भारतीय चिन्तन में पर्यावरण संरक्षण की अवधारणा उतनी ही प्राचीन है जितना यहां मानव जाति का ज्ञात इतिहास है। भारतीय संस्कृति में निहित इन बिंदुओं को यदि नैतिकता-अनैतिकता की सीमा रेखा में न भी बांधे तो भी ये प्रकृति और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण की संवाहक प्रतीत होती है। उसी का सदेश देने के लिए संस्था मालव मंथन द्वारा प्रत्येक वर्ष वृक्षाबंधन कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। जिस तरह पेड़ों से चिपककर या लिपटकर उन्हें काटे जाने के विरोध ने “चिपको आंदोलन” का रूप लिया था जो एक जन-आंदोलन बन गया था। उक्त उदगार पर्यावरणविद स्वप्निल व्यास ने विभिन्न स्थानों पर आयोजित वृक्षाबंधन कार्यक्रम के संबंध में व्यक्त किए। सर्वप्रथम शिव शक्ति ग्रुप एवं कालानी नगर महिला मंडल द्वारा हनुमंत वाटिका में रजनी बंडी के संयोजन में महिलाओं ने पेड़ों पर राखी बांधी, वहीं महर्षि विद्या मंदिर केट रोड राऊ, इंदौर में प्राचार्य पायल अग्निहोत्री के निर्देशन में विद्यार्थियों ने विद्यालय परिसर में पेड़ों को रक्षा सूत्र बांधे एवं ई-किड्स अकेडमी, मंगलमूर्ति नगर, इंदौर में वैशाली रमन ने बच्चों से वृक्षों पर राखी बंधवाई। पर्यावरण प्रदूषण एक गंभीर समस्या स्वप्निल व्यास ने कहा कि आज पूरे संसार में पर्यावरण प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन गया है। इस लिए अब के समय में तो हर व्यक्ति को प्रकृति से रिश्ता जोड़ना होगा जो हमारी सांसों की डोरी को बांधे हुए हैं। उसे रक्षा सूत्र बांध कर अपने वर्तमान और आने वाली पीढ़ी के भविष्य की रक्षा करनी होगी।