एसडीएम ने नहीं दी शिवार्चन की अनुमति:विहिप कार्यकर्ताओं ने सैल सागर तालाब पर बने मंदिर में धार्मिक अनुष्ठान की मांगी थी इजाजत

Uncategorized

शहर के सैल सागर तालाब पर बने प्राचीन मंदिर में शिवार्चन का मामला फिलहाल टल गया है। जिला प्रशासन ने कार्यक्रम की अनुमति नहीं दी। इसके पहले गुरुवार रात एसडीएम और एसडीओपी ने हिंदूवादी संगठन के पदाधिकारियों और सैल सागर तालाब की जमीन पर मालिकाना हक जता रहे लोगों को बुलाकर बात की। हाईकोर्ट के स्टे का हवाला देकर एसडीएम ने कार्यक्रम करने की अनुमति देने से इंकार कर दिया। विश्व हिंदू परिषद के पुजारी पुरोहित प्रकोष्ठ के प्रांत प्रमुख राजकुमार पाठक ने बताया कि आज सैल सागर तालाब पर बने प्राचीन मंदिर में शिवार्चन का आयोजन रखा था, लेकिन प्रशासन ने अनुमति नहीं दी। उन्होंने बताया कि सैल सागर की बंधान पर राजशाही दौर का निर्मित भगवान भोलेनाथ का प्राचीन मन्दिर है। पत्र के माध्यम से एसडीएम से धार्मिक समारोह की अनुमति प्रदान करने की मांग की गई थी। साथ ही नगर पालिका के माध्यम से साफ सफाई और सुरक्षा व्यवस्था उपलब्ध कराने की मांग की गई थी। कार्यक्रम से एक दिन पहले एसडीएम ने हाईकोर्ट के स्टे का हवाला देते हुए धार्मिक अनुष्ठान करने की अनुमति देने से मना किया है। जिसके चलते आज कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया गया। इसके पहले बजरंग दल कार्यकर्ताओं ने सैल सागर तालाब और मंदिर के आसपास से अवैध कब्जा हटाए जाने के संबंध में कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौंपा था। केंद्रीय मंत्री ने कलेक्टर को दिए थे निर्देश राजशाही दौर में बनाया गया सैल सागर तालाब इन दिनों अतिक्रमण की चपेट में है। तालाब के अंदर पक्के मकान बन गए है। तालाब की बंधान पर बने प्राचीन मंदिरों पर आसपास के लोगों ने अवैध कब्जा जमा लिया है। इस मुद्दे को लेकर भाजपा जिला अध्यक्ष अमित नुना ने केंद्रीय मंत्री और कलेक्टर को पत्र लिखा था। इसके अलावा शांति समिति के बैठक के दौरान भी सैल सागर तालाब से अतिक्रमण हटाने की मांग की गई थी। केंद्रीय मंत्री डॉ वीरेंद्र कुमार ने सैल सागर तालाब पर हो रहे अतिक्रमण की जांच के लिए कलेक्टर को निर्देश दिए थे।