप यादव से। रामस्वरूप ने बताया कि वे भी पहले चौका गांव में ही रहते थे। उन्होंने एक खंडहर की तरफ इशारा करते हुए कहा- ये मेरा मकान था। रामस्वरूप से पूछा कि गांव के बाकी लोग अब कहां रहते हैं तो उसने कहा कि गांव से तीन किमी दूर ही सरकारी जमीन पर लोगों ने नए मकान बना लिए हैं। इस नए गांव का कोई नाम नहीं है। यहां रहने वाले आज भी खुद को चौका गांव का ही निवासी बताते हैं। दावा- देवताओं का वास, तांत्रिक भी कुछ नहीं कर सके रामस्वरूप ने दावा किया कि गांव इसलिए खाली हुआ, क्योंकि यहां लोग लगातार बीमार पड़ने लगे थे। उनसे पूछा- बीमार पड़ने की क्या वजह रही? रामस्वरूप ने बताया- गांव में देवताओं का वास है। कुछ साल पहले गांव वालों ने तांत्रिकों को बुलाया था। गांव में रहने वाले देवताओं ने तांत्रिकों को बताया कि उन्हें गांव की जमीन और कुएं से दिक्कत नहीं है। ग्रामीणों से दिक्कत है, वे गांव छोड़कर चले जाएं। लोगों ने कोशिश की कि पूरा का पूरा गांव खाली न हो, लेकिन कई जानकारों ने कहा कि देवता उन्हें सुकून से रहने नहीं देंगे। गांव छोड़ने में ही भलाई है। किसी का कोई उपाय नहीं चल पाएगा। रामस्वरूप ने ये भी बताया कि यहां एक मुस्लिम जानकार भी आया था। उसने दावा किया था कि उसके सामने किसी का बस नहीं चलेगा। वो एक पुराने पेड़ के पास जैसे ही तंत्र-मंत्र की क्रिया करने लगा तो उसके मुंह से झाग निकल गया और वो बेहोश हो गया। इसके बाद शाम ढलने लगी तो रामस्वरूप ने भास्कर की टीम को सलाह दी कि दिन के उजाले में गांव में घूम सकते हैं, लेकिन रात में गांव में न रुकें नहीं तो बीमार पड़ जाएंगे। ये भी कहा कि पहले भी बाहरी लोगों के साथ ऐसा हो चुका है। गांव में रहते हैं केवल तीन लोग चौका गांव में केवल तीन लोग रहते हैं- 80 साल की बुजुर्ग महिला दुर्जन राजा, पंडित आत्माराम तिवारी और गांव का चौकीदार चिंटू बंसल। ये तीनों रात में गांव में ही रुकते हैं। भास्कर की टीम को दुर्जन राजा अपने घर में काम करते हुए मिलीं। उनसे पंडित जी और चौकीदार के बारे में पूछा तो बोलीं- पंडित जी गाय चराने गए हैं, थोड़ी देर में लौटेंगे और चौकीदार भी शाम के वक्त ही लौटेगा। बुजुर्ग दुर्जन राजा बोली- मुझे कभी भूत प्रेत नहीं दिखे भास्कर ने बुजुर्ग महिला से बातचीत की। उनसे पूछा कि गांव में और कोई नहीं रहता, क्या उन्हें डर नहीं लगता? बोलीं- मैं यहां दिन भर अकेली रहती हूं। मेरे तीन बेटे हैं। वे भी अपने परिवार के साथ गांव छोड़ चुके हैं और रोड किनारे बस गए हैं। रात को मेरे साथ सोने के लिए पोते आ जाते हैं। उनसे पूछा- यहां के लोग कहते हैं कि गांव में भूत-प्रेत हैं। बुजुर्ग महिला बोलीं- यहां भूत-प्रेत जैसा कुछ नहीं है। मुझे तो कभी परेशान नहीं किया। बाकी मैं और कुछ बता