भास्कर इन्वेस्टिगेशन – राजधानी में रेहड़ी माफिया पर कार्रवाई से पीछे हटे जिम्मेदार, एमपी नगर- न्यू मार्केट और अशोका गार्डन में जारी रही वसूली रेहड़ी माफिया का दावा- कमाई का हिस्सा महापौर और कमिश्नर तक जाता है, नहीं होगी कार्रवाई गरीबों की गाढ़ी कमाई से हर महीने करोड़ों रुपए वसूलने वाले रेहड़ी माफिया को प्रशासन का जरा भी डर नहीं है। बुधवार को भी न्यू मार्केट, एमपी नगर, अशोका गार्डन समेत सभी जगहों पर ठेले वालों से वसूली जारी रही। माफिया के गुर्गों का दावा है कि पार्षद से लेकर महापौर-कमिश्नर सबके पास हिस्सा जाता है। कोई कार्रवाई नहीं करा सकता। भास्कर ने महापौर मालती राय से सवाल किया तो उन्होंने कहा- जो मेरा नाम लेगा, उसे चौराहे पर जूते मारूंगी। भास्कर ने जो नाम छापे हैं, वे निगम कमिश्नर को वॉट्सएप कर कार्रवाई के लिए कहा है। इस संबंध में जानकारी के लिए निगम कमिश्नर से संपर्क किया गया, लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया। भास्कर रिपोर्टर्स ने शहर के 3 इलाकों में खुद रेहड़ी लगाकर खुलासा किया कि शहर में हर महीने माफिया 10 करोड़ की हफ्ता वसूली कर रहे हैं। सबसे ज्यादा रेट न्यू मार्केट में, रोज हर रेहड़ी से 400-800 तक की वसूली
रेहड़ी माफिया की सबसे ज्यादा वसूली न्यू मार्केट से होती है। एक-एक ठेले-रेहड़ी से 400 से 800 रुपए तक लिए जाते हैं। यहां ‘राजा मोजे वाला’ की सरपरस्ती में पूरा खेल चलता है। वह खुद को स्थानीय पार्षद का खास बताता है। यहां दुकानदारों से सिर्फ कैश पैसा लिया जाता है। वसूली का हिसाब रखने के लिए गुर्गे लगे हैं। ये पूरी डायरी मेंटेन करते हैं। निगम ने दो साल पहले बंद की वसूली, तभी से माफिया का कारोबार शुरू हुआ
अवैध वसूली की लगातार शिकायतों के बाद 2022 में नगर निगम ने तहबाजारी वसूली बंद कर दी थी। नई व्यवस्था के तहत एक साल के लिए दो बार में 500-500 करके एक हजार रुपए चुकाने होते हैं। उस समय ही रोजाना वसूली बंद करने के निर्देश दिए गए थे। लेकिन, इसे माफिया ने अवसर के रूप में लिया और बाजारों में वसूली शुरू कर दी। ये दुकानदारों को रसीद नहीं देते हैं। निगम शांत, माफिया खुद हटवाने लगा ठेले
महापौर मालती राय ने माफिया पर कार्रवाई का दावा किया, लेकिन निगम अफसरों ने जरा भी फुर्ती नहीं दिखाई। एमपी नगर जोन-एक व दो में गुमठियों और ठेलों से वसूली जारी रही। जोन 2 में एक ठेले लगवाने वाले रवि मस्खे के कहने पर 10 से 15 ठेले हटा दिए गए। साठगांठ इसी से पता चलती है कि निगम के बजाय यहां माफिया के कहने पर ठेले हटाए गए। न्यू मार्केट में फुटपाथ और रास्तों पर दुकानें लगी रहीं।