पन्ना में मनाया गया कजलियां का पर्व:लोगों ने बुजुर्गों का आशीर्वाद लिया, ग्रामीण क्षेत्रों में दिखा उत्साह

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पन्ना सहित पूरे बुंदेलखंड क्षेत्र में आज भी कजलियां का पर्व ग्रामीण स्तर पर बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। राखी के दूसरे दिन इस पर्व को मनाने की वर्षों पुरानी परंपरा है। प्रकृति प्रेम और खुशहाली से जुड़े इस त्योहार के दिन लोग अपने घरों में बोई गई कजलियों को नदी-तालाब में विसर्जित कर एक-दूसरे को देकर बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद लेते हैं। जिले में ग्रामीण क्षेत्र में कजलियां का पर्व रक्षाबंधन के दूसरे दिन मंगलवार शाम को मनाया गया। इस त्योहार में सात दिन पहले लोग अपने घरों में खेतों से लाई गई मिट्टी को बर्तनों में भरकर उसमें गेहूं (जवां) बोते हैं। जिन्हें सात दिन तक सिंचाई कर बड़ा किया जाता है। जिसे रक्षाबंधन के दूसरे दिन गांव के लोग एकजुट होकर गांजे बाजे के साथ नदी तालाब के किनारे जाकर कजलियां विसर्जित करते हैं। जिनमें से कुछ कजलियां बचा ली जाती हैं और फिर गांव के लोग अपने परिवार में एक-दूसरे के हाथों में कजलियां देकर इस पर्व को मनाते हैं। साथ ही लोग अपने बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद लेते हैं। मान्यता है कि यह प्रकृति प्रेम और खुशहाली से जुड़ा पर्व है। बहुत से गांवों में झूला, हंडी फोड़, नौका बिहार, निशानेबाजी जैसी प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया जाता है। लेकिन बदलते समय में अब यह त्योहार ग्रामीण स्तर तक ही सीमित रह गया है।