नहीं सकती। पंडित ने कहा- शक्तियां महिलाओं को उठाकर पटक देती थीं दुर्जन राजा के घर से करीब 150 मीटर दूर पंडित आत्माराम तिवारी का कच्चा घर है। पंडित जी गाय चराने के बाद घर पर पहुंचे। उन्होंने बताया कि गांव के सभी लोग 2 किमी दूर रोड किनारे जाकर बस गए हैं। उनसे पूछा-दुर्जन राज ने कहा कि यहां भूत प्रेत जैसा कुछ नहीं है तो उन्होंने कहा- उनके साथ ये बुरा अनुभव नहीं हुआ। पंडित तिवारी ने कहा- यहां पीर बरम जैसी शक्तियां हैं, जो केवल महिलाओं को परेशान करती हैं। जिस पर ये शक्तियां सवार होती थी, वो महिला यहां-वहां कूदती थी, आखिर में बेहोश हो जाती थी। उसके बाद उनकी तबीयत खराब हो जाती थी। चौकीदार बोला- लोगों ने खजाना ढूंढा, इसलिए परेशान हुए पंडित आत्माराम तिवारी से बातचीत के बाद भास्कर की टीम चौकीदार चिंटू बंसल के घर पहुंची। उसने कहा- यहां जो अत्याचार करते थे उन्होंने अपने कर्मों का फल भोगा है, इसलिए उन्हें गांव छोड़ कर जाना पड़ा। मैं और मेरे पोते यहीं रहते हैं, लेकिन हमें कोई दिक्कत नहीं है। चौकीदार से पूछा कि गांव वालों ने क्या अत्याचार किए? जवाब मिला- यहां दो घरों के आसपास की जमीन के अंदर खजाना है। कहा जाता है कि उसकी रक्षा देवता और गांव के पूर्वज करते हैं। जिन लोगों ने उसे निकालने की कोशिश की, उन्हें दिक्कत हुई। देवताओं और पूर्वजों ने उनका जीना हराम कर दिया। अब मुझे तो वो दौलत चाहिए नहीं, इसलिए मुझे कोई दिक्कत नहीं होती। पड़ोसी गांवों के लोग शाम के बाद गुजरते भी नहीं भास्कर की टीम शाम सात बजे तक गांव में रही। उसके बाद फैसला किया कि इस गांव के लोग जहां बस चुके हैं, वहां जाकर उनसे बात की जाए। रास्ते में मिले स्थानीय पत्रकार रामकिशोर पटेल। पटेल ने कहा- मैं तो दूसरे गांव में रहता हूं। यहां से दो गांवों को जोड़ने वाला रास्ता गुजरता है। दिन में लोग इस रास्ते का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन शाम सात बजे के बाद यहां से कोई नहीं गुजरता। उन्हीं के साथ बिंद्रावन पटेल भी थे। उन्होंने कहा- लोग कहते हैं कि यहां देवताओं का वास है, लेकिन हमें तो कभी कोई दिखाई नहीं दिया। हम लोग यहां कभी आते भी नहीं हैं। गांव को लेकर तरह-तरह की बातें होती हैं। डर तो लगता ही है, इसलिए यहां नहीं आते। गांव छोड़ने वाले बोले- नहीं थीं बुनियादी सुविधाएं चौका गांव को छोड़कर रोड किनारे बसे गांव में पहुंचे तो यहां मिले संतोष तिवारी और मातादीन यादव। मातादीन ने कहा- कोई सुविधा नहीं थी इसलिए गांव छोड़ा। यहां कोई भूत-प्रेत नहीं है। हम भला अपने गांव का नाम क्यों बदनाम करेंगे? सब सुनी-सुनाई बातें हैं। गांव में किसी की शादी भी करना हो तो कोई सामुदायिक भवन तक नहीं है। रोड से तीन चार किमी अंदर है। यदि यहां सारी