स्मार्ट किसान सीरीज में इस बार आपको 80 साल के किसान से मिलवाते हैं। उन्होंने 49 साल पहले सरकारी नौकरी छोड़ खेती शुरू की थी। अब हर साल करीब 10 से 12 लाख रुपए का प्रॉफिट हो रहा है। साथ ही 10 लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं। इस उम्र में उनका खेती का जुनून देखकर दूसरे किसान भी प्रेरित हो रहे हैं। बुरहानपुर जिले के ग्राम लोनी के रहने वाले जगन्नाथ पाटिल 13 एकड़ में खेती कर रहे हैं। इनमें से 8 एकड़ में गन्ना, 3 एकड़ में केला और 2 एकड़ जमीन पर सोयाबीन और तुअर की फसल ले रहे हैं। गांव से करीब 30 किलोमीटर दूर दूसरे गांव पांच पुल क्षेत्र में इनका पूरा खेत है। सड़क खराब होने के बावजूद 80 साल के पाटिल देखभाल के लिए रोजाना खेत पर जाते हैं। जगन्नाथ पाटिल से जानते हैं खेती शुरू करने की कहानी ‘बचपन से खेती-किसानी में लगाव था। पिता जी चाहते थे कि मैं पढ़-लिखकर अफसर बनूं, इसलिए पढ़ने के लिए इंदौर चला गया। सिविल इंजीनियर की डिग्री की। 1970 में महाराष्ट्र के नासिक में सिंचाई विभाग में सरकारी नौकरी लगी गई। यहां 5 साल नौकरी की। प्रमोशन भी मिला। जूनियर से असिस्टेंट इंजीनियर बन गया। उस समय हर महीने 800 रुपए तनख्वाह मिलती थी। मैंने पिता की इच्छा को तो पूरा किया, लेकिन मन नहीं लग रहा था। ऐसा लग रहा था कि मैं प्रकृति और खेती से दूर होता जा रहा हूं। एक दिन इस्तीफा देकर घर आ गया। यहां खेती शुरू कर दी।’ पिता के साथ खेत पर जाता था ‘जब पिता जी खेती-किसानी करते थे, तो मैं बचपन में उनके साथ खेत पर जाता था। फिर पढ़ाई के दौरान जब छुट्टी मिलती थी, तो घर आ जाता था। यहां जितने दिन रहता, खेत पर काम करता था। यही कारण है कि अलग से ट्रेनिंग की जरूरत नहीं पड़ी। 1975 से निंबोल पांच पुल क्षेत्र में 13 एकड़ में गन्ना, केला और सोयाबीन की खेती कर रहा हूं। गन्ने से 4 लाख, सोयाबीन से 3 लाख और केला की खेती से करीब 4 लाख रुपए का प्रॉफिट हो रहा है। मेरा गन्ने की खेती पर ज्यादा फोकस रहता है। फैमिली में एक बेटा और दो बेटियां है। बेटे खेती-किसानी में हाथ बंटाते हैं। जबकि दोनों बेटियों की शादी हो गई है। प्रशासन ने मुझे आदतन शिकायतकर्ता घोषित किया जगन्नाथ पाटिल का कहना है कि, इस इलाके में किसानों के सामने जंगली सूअर चुनौती बने हुए हैं। फसलों को काफी नुकसान पहुंचाते हैं। 2015 से अब तक बहुत नुकसान पहुंचा चुके हैं। इसकी शिकायत मैं जनसुनवाई में करता रहता हूं। लगातार शिकायत करने के कारण प्रशासन ने मुझे आदतन शिकायतकर्ता घोषित कर दिया है, लेकिन मैं फिर भी पीछे नहीं हटता हूं। जब तक मुआवजा नहीं मिलता, मैं शिकायत करता रहूंगा। तुअर फसल का भी पटवारी द्वारा सत्यापन नहीं किए जाने के कारण नुकसान हुआ था। तब मुझे फसल कम दाम पर बेचना पड़ी थी। उसका मुआवजा भी नहीं मिला है। जिसकी शिकायत भी लगातार करता आ हूं। गन्ने के लिए ऐसे तैयार करें खेत गन्ने की बुवाई से पहले खेत की 3 से 4 बार जुताई कर लें। मिट्टी बार-बार पलटने से प्रोडक्शन अच्छा होता है। खेत तैयार करते समय गोबर खाद भी डाल सकते हैं, जिससे उत्पादकता बढ़ती है। बुवाई करते समय खेत में पर्याप्त नमी होना जरूरी है। एक एकड़ में 25 से 30 हजार बीजों की जरूरत एक एकड़ के लिए 25 से 30 हजार गन्ने के बीज की जरूरत होती है। 