जिले के राजपुर में भुजरिया पर्व को अनोखे अंदाज से मनाने की परंपरा बर्षों से चली आ रही है। उसी परंपरा के अनुसार मंगलवार को इस बार भी भुजरिया पर्व धूमधाम से मनाया। दोपहर के समय सभी लोग हनुमान चौराहे से गीत गाते हुए गांधी पार्क पहुंचे, जहां पर वर्षों पुरानी परंपरा चांचढ़-लेहगी का आयोजन हुआ। इस कार्यक्रम में गांव के बड़े बुजुर्ग सहित सभी लोग एक हाथ में डंडा व दूसरे हाथ में अपना गमछा लेकर अनोखे तरीके से डंस किया। साथ ही नृत्यांगनाएं भी शामिल हुई जो ढोलक की थाप पर खूब थिरकीं। यह जुलूस के रूप में निकाला गया जिसमें गीतों पर झूमते हुए लोग आगे बड़े। यह आयोजन देर शाम तक चलेगा। ग्रामीणों ने बताया कि यह परंपरा सालों से चली आ रही है इस परंपरा के अनुसार यह आयोजन किया जाता है। दरअसल, कस्बे में रक्षाबंधन के अगले दिन भुजरिया पर्व मनाया जाएगा। इस दौरान जुलूस में महिलाएं अपने अपने सिर पर भुजरिया की टोकरी को रख कर घर से निकली। जिसके बाद रेपरी नका रोड़ होते हुए भुजरियां तालाब पहुंचाकर विसर्जित की गईं। साथ ही देवी-देवता कों भुजरिया अर्पण करने के वाद माथा टेक कर खुशहाली की हुए मनोकामना की।