सीहोर के पीजी कॉलेज को पीएम एक्सीलेंस कॉलेज का दर्जा प्राप्त हो गया है, लेकिन कॉलेज में वर्षों से कार्यरत अतिथि विद्वानों का सहायक प्राध्यापक सेवा में समायोजित कर स्थायित्व प्रदान करने की उनकी मांग पूरी नहीं हो पा रही है। अतिथि विद्वानों ने मुख्यमंत्री के नाम संबोधित ज्ञापन कलेक्टर प्रवीण सिंह को सौंपा है। ज्ञापन में कहा कि मध्यप्रदेश उच्च शिक्षा विभाग द्वारा अतिथि विद्वानों की नियुक्ति मेरिट के आधार पर पूर्णतया पारदर्शी तरीके से की जाती है। अतिथि विद्वान पद पर नियुक्ति देते समय अतिथि विद्वानों से इस आशय का शपथ पत्र लिया जाता रहा है कि अतिथि विद्वान अन्यत्र कहीं शैक्षणिक और अशैक्षणिक कार्य नहीं कर सकते। इसके चलते अतिथि विद्वानों की आजीविका का एकमात्र आधार यह कार्य रह जाता है। पीजी कॉलेज के अतिथि विद्वान डॉ. कैलाश विश्वकर्मा, डॉ. संजय पांडे, डॉ. सोनम भारती, डॉ. प्रियंका अहिरवार सहित अन्य ने कहा कि वर्ष 1991 से 2017 के मध्य नियमित भर्ती परीक्षाएं नहीं होने से और तत्पश्चात 2017 से अब तक प्रतिवर्ष नियमित भर्ती परीक्षाएं नहीं होने से अधिकांश अतिथि विद्वानों की आयु 40 से 58 के मध्य हो गई है। इसके चलते अतिथि विद्वानों के समक्ष अन्य जगह पर कार्य करने के रास्ते लगभग बंद हो गए हैं। पूर्व में किया जा चुका है नियमित
अतिथि विद्वानों ने कहा कि पूर्व में भी मप्र उच्च शिक्षा विभाग द्वारा तदर्थ व अन्य आधार पर नियुक्त किये गये अंशकालिक प्राध्यापकों को पीएससी से नियमित होने की बाध्यता से मुक्त कर नियमित किया गया है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने भी अतिथि विद्वानों की व्यथा को महसूस करते हुए कहा था कि इस उम्र में ये अतिथि विद्वान कहा जाएंगे, रिक्त पदों पर इन्हें नियमित कर दिया जाए। इसी तरह प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री मोहन यादव और पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री ने भी अतिथि विद्वान महापंचायत में अतिथि विद्वानों के स्थायित्व का वचन दिया था, लेकिन अभी तक कोई निराकरण नहीं निकला है।