70 से 90 सेमी की दूरी पर बीज लगाना चाहिए। बुवाई के लिए मशीन की मदद ली जाए, तो काम आसान हो जाता है। फरवरी-मार्च वाली फसल को 6 बार सिंचाई की जरूरत पड़ती है। चार बार बरसात के पहले और दो बार बारिश के बाद। इसी तरह, अक्टूबर वाली फसल के लिए 4 से 5 बार सिंचाई करनी चाहिए। खुद नर्सरी कर सकते हैं तैयार अगर आप गन्ने की खेती करना चाह रहे हैं, तो नर्सरी तैयार कर सकते हैं। इससे स्वस्थ पौधे मिल जाएंगे। साथ ही, खर्च भी कम होगा और उत्पादन भी अच्छा मिलेगा। अब केले की खेती के बारे में जानिए खेती के लिए बलुई और दोमट मिट्टी बेहतर होती है। फरवरी-मार्च में इसकी खेती की शुरुआत करनी चाहिए। 10-12 महीने में केले की फसल तैयार हो जाती है। जिस मिट्टी में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश जैसे एलिमेंट होते हैं, वहां केले का प्रोडक्शन अच्छा होता है। अगर बड़े लेवल पर इसकी खेती करनी है, तो मिट्टी की क्वालिटी की जांच जरूर करानी चाहिए। पौधों के साथ गोबर, नीम की पत्तियां डालें पौधों की रोपाई के लिए 45 से 60 सेंटीमीटर गहरा गड्ढा करें। इसके बाद कुछ समय के लिए गड्ढे को खुला छोड़ दें। उसमें पौधों के साथ गोबर खाद और नीम की पत्तियां डालें, फिर 1.8×1.5 मीटर दूरी पर प्लांटिंग करें। एक एकड़ में करीब 1500 तक प्लांट लगेंगे। गर्मी में 4-5 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें सर्दी के मौसम में केले की खेती के लिए हर 7-8 दिन बाद सिंचाई की जरूरत होती है, जबकि गर्मी के सीजन में 4-5 दिन के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए। ये भी पढ़ें… चंबल में चंदन की खेती से 15 लाख की कमाई:फूल-पत्ती, टहनियां सब बिकती हैं; 7 हजार पौधे खुद तैयार करते हैं किसान चंबल अब चंदन की खुशबू से महक रहा है। श्योपुर के एक किसान ने पारंपरिक खेती छोड़ चंदन की खेती के साथ नर्सरी शुरू की है। 7 साल पहले दो बीघा में 200 पौधे लगाए थे, जो अब पेड़ बन गए हैं। इनकी फूल, पत्ती, टहनियों और नर्सरी से हर साल लगभग 15 लाख की कमाई कर रहा है। 6-7 साल बाद यही पेड़ 4 करोड़ से ज्यादा में बिकेंगे। वह दूसरे किसानों को भी चंदन की खेती के लिए प्रेरित कर रहे हैं। पढ़िए पूरी खबर। ठेकेदारी छोड़ शुरू की मौसंबी की खेती: सफलता देख 3 छोटे भाइयों ने भी लगाए पौधे; चारों को हो रही अच्छी कमाई मुरैना में बिजली कंपनी में कॉन्ट्रैक्टर रहे 75 साल के राजेंद्र यादव मौसंबी की खेती कर रहे हैं। 24 साल पहले एक बीघा में 100 पौधों से शुरुआत की। अब 14 बीघा में 1500 से ज्यादा पेड़ हो गए हैं। इससे हर साल करीब 12 लाख से ज्यादा का प्रॉफिट भी हो रहा है। 10 से 12 लोगों को रोजगार भी दे रखा है। पढ़िए पूरी खबर।