भोपाल शहर की सुरक्षा व्यवस्था कंडम वाहनों के भरोसे है। बदमाशों की लग्जरी गाड़ियों का पीछा करने में इनकी सांसें फूल जाती हैं। कुछ गाड़ियों तो पीछा तक नहीं कर पाती हैं, क्योंकि वे एक स्पीड से ज्यादा दौड़ ही नहीं पाती हैं।पुलिस की थाना मोबाइल की स्थिति पर भास्कर पड़ताल में यह चौंकाने वाली स्थिति सामने आई। दरअसल अयोध्या नगर के डी सेक्टर में गुरुवार और शुक्रवार की दरमियानी रात एक ज्वेलर के यहां चोरी करके भागे स्कॉर्पियो सवार बदमाशों का पीछा करते पुलिस की बोलेरो की सांसें फूल गई थीं। स्वतंत्रता दिवस की चाक-चौबंद सुरक्षा व्यवस्था के बीच बदमाश बैरिकेडिंग तोड़ते हुए भाग निकले थे। इसके बाद जब दैनिक भास्कर ने ग्राउंड पर पड़ताल की तो पाया कि पुलिस के ज्यादातर वाहन तय 1.80 लाख किलोमीटर तो छोड़िए,चार लाख किलोमीटर को भी पार चुके हैं। शहर के आउटर के थानों के वाहनों की स्थिति बेहद खराब है। जबकि इन्हीं गाड़ियों पर वारदात कर शहर से भागने वाली गाड़ियों का पीछा करने या उन्हें रोकने की जिम्मेदारी होती है। सालाना 30 हजार रुपए का मेंटेनेंस नियमानुसार प्रत्येक सप्ताह सामान्य मेंटेनेंस होना चाहिए।पुलिस की गाड़ियों के सालाना मेंटेनेंस पर 30 हजार रु. खर्च होते हैं। वाहन 1.80 लाख किमी से अधिक चल चुका हैव कंडीशन ठीक है तो मेजर रिपेयरिंग के लिए आईजी की मंजूरी जरूरी है। टायर 40 हजार किमी चलना चाहिए। गाड़ियां फ्री न होने से नहीं होता मेंटेनेंस लॉ एंड ऑर्डर के चलते गाड़ियां फ्री न होने से मेंटेनेंस समय पर नहीं हो पाता।अधिकतर थानों के वाहन निजी ड्राइवर या स्टाफ द्वारा चलाए जाते हैं। अलग-अलग हाथों में गाड़ी रहने से किसी की जिम्मेदारी तय नहीं होपाती। इसलिए वाहन कंडम होते चले जाते हैं। कंडम वाहनों को हटाने की प्रक्रिया जारी पुलिस के जो वाहन कंडम हो चुके हैं, उन्हें हटाकर दूसरे वाहन लाने की प्रक्रिया चल रही है। जल्द ही पुराने वाहनों को हटाकर उन्हें नीलाम करने की प्रक्रिया भी शुरू होजाएगी। -हरिनारायणचारी मिश्रा, पुलिस कमिश्नर भोपाल भास्कर एक्सपर्ट किमी के हिसाब से वाहन की उम्र तय हैसर्कुलर में पुलिस वाहनों की किलोमीटर के हिसाब से उम्र तय है। जैसे जीप या बोलेरो 1.80लाख किमी, कार 1.50 लाख किमी, ट्रक 2.50 लाख किमी और हैवी वाहन 2 लाख किमी के बाद कंडममान लिए जाते हैं। यह भी शर्त है कि वाहन की स्थिति ठीक है तो उसे मेंटेनेंस करके चलाया जा सकता है।वाहन चलने की स्थिति में है या नहीं, यह देखना यूनिट प्रमुख की जिम्मेदारी है। यूनिट प्रमुख को वाहन कंडम घोषित कराकर नीलाम कराना चाहिए। 4-4 लाख किमी चल चुकी पुरानी गाड़ियां वर्तमान में आ रहीं गाड़ियों का पीछा बिल कुल भी नहीं कर सकती हैं। -आरपी सिंह बघेल, रिटायर्ड पुलिस अधीक्षक, सीएपीटी, भोपाल