मध्यप्रदेश में 24 घंटे बाजार खोलने की अनुमति देने का प्रस्ताव अमल में आने से पहले ही रद्द हो गया। श्रम मंत्री प्रहलाद पटेल चाहते थे कि 24 घंटे मार्केट खुला रहे, लेकिन नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय इसके खिलाफ हैं। दो मंत्रियों के मतभेद के बाद राज्य सरकार अब यह सुविधा सिर्फ इंडस्ट्रियल एरिया में देने जा रही है। यानी प्रदेश के इंडस्ट्रियल एरिया में दुकानें 24 घंटे खुली रहेंगी। आखिर क्यों बनाया था 24 घंटे मार्केट खोलने का प्रस्ताव और इस मामले में दो मंत्रियों के बीच सहमति क्यों नहीं बन पाई। पढ़िए रिपोर्ट… ऐसे उठी 24 घंटे मार्केट खुला रखने की बात जून के महीने में श्रम विभाग ने एक प्रस्ताव तैयार किया। ये प्रस्ताव शहरी क्षेत्र और इंडस्ट्रियल एरिया के लिए था। इसके मुताबिक इन क्षेत्रों में लोगों के लिए होटल, रेस्टोरेंट, औद्योगिक इकाइयां और सर्विस सेक्टर से जुड़ी सेवाएं 24 घंटे उपलब्ध होंगी। जो लोग 24 घंटे प्रतिष्ठान खोलेंगे उनके लिए भी नियम बनाया कि वे 8 घंटे की तीन शिफ्ट में कारोबार कर सकते हैं। उनके यहां काम करने वाले कर्मचारियों को हफ्ते में 48 घंटे यानी 6 दिन से ज्यादा काम करने की अनुमति नहीं होगी। इस प्रस्ताव को विधि विभाग और नगरीय विकास एवं आवास विभाग को सहमति के लिए भेजा गया। इस आधार पर लिया था फैसला मामले में कैसे हुई कैलाश विजयवर्गीय की एंट्री प्रहलाद पटेल के बयान के दो दिन बाद 15 जून को नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने इस फैसले पर सार्वजनिक तौर पर आपत्ति जताई थी। इंदौर में एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि इस फैसले को लेकर चर्चा की जाएगी कि इसे कैसे और कितने अनुशासित तरीके से लागू किया जाएगा। उन्होंने ये भी कहा था कि सीएम डॉ. मोहन यादव से इस संबंध में बात की गई है, उन्होंने भी चर्चा करने की सहमति दी है। विजयवर्गीय के बयान के 15 दिन बाद जुलाई के पहले हफ्ते में श्रम विभाग ने नियमों में संशोधन का प्रस्ताव तैयार कर कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेज दिया था। 12 जुलाई को इंदौर के विधायकों की बैठक में उठा मुद्दा मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 12 जुलाई को इंदौर संभाग के बीजेपी विधायकों की बैठक बुलाई थी। बैठक शुरू होते ही मंत्री विजयवर्गीय ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा- 24 घंटे बाजार खुलेंगे तो कानून व्यवस्था बिगड़ेगी। उन्होंने इंदौर का उदाहरण देते हुआ कहा कि इंदौर में नाइट कल्चर लाया गया था, जिसकी वजह से आए दिन सड़कों पर हंगामा होता था। उन्होंने कहा कि इसके चलते शहर के युवाओं में नशे की लत भी बढ़ी। इसी बैठक में उन्होंने एक सीनियर पुलिस अधिकारी को निर्देश भी दिए कि गुजरात और राजस्थान के बॉर्डर पर सख्ती की जाए, क्योंकि दोनों ही राज्यों से ड्रग की सप्लाई हो रही है। बैठक में हो गया था इंदौर नाइट कल्चर बंद करने का फैसला इंदौर संभाग की बैठक के दौरान ही सरकार ने इंदौर के चुनिंदा क्षेत्रों में चौबीसों घंटे चलने वाली दुकानों को बंद रखने का फैसला किया। इसके बाद इंदौर जिला प्रशासन ने बीआरटीएस कॉरिडोर में व्यवसायिक प्रतिष्ठान 24 घंटे खोलने के आदेश को रद्द कर दिया। इस आदेश में कहा गया कि इंदौर में 24×7 एक्टिविटी के लिए नई व्यवस्था लागू की जाएगी। विरोध की क्या वजह रही इस बैठक के बाद श्रम विभाग ने 14 जुलाई को नगरीय विकास एवं आवास विभाग को नोटशीट भेजकर 24 घंटे बाजार खुलने के संबंध में अभिमत मांगा था। नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने 18 जुलाई को अपना मत भेजा। इस बार विभाग ने प्रस्ताव पर असहमति जताते हुए तर्क दिया कि शहरी क्षेत्रों में सफाई का काम रात में सार्वजनिक और बाजारों के बंद होने के बाद ही किया जाना संभव है। अगर 7 दिन 24 घंटे दुकानें खुली रहेंगी तो सफाई व्यवस्था पर विपरीत असर पड़ेगा। अब आगे क्या… श्रम विभाग ने नया प्रस्ताव तैयार किया नगरीय विकास एवं आवास विभाग के शहरी इलाकों में नाइट वर्क कल्चर लागू करने को लेकर मंजूरी न देने पर श्रम विभाग ने प्रस्ताव में संशोधन किया है। अब केवल नोटिफाइड इंडस्ट्रियल एरिया में ही 24 घंटे दुकानें खुली रहेंगी। हालांकि, नगरीय प्रशासन विभाग की आपत्ति के बाद श्रम मंत्री प्रहलाद पटेल का कहना है कि हमने अपना काम किया है। बाजार 24 घंटे खुले, इस फैसले पर अमल नगरीय प्रशासन और गृह विभाग को करना है। नगरीय विकास विभाग ने इंदौर के नाइट वर्क कल्चर को लेकर असहमति जताई है। मुझे लगता है कि जिन क्षेत्रों में सहमति है वहां बाजार 24 घंटे खुल सकते हैं। व्यापारिक संगठनों ने कहा- बिजनेस पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा फेडरेशन ऑफ एमपी चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री फेडरेशन के अध्यक्ष डॉ. आर एस गोस्वामी का कहना है कि यदि बाजार 24 घंटे खुलेंगे तो इससे व्यापारियों को फायदा होगा ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। मुख्य रूप से ये कानून व्यवस्था का सवाल है। रहा सवाल उद्योगों का, तो फैक्ट्री और कारखानों में अभी भी दो शिफ्ट में 24 घंटे काम होता है। एक्सपर्ट बोले- फैसला लागू करने से पहले सहमति बनाना चाहिए थी वरिष्ठ पत्रकार दिनेश गुप्ता कहते हैं कि नाइट वर्क कल्चर का प्रस्ताव यदि श्रम विभाग ने तैयार किया तो सरकार की सहमति से ही किया होगा। यदि दो विभागीय मंत्रियों की असहमति हैं तो ये फैसला लेने से पहले देखना चाहिए था। ये सामान्य प्रशासनिक प्रक्रिया होती है कि जो भी विभाग किसी फैसले में शामिल होते हैं, उनका मत लिया जाता है। नगरीय प्रशासन विभाग की अपनी दिक्कतें होंगी, श्रम की अपनी होंगी। सरकार को मिलजुल कर ही फैसला लेना होता है।