अभियान अंतिम दौर में पर ईकेवायसी 9 और बटांकन 14 फीसदी ही निपटा, रफ्तार बढ़ाने दौरा कर रहे अफसर

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राजस्व अभियान अंतिम चरण में है पर बटांकन व ई-केवायसी की प्रोग्रेस अच्छी नहीं है। एक दिन पहले तक बटांकन का काम 13.94 फीसदी निपटा था जबकि ई-केवायसी का 8.40 फीसदी। इन दोनों काम की प्रोग्रेस सुधारने के लिए ही पिछले चार दिन से राजस्व अफसर फील्ड में पहुंच रहे हैं। रविवार को कलेक्टर रुचिका चौहान ने दो गांवों का दौरा किया। उन्होंने ग्रामीणों को समझाया भी कि ई-केवायसी से क्या-क्या फायदे हैं ? उल्लेखनीय है कि जिले में 6 लाख 5 हजार 326 के ईकेवायसी होना हैं और 2 लाख 82 हजार 37 का बटांकन होना है। कलेक्टर रुचिका चौहान ने रविवार को मुरार तहसील में सोनी व तानसेन तहसील में आर्रोली पंचायत का दौरा किया। उन्होंने किसानों से चर्चा कर समग्र ई-केवायसी के फायदे बताए। इसके बाद प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि व मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना का लाभ मिलता है। कलेक्टर ने एसडीएम अशोक चौहान, सूर्यकांत त्रिपाठी को निर्देश दिए कि बटांकन व ई-केवायसी के काम को रफ्तार से पूरा करें। राजस्व अभियान की गति 10 दिन पहले काफी धीमी थी। तब कलेक्टर ने पांच एसडीएम को नोटिस जारी किए थे। अलग-अलग अनुभाग में 10 से अधिक पटवारी भी काम ठीक न होने पर अभियान के दौरान दंडित हो चुके हैं। पिछले सप्ताह कलेक्टर ने सभी एसडीएम से कहा है कि हर दिन 500-500 प्रकरण बटांकन व ईकेवायसी के निपटाएं। सभी 5-5 गांवों पर अभियान के दौरान निगरानी करें। ईकेवायसी में दिक्कत और क्या हैं उसके फायदे लोगों के पास रजिस्ट्री है, मकान बने हैं पर उन्होंने राजस्व रिकॉर्ड में पटवारी से नामांतरण नहीं कराए हैं। रिकॉर्ड के मुताबिक कुछ के मोबाइल नंबर बदल गए हैं या पक्षकार वहां रहते नहीं हैं। संपत्ति ऑनलाइन होने के डर से कुछ लोग दस्तावेज नहीं दे रहे हैं। ईकेवायसी के बाद संपत्ति की बिक्री में ठगी रुकेगी, किसानों को अन्य लाभ भी मिलेंगे। जानिए… बटांकन में दिक्कत-फायदे शहर में 70 फीसदी प्लाट 2300 फीट से छोटे हैं, इन्हें सिस्टम स्वीकार नहीं कर रहा है। कृ​षि भूमि यदि परिवार के 5-6 लोगों के नाम है तो मौके पर जाकर ही बटांकन होगा, बारिश में यह संभव नहीं है। बटांकन होने पर प्लॉट व कृषि भूमि की चतुर सीमा क्लीयर हो जाती है। इससे विवाद नहीं होते और पक्षकार को पता होता है कि उसका हिस्सा कौन सा है।