आजादी के 77 वर्ष बीत गए फिर भी देश पिछड़ा हुआ है। जब तक भारत गरीबी, अशिक्षा, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार से मुक्त नहीं हो जाता, तब तक इस आजादी का कोई महत्व नहीं। उक्त विचार आचार्य विद्यासागरजी महाराज के शिष्य 108 मुनि प्रमाण सागर महाराज ने रेसकोर्स रोड़ स्थित अभय प्रशाल में राष्ट्रीय स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर श्रावक-श्राविकाओं को धर्मसभा में संबोधित करते हुए व्यक्त किए। जो जज्बात स्वतंत्रता के पहले दिखाई देते थे वह आज दिखाई नहीं देते। आज से लगभग तीस साल पहले किसी ने गुरुदेव से कहा कि – भारत अब विकासशील भारत बनता जा रहा है, तो गुरुदेव ने उसे जबाब देते हुए कहा था भारत शीलवान बना रहेगा तो विकास अपने आप हो जाएगा। मुनिश्री ने चार बातें कही जिसमें पहली बात सांस्कृतिक निष्ठा जगाने की थी, वही दूसरी बात भारत और भारतीयता प्रमुखता के रूप में तथा तीसरी बात प्राचीन भारत को भारत का आदर्श बनाने एवं चौथी बात राष्ट्रीय चरित्र का निर्माण करने की बात कही। उन्होंने कहा कि सबसे पहले तो हमें हमारी सांस्कृतिक निष्ठा को जगाना होगा, सबसे ज्यादा यदि ह्रास हुआ है तो हमारी संस्कृति का ही हुआ है, वर्तमान में अप संस्कृति हावी है और हम लोग ही उसे बढ़ावा दे रहे है, केवल व्यवस्थागत दोष देने से कुछ नहीं होगा, हमें अपनी आदतों को बदलना होगा। आज हम खुद विदेशी कपड़े पहनकर टी-शर्ट पर लंदन-अमेरिका लिखकर उनके मुफ्त के प्रचारक बने हुए हैं। अकेले आजादी से ही हम स्वराज स्थापित नहीं कर सकते। जब तक हमारी मानसिकता देश के साथ नहीं जुड़ेगी, तब तक इस आजादी का कोई मतलब नहीं। हमारी वेशभूषा, भोजन तथा संस्कृति पूर्णतया स्वदेशी हो। देश के अंदर राष्ट्रहित सर्वोपरि होना चाहिए। मुनिश्री ने कहा कि – पूज्य गुरुदेव ने राष्ट्र भाषा हिंदी को बढ़ावा देते हुए कहा था कि भारत के सभी प्रशासनिक कार्य हिंदी में होना चाहिए। भारत को भारत कहो का राष्ट्रीय स्तर पर अभियान छेड़ा, लेकिन क्या कहें अंग्रेज चले गए मगर विरासत में अपसंस्कृति को छोड़ गए। यह भारत है जहां अंग्रेजी बोलने वाला साहब बन जाता है और जो अपनी मातृभाषा को बोलने वाला अनपढ़ और जाहिल समझा जाता है। राहुल जैन एवं प्रवक्ता अविनाश जैन ने बताया तीन दिवसीय विश्वस्तरीय भावनायोग का आयोजन अभय प्रशाल में किया जा रहा है। भावनायोग की किट वितरण का कार्य चातुर्मास स्थल मोहता भवन में चल रहा है। इस कार्यक्रम में सभी धर्म जाति के लोग शामिल होकर तन को स्वस्थ करें-मन को पवित्र कर मानसिक अवसाद और जटिल बीमारियों से छुटकारा पा सकते हैं। कार्यक्रम की संयोजना एवं संचालन नवीन गोधा अनामिका-मनोज जैन बाकलीवाल ने किया। कार्यक्रम के दौरान समिति के अध्यक्ष अशोक-रानी दोषी, विनय छजलानी, धर्मेंद्र जैन, रितेश पाटनी, दिलीप गोदा, नीलेश वेद, ओम सोनी, पवन सिंघई, राहुल जैन, विशाल नसिया, आशीष जैन उपस्थित थे। मुख्य पुण्यार्जक मुकेश, संजय एवं विजय पाटोदी परिवार थे।