अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भोपाल में एक मरीज के चेहरे पर निकले फुटबॉल के बराबर ट्यूमर की जटिल सर्जरी की गई। ट्यूमर मुख्य फेशियल नर्व और उसकी पांच सहायक नसों के नीचे था। साथ ही आकार लगातार बढ़ता जा रहा था। इससे मरीज की आंख बंद होने से लेकर नसों के फटने का खतरा बना हुआ था।स्थिति की गंभीरता को देखते हुए एम्स के विशेषज्ञों ने 6 घंटे चली जटिल सर्जरी से मरीज को नया जीवन दिया। जरा सी चूक से आंख, कान, होंठ समेत चेहरे के अन्य छोटी मसल्स से कंट्रोल खो सकता था। डॉ. मनीष ने कहा कि मरीज को दाईं पारोटिड ग्रंथि का एक विशाल ट्यूमर (12×8×12 सेमी)था। यह चेहरे के निचले हिस्से से फैलना शुरू हुआ था। इसके चलते फैशियल नर्व और उसकी सहयोगी पांच नसें इसके ऊपर आ गई थी।ट्यूमर का साइज बढ़ने से उन पर दबाव पड़ रहा था। यह सभी नसें मिलाकर चेहरे की एक्सप्रेशन समेत आंख, होंठ, माथे, कान व नाक की मसल्स को कंट्रोल करने में मदद करती हैं। इस प्रकार की सर्जरी में चेहरे की नस और उसकी शाखाओं को सुरक्षित रखना एक बहुत बड़ी चुनौती थी। जनरल सर्जरी विभाग के प्रोफेसर डॉ. मनीष स्वर्णकार ने बताया कि प्रथम दृष्टि से यह एक पैरोटिड ट्यूमर था। अब इसकी हिस्टोपैथोलॉजी जांच कराई गई है।जनरल सर्जरी विभाग से डॉ. मनीष स्वर्णकार के साथ सर्जरी करने वालों में डॉ. मूरत सिंह, डॉ. हर्ष वैद्य और एनेस्थेटिस्ट डॉ. संदीप शामिल रहे। प्रतिबद्धता को दर्शाता है यह सर्जरी जनरल सर्जरी विभाग की उन्नत और सूक्ष्म देखभाल प्रदान करने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है, जिससे मरीजों को सबसे कठिन स्थितियों में भी सर्वोत्तम परिणाम प्राप्त हो सकें।-डॉ अजय सिंह, डायरेक्टर, एम्स भोपाल