मध्य प्रदेश में 5 साल की अवधि में मालिकाना हक वाली भूमि का लैंड यूज चेंज करने के मामले में राजस्व विभाग ने सभी राजस्व अनुविभागीय अधिकारियों (एसडीओ राजस्व) से रिव्यू करने को कहा है। कलेक्टरों से कहा है कि वे अपने अधीनस्थ अफसरों (एसडीओ राजस्व) से ऐसे मामलों के प्रीमियम और भू-राजस्व टैक्स की गणना कर राशि जमा कराएं लेकिन अगर किसी भूमि स्वामी ने लैंड यूज चेंज करने के लिए एसडीओ के यहां लिखित आवेदन कर दिया है तो उसकी भूमि का बदला हुआ उपयोग प्रभावी माना जाएगा। ऐसे मामलों में अलग से निगरानी की जरूरत नहीं होगी। भू-राजस्व संहिता 1959 की धारा 59 के अनुसार जिस काम के लिए भूमि उपयोग में लाई जा रही है, उसके अनुसार ही भूमि का राजस्व कर चुकाना होगा। इसके लिए डायवर्सन के मामलों में 2018 में लागू किए गए नियम प्रभावी होंगे। जिस दिन आवेदन उसी दिन से डायवर्टेड विभाग ने कहा है कि भू-राजस्व संहिता की धारा-59 की उपधारा (6) में यह व्यवस्था तय है कि अगर कोई भूमि स्वामी अपनी भूमि को दूसरे काम के लिए डायवर्टेड करना चाहता है (लैंड यूज चेंज करना चाहता है) तो उसे अपने क्षेत्र के राजस्व अनुविभागीय अधिकारी को लिखित आवेदन करना होगा, और जिस दिन वह आवेदन करेगा उसी दिन से भूमि डायवर्टेड मानी जाएगी। जानकारी न होने से गलती, 5 साल के भीतर लेना होगा एक्शन राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव ने कलेक्टरों से कहा है कि भूमि स्वामी ऐसी अनुमति लेने में चूक करते हैं, और नियमानुसार डायवर्सन किए बगैर लैंड यूज बदल कर भूमि को दूसरे काम में उपयोग में लाते हैं। नियमानुसार अगर कोई व्यक्ति भूमि डायवर्सन के लिए आवेदन नहीं करता है तो राजस्व अनुविभागीय अधिकारी को यह अधिकार हैं कि वह स्व प्रेरणा से या जानकारी मिलने पर भूमि के उस टुकड़े के प्रीमियम की गणना करे और ऐसी डायवर्टेड लैंड का भू-राजस्व निर्धारण करें। साथ ही कुल देय रकम के 50 प्रतिशत के बराबर वसूलें। यह कार्यवाही डायवर्सन की वास्तविक तारीख से अधिकतम पांच साल की अवधि में की जा सकेगी। अभियान चलाकर कार्यवाही करें एसडीओ शासन के ध्यान में लाया गया है कि प्रदेश में कई भूमिस्वामी डायवर्सन की सूचना नहीं देते हैं, और यह अपेक्षा करते हैं कि राजस्व अनुविभागीय अधिकारी संहिता की धारा-9 के अंतर्गत कार्यवाही करें। इसलिए राजस्व में वृद्धि की दृष्टि से अवैध डायवर्सन के मामलों को रोकने के लिए अवैध डायवर्सन को वैध बनाने के लिए अभियान चलाकर कार्यवाही की जाना है। कलेक्टरों से कहा है कि वे जिलों में ऐसे मामलों की समीक्षा भी करें। साथ ही प्रमुख राजस्व आयुक्त को सभी जिलों से नियमित डिटेल लेकर इसकी मासिक समीक्षा भी करने के लिए कहा है। शहरी भूमि के लिए 17 साल पुराने नियम लागू विभाग ने यह भी साफ किया है कि शहरी क्षेत्र में 200 वर्ग मीटर से अधिक कोई भूमि जो आवासीय प्रयोजन के लिए उपयोग में लाई जाती है या 40 वर्गमीटर से अधिक कोई भूमि जो कमर्शियल उपयोग में लाई जाती है, और वह विकास योजना की सीमा के बाहर स्थित है तो इस पर कोई भू-राजस्व नहीं देना होगा और कोई प्रीमियम नहीं लिया जाएगा। राजस्व विभाग ने इसको लेकर सात सितंबर 2007 को जारी अधिसूचना प्रभावी रखने की जानकारी दी है।