दीक्षारम्भ एक महत्वपूर्ण अवसर होता है जो किसी नए अध्याय की शुरुआत को दर्शाता है। यह एक प्रक्रिया होती है जिसमें स्टूडेंट्स को नई दिशा, ज्ञान एवं आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त होता है। दीक्षा का उद्देश्य मात्र शिक्षा तक सीमित नहीं होता, बल्कि यह स्टूडेंट्स के हर पहलु को नया दृष्टिकोण देने का प्रयास होता है। यह बात अतिथियों ने प्रेस्टीज मैनेजमेंट एंड रिसर्च देवास में नव प्रवेशित स्टूडेंट्स के दीक्षारम्भ समारोह में अतिथियों ने कही। समारोह के मुख्य अतिथि, गिरीश मंगला ने स्टूडेंट्स को एक उत्कृष्ट उद्यमी बनने तथा देश के प्रगति में योगदान देने के लिए प्रेरित किया। राहुल सिंह परिहार ने स्टूडेंट्स को आईटी के क्षेत्र में नए आयामों एवं भविष्य की तकनीकी से अवगत करायाI अमरजीत सिंह खनूजा ने स्टूडेंट्स को जीवन में अपनी हार से सबक लेकर लक्ष्य प्राप्ति के बीच आने वाली रुकावटों से लड़कर अपने मार्ग पर अडिग रहने के लिए प्रेरित किया। प्रेस्टीज एजुकेशन फाउंडेशन के चेयरमैन डॉ. डेविश जैन तथा वाइस चेयरमैन डिपिन जैन ने भी नव प्रवेशित छात्रों को उनके दीक्षारम्भ पर शुभकामनाएं दी। इससे पूर्व संस्थान के डायरेक्टर डॉ. राजेंद्र जैन ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए छात्रों को रक्षा सूत्र बांधने की सदियों पुरानी परंपरा से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि – गुरु परंपरा गुरु शिष्य के रिश्ते को मजबूती प्रदान करती है तथा गुरु के प्रति सम्मान एवं श्रद्धा प्रकट करती है। डॉ. जैन ने स्टूडेंट्स से जीवन में अपने लक्ष्यों की प्राप्ति तथा सफलता प्राप्त करने के गुर सिखाए। दीक्षारम्भ समारोह का समापन नव प्रवेशित छात्रों को अतिथियों द्वारा रक्षा सूत्र बांधने के साथ संपन्न हुआ। प्रेस्टीज प्रबंध संस्थान देवास की डिप्टी डायरेक्टर डॉ.आशिमा जोशी सभी अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए नव प्रवेशित छात्रों को उनके उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं दी। पीआईएमआर देवास के चीफ अधिकारी (कॉर्पोरेट अफेयर्स) डॉ. योगेंद्र सिंह राजावत ने भी अपने विचार साझे किए। कार्यक्रम की सूत्रधार डॉ. ज्योत्सना सोनी एवं लुबना अर्शी पठान ने कहा कि दीक्षारम्भ संस्थान के फैकल्टीज सहित एमबीए, बीबीए तथा बीसीए प्रथम वर्ष के लगभग 400 छात्राओं ने भाग लिया।