कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर से रेप और हत्या की घटना के विरोध में हमीदिया और एम्स समेत शहर के सरकारी अस्पतालों में जूनियर डॉक्टरों ने काम बंद कर दिया। शुक्रवार को जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन ने प्रदेशभर में ओपीडी में काम करना बंद कर दिया है। इनके समर्थन में सीनियर डॉक्टरों ने भी एक घंटे काम नहीं किया। हमीदिया में शुक्रवार को 20 फीसदी ओपीडी घटी। ऑपरेशन भी रोजाना की तुलना में आधे ही हुए। वहीं एम्स में भी आेपीडी घटी। मरीजों को इलाज के लिए 3 से 4 घंटे तक इंतजार करना पड़ा। इधर, हड़ताल से निपटने के लिए जीएमसी की डीन डॉ. कविता एन सिंह ने सभी डॉक्टर्स की छुटि्टयां निरस्त कर दी हैं। 24 घंटे ड्यूटी पर रहने के आदेश भी जारी किए हैं। एम्स में ओपीडी घटी, आम दिनों की तुलना में 15 सर्जरी कम प्राइवेट अस्पतालों ने भी किया पेन डाउन…घटना के विरोध में भोपाल के कई प्राइवेट अस्पतालों ने भी पेन डाउन किया है, दोपहर 12 से 1 बजे तक कई प्राइवेट अस्पतालों में ओपीडी में मरीजों को नहीं देखा गया। गले में परेशानी, 4 घंटे से बारी का इंतजार गले में परेशानी है, एम्स में इलाज कराने छिंदवाड़ा से आया हूं। सुबह आठ बजे आ गया था। पर्चा बनवाकर करीब 4 घंटे से बारी का इंतजार कर रहा हूं, बड़ी लंबी कतार है। -रामपाल अहिरवार, मरीज भटकने के बाद भी नहीं मिला इलाज बेगमगंज से बच्चे के इलाज के लिए हमीदिया अस्पताल आया था। उसके शरीर पर चिकत्ते हो गए हैं। एक घंटे तक भटकने के बाद मुझे यहां से वहां भगाया गया। -इमरान खान हमीदिया- 250 से ज्यादा जूनियर डॉक्टर रहे हड़ताल पर हमीदिया के 250 से ज्यादा जूनियर डॉक्टर्स ने भी गुरुवार रात 12 बजे से काम बंद कर दिया है। जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल के बीच शुक्रवार दोपहर 12 बजे से प्रोफेसर्स, सीनियर रेसीडेंट और डॉक्टर्स ने भी करीब एक घंटे काम बंद कर दिया। हमीदिया कैंपस में डॉक्टर्स ने रैली निकाली। एक घंटे पूरा कामकाज ठप रहा। नतीजतन 124 लोग भर्ती हुए। 35 की बजाए 17 ही ऑपरेशन हो सके। वहीं 25 की जगह 6 महिलाओं की ही डिलीवरी हुई। इधर, हमीदिया में औसतन एक दिन में करीब 10 मौतें होती है। शुक्रवार को 5 लोगों की मौत हुई। एम्स- हड़ताल के कारण डॉक्टरों की संख्या आधे से भी कम सामान्य दिनों में एम्स में 5 हजार मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं, लेकिन शुक्रवार को यह आंकड़ा 4500 तक ही पहुंच पाया। एम्स में रोज औसतन 65 सर्जरी होती हैं, लेकिन शुक्रवार को 50 ही सर्जरी हुईं। डिलीवरी की संख्या 10 से घटकर 5 रह गई। दो मरीजों की जान भी गई। सामान्य दिनों में भी यही आंकड़ा रहता है। एम्स में 550 सीनियर और जूनियर रेसीडेंट हैं। जबकि फैकल्टी की संख्या करीब 250 ही है। अभी डॉक्टरों की संख्या आधे से भी कम बची है। यही वजह है कि इलाज में 4 घंटे लग रहे हैं।