छत्रपति नगर के दलाल बाग में मुनि विनम्र सागर जी महाराज ने शनिवार को अपने प्रवचन में कहा कि पंचम काल में हम राग द्वेष के चरम पर है। यहां तक कि साधु बनने के बाद भी लोग अपने गुरु की अवहेलना करते हैं। उनके जीवित रहते भी लोग उनका उपकार भूल जाते हैं। गुरु के जाने के बाद भी गुरु के प्रति समर्पित रहना बड़ी बात है। शास्त्रों में लिखा है- गुरु की महिमा वर्णी ना जाएं…। शिष्य दो तरह के होते हैं- एक जड़ शिष्य, जिनमें जड़ता अधिक रहती है, गुरु के द्वारा हजार बार समझाने पर भी नहीं समझते। दूसरे होते हैं- वक्र शिष्य – उनकी वक्रता शब्दों में वर्णित नहीं की जा सकती। आचार्य विद्यासागर जी महाराज कहते थे अतीत के पन्नों को भी देखना जरूरी है। चतुर्थ काल के मुनियों को आराध्य मान कर जिएंगे तो तुम्हारे जीवन में साधना को शक्ति मिलेगी। वे शुद्ध चारित्र का पालन करते थे। आज के साधु को अपनी श्रद्धा का केंद्र मत मानना। मुनिवर ने कहा कि युग बदलते हैं तो व्यवहार बदल जाते हैं वाराणसी और उज्जैन अनादि काल से है । एक समय उज्जैन रत्नों से पटा रहता था , लेकिन उनको कोई उठाता नहीं था। वर्तमान काल महावीर स्वामी का चल रहा है, साधु को देखकर कुछ लोग नमोस्तु करते हैं , और कुछ आंखें बंद कर लेते हैं, ये नजर और नजरिया का फर्क है। उन्होंने कहा कि जिसे खुदा ने आंखें दी , वो पत्थर में खुदा देखें**जिसकी अक्ल में पत्थर है, वह पत्थर में क्या देखें ? दिगंबर जैन समाज सामाजिक संसद के प्रचार प्रमुख सतीश जैन ने बताया कि शनिवार प्रातः गुरुदेव के चित्र का अनावरण एवं दीप प्रज्वलन के बाद गुरुदेव की अष्ट द्रव्यों से पूजन करने का सौभाग्य भी दिगंबर जैन समाज संगम नगर को प्राप्त हुआ। इस अवसर पर मनोज बाकलीवाल, मनीष नायक,सतीश डबडेरा, , सतीश जैन, आनंद जैन, अमित जैन, अजय जैन मनोज जैन , कमलेश सिंघई, सचिन भाईजी, राजेश गंगवाल, डॉ. प्रदीप बांझल, संजय जैन सहित बड़ी संख्या में समाजजन मौजूद थे। मुनि निस्वार्थ सागर जी महाराज भी मंच पर विराजित थे।18 व 19 अगस्त को रक्षाबंधन महामंडल विधान बाल ब्रह्मचारी अविनाश भैया के निर्देशन में होगा। धर्म सभा का संचालन शिरीष अजमेरा ने किया