सुविधाएं हों तो लोग वापस आ जाएंगे। संतोष तिवारी ने कहा- हमारा खेत यहां पास में ही है। उतनी दूर से खेती के लिए आना पड़ता है। यहां सब व्यवस्था होती तो कोई क्यों जाता? रोड नहीं है। जगह की कमी थी इसलिए लोगों ने सरकारी जमीन पर मकान बना लिए। पहले एक व्यक्ति गया, फिर दूसरा। इस तरह पूरा गांव खाली हो गया। सरपंच ने कहा- वहां क्या विकास करवाएंगे, पूरा गांव खाली है चौका गांव कटारा ग्राम पंचायत में आता है, जो गांव से डेढ़ किमी दूर है। इस गांव की सरपंच एक महिला हैं। भास्कर की टीम जब कटारा गांव पहुंची तो सरपंच के ससुर और पति संतोष यादव से मुलाकात हुई। संतोष यादव ने बताया कि बुजुर्ग और पूर्वज कहते हैं कि यहां भूत प्रेत रहते हैं। मैं खुद की बात करूं तो यहां मुझे ऐसा कुछ दिखाई नहीं दिया। केवल अंधविश्वास है। लोगों ने अपनी सुविधा और व्यवस्था के कारण गांव छोड़ा है। गांव में सिर्फ बिजली की व्यवस्था है, बाकी कोई सुविधा नहीं है इसलिए पलायन हुआ। हमने पूछा कि आप विकास क्यों नहीं करवा रहे तो यादव ने कहा- जब मैं सरपंच बना तब मैंने कोशिश की। लेकिन एक बात ये भी सामने आई कि चौका में सरकार का पैसा खर्च करना बेकार है क्योंकि पूरा गांव ही खाली हो गया है। वहां केवल तीन लोग रहते हैं। जिनके आसपास खेत हैं, वो वहां जाते हैं। रात के वक्त कोई नहीं जाता। वहां का रास्ता खराब है। भास्कर रिपोर्टर ने गुजारी पूरी रात, कोई नजर नहीं आया ग्रामीणों से बातचीत के बाद रात 10 बजे भास्कर की टीम एक बार फिर चौका गांव पहुंची। पंडित आत्माराम तिवारी, बुजुर्ग महिला दुर्जन राजा और चौकीदार चिंटू बंसल अपने घरों के दरवाजे बंद कर सो चुके थे। तीनों के घर के बाहर ही रोशनी थी, बाकी गांव अंधेरे में डूबा था। बारिश का सीजन, चारों तरफ घास और झाड़ियों की वजह से जहरीले जानवरों का खतरा था। भास्कर की टीम गांव के बीच में पहुंची और एक टॉर्च के जरिए रोशनी की। रात 12 बजे भास्कर की टीम खंडहर बन चुके घरों में पहुंची। टॉर्च की रोशनी में देखा तो यहां किसी तरह की कोई गतिविधि नजर नहीं आई। गांव के लोगों ने बताया था कि दो घरों के पीछे खजाना गड़ा है। उन घरों के पास भी जाकर देखा तो ऐसी कोई हलचल नजर नहीं आई। सुबह 5 बजे तक भास्कर की टीम इस गांव में रही। एसडीएम बोले- गांव में कराएंगे ट्रस्ट बिल्डिंग एक्सरसाइज चौका गांव पहले राजनगर तहसील का हिस्सा था, अब बिजावर तहसील में आता है। भास्कर ने इस बारे में राजनगर एसडीएम प्रखर सिंह से बात की। उन्होंने कहा- ये अंधविश्वास है। ग्रामीण वापस गांव लौटें, इसके लिए प्रशासन वहां टीम भेजेगा और ट्रस्ट बिल्डिंग एक्सरसाइज करवाएंगे। जहां तक गांव में सुविधाओं की बात है तो बिजावर एसडीएम और तहसीलदार से कॉर्डिनेट कर गांव का सर्वे करवाएंगे।