मानसून की बेरुखी धार सहित ग्रामीण अंचल में बनी हुई हैं, पिछले पांच दिनों से जिले के 70 प्रतिशत हिस्से में आधा इंच बारिश भी नहीं हुई है। जिसके कारण अब गर्मी बढ़ने लगी हैं, दिन का अधिकतम तापमान भी 30 डिग्री तक पहुंच चुका है। लोगों को अप्रैल व मई में पड़ने वाली तीखी धूप का एहसास अगस्त के तीसरे पखवाड़े में हो रहा है। पिछले दिनों हुई रिमझिम बारिश से फसलों की जड़ों को कमजोर कर दिया और इस बारिश में सबसे ज्यादा फूल की अवस्था में फसलों को प्रभावित किया है। जिसमें करफूल को डैमेज कर दिया। फसल में दाना भरने की अवस्था में आ गया है। रिमझिम बारिश होने से सोयाबीन, मक्का की फसलों में नई बीमारियां पैदा कर दी है। अब सोयाबीन फसल को तना मक्खी नामक बीमारी का ग्रहण लग गया है। इस बीमारी मे जगह पौधे पीले पड़ते हैं। किसान कुछ समझ पाए, उससे पहले ही बीमारी खेत में फैलने लगी है। मौसम बदलते ही सोयाबीन व मक्का व कपास की फसलों पर सफेद मक्खी और रस चूषक कीटों का प्रभाव बढ़ गया है। रिमझिम बारिश से हुआ नुकसान जहां पहले सोयाबीन की बोवनी के बाद बारिश की बेरुखी थी। तो बाद रिमझिम बारिश ने फसलों में काफी नुकसान कर दिया। साथ अब मौसम खुला है तो फसलों में रस चूषक कीटो के साथ। विभिन्न प्रकार की तना मक्खी का प्रकोप बना हुआ है। ऐसे में किसानों को अपनी फसलों के खराब होने की चिंता सताने लगी है। सितंबर के साथ अगस्त आधा बीतने तक रिमझिम बारिश होती रही वही जिसे बारिश के कारण खेतों में पानी जमा हो गया है। जिसे भी फसल खराब हुई है। क्षेत्र में एक माह से लगातार बारिश और धूप नहीं निकलने का असर सोयाबीन फसल पर दिखाई देने लगा था। वहीं मौसम अब साफ हुआ जिसमें फसलों को तो फायदा होगा साथ किसान मौसम खुलते ही किसान दवाई का स्प्रे करेंगे तो समस्या खत्म हो जाएगी। कृषि वैज्ञानिक जीएस गठिया के अनुसार सोयाबीन में कीट नियंत्रण पत्ती काटने वाले कीट के लिए क्लॉरेंट्रानिलीप्रोल 18.5 एससी मात्रा 150 मिली प्रति हेक्टेयर छिड़कें। सोयाबीन में तना मक्खी व सफेद मक्खी के नियंत्रण के लिए थायोमिथाक्जाम 12.6 + लेम्डा सायहेलोथ्रिन 9.5 मात्रा 125 मिली प्रति हेक्टेयर छिड़कें। सोयाबीन में चक्र भंग कीट के लिए टेट्रानीलीप्रोल 18.18 एस.सी. मात्रा 250 से 300 मिली प्रति हेक्टेयर छिड़कें। वही अभी मौसम खुला है तो किसान दवा का छिड़काव कर लेवे।