उच्च शिक्षा:पिछले साल की तुलना में इस बार 1 लाख कम एडमिशन, 5 लाख सीटें यूजी में रह गईं खाली

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पिछले साल नवंबर तक चली थी एडमिशन प्रक्रिया प्रदेश के कॉलेजाें में एडमिशन की प्रक्रिया समाप्त हाे गई है। सीएलसी राउंड होने के बाद इस बार अंडर ग्रेजुएट (यूजी) कोर्सेस में पांच लाख सीटें खाली रह गई हैं। यही नहीं, इस बार पिछले साल की तुलना में एक लाख एडमिशन कम हुए हैं। हालांकि पिछले सत्र में एडमिशन नवंबर तक चले थे और इस बार अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में ही समाप्त हो गए हैं। यूजी में इस बार 8.37 लाख सीटों पर एडमिशन होना थे। लेकिन, केवल 3.44 लाख विद्यार्थियों ने ही विभिन्न पाठ्यक्रमों में एडमिशन लिया। इस तरह से 4.94 लाख सीधे-सीधे खाली रह गईं। कम हुए एडमिशन के पीछे कई कारण हैं। पीजी में यूजी फोर्थ ईयर का असर इधर, पीजी फर्स्ट ईयर में भी 2.15 लाख सीटें हैं। लेकिन इसमें भी केवल 97 हजार एडमिशन ही हुए। यानि एक लाख से ज्यादा सीटें खाली रह गईं। इनमें एडमिशन की कम वजह इस बार से यूजी फोर्थ ईयर का होना बताई जा रही है। यूजी फोर्थ ईयर की वजह से पीजी फर्स्ट ईयर में कम विद्यार्थियों ने एडमिशन लिया। हालांकि अब तक यूजी फोर्थ ईयर की भी ठीक से पढ़ाई शुरू नहीं हो सकी है। गौरतलब है कि उच्च शिक्षा विभाग जीईआर (ग्रॉस एनरोलमेंट रेशो) बढ़ाने के लिए लगतार कोशिश कर रहा है लेकिन इस बार एडमिशन बढ़ने की बजाय कम हो गए। बताया जाता है कि विभाग सीएलसी का राउंड फिर बढ़ा सकता है। कम विद्यार्थी पास हुए थे
विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अगर पिछले साल सितंबर से तुलना की जाए तो करीब 40 हजार एडमिशन अधिक हुए हैं। लेकिन, नवंबर की तुलना में एक लाख एडमिशन कम हैं। कम एडमिशन की कई वजह यूजी में करीब पांच लाख सीटें खाली रहने के पीछे कई वजह हैं। अव्वल तो यह कि इस बार पिछले साल की तुलना में कम विद्यार्थी पास हुए। अधिकारियों ने बताया कि इनकी संख्या लगभग 50 हजार कम है। इसके अलावा बहुत से विद्यार्थी ऐसे भी रहे जो दूसरे प्रदेशों में पढ़ने चले गए या जिन्होंने उच्च शिक्षा के पाठ़्यक्रमों को न चुनकर अन्य कोर्सेस का चयन कर लिया। गौरतलब है कि इस बार मप्र माध्यमिक शिक्षा मंडल ने जल्द परीक्षा परिणाम भी जारी कर दिया था फिर भी दाखिले कम हुए।