हर महीने एडवांस दो और जहां मर्जी चाहे, ठेला लगाओ। न निगमकर्मी परेशान करेंगे, न अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई होगी। भोपाल शहर के अलग-अलग इलाकों में ठेला-गुमठी लगाने वालों को रेहड़ी माफिया ये गारंटी देता है। बदले में उनसे हर महीने 3 से 4 हजार रुपए तक की वसूली की जाती है। अवैध वसूली का ये खेल बड़े पैमाने पर संगठित रूप से चल रहा है। नगर निगम के अफसरों, स्थानीय नेताओं और उनके गुर्गों की मिलीभगत से करीब 25 हजार गुमठियों से हर महीने 10 करोड़ रुपए वसूले जा रहे हैं। दैनिक भास्कर के रिपोर्टर्स ने अतिक्रमण और अवैध वसूली का यह खेल सामने लाने के लिए सात दिन अलग-अलग एरिया में एक्टिव रेहड़ी माफिया से कॉन्टैक्ट कर खुद ठेले लगाए। माफिया के गुर्गों ने गारंटी भी ली कि एक बार पैसे देने के बाद नगर निगम के कर्मचारी या कोई दूसरा परेशान नहीं करेगा। रेहड़ी माफिया ने अपने गुर्गे बाजारों में फैला रखे हैं। वे यहां आने-जाने वाले और बाजार की हर एक्टिविटी पर नजर रखते हैं। कोई बिना रुपए दिए यहां दुकान लगाता है, तो उसे पहले अपने स्तर पर हटाते हैं। बात नहीं बनती तो उसका ठेला नगर निगम अमले से उठवा देते हैं। एमपी नगर जोन 1 और 2, न्यू मार्केट और अशोका गार्डन में हर महीने 3 से 4 हजार रुपए लिए जाते हैं। अकेले एमपी नगर में ही 500 से अधिक ठेले और गुमठियों से वसूली की जा रही है। भास्कर रिपोर्टर ने खुद स्टॉल लगाकर किया रेहड़ी माफिया का खुलासा भास्कर रिपोर्टर ने पार्किंग के सामने लग रही 15 रेहड़ियों के बीच साबूदाने की खिचड़ी का ठेला लगाया। दुकान लगवाने का जिम्मा लेने वाले रवि मस्खे ने फोन पर ही जगह बताई। शर्त रखी कि जिस सामान का स्टॉल पहले से लगा है, उसके अलावा किसी भी सामान या खाने-पीने का स्टॉल लगा सकते हैं। रिपोर्टर ने साबूदाने की खिचड़ी का स्टॉल लगाने की बात कही। हमारे पहुंचते ही आसपास के दुकान वालों ने पूछताछ शुरू की। जैसे ही रिपोर्टर ने कहा- रवि भैया से बात हो गई है तो सभी चुप हो गए। दुकान लगाने से पहले रवि के गुर्गे कैलाश बघेल ने एक महीने का किराया एडवांस देने की डिमांड की। थोड़ी देर बातचीत के बाद वह एक हजार रुपए तुरंत और बाकी तीन हजार रुपए दो दिन में देने पर दुकान लगाने देने पर राजी हो गया। यहां लगने वाले ठेलों और स्टॉल से इसी तरह हर महीने 4 हजार रुपए माफिया वसूलता है। दो दिन स्टॉल लगाने के बाद रिपोर्टर ने रवि के गुर्गे कैलाश से कहा- यहां धंधा नहीं चल रहा है। कहीं और जगह बताओ। इस पर कैलाश ने एमपी नगर जोन 1 में पार्किंग के पास जगह बताई। कहा- इसके तीन हजार रुपए महीने लगेंगे। वहां किसी भी चीज की दुकान लगाओ, कोई दिक्कत नहीं है। हर महीने की एक तारीख को एडवांस किराया देना होगा। नगर निगम कर्मचारी हर दिन 20 रुपए लेकर जाता है, वो आपको ही देना पड़ेगा। भास्कर रिपोर्टर ने यहां पूरे दिन साबूदाने की खिचड़ी की दुकान लगाई। ये भी भरोसा दिया गया कि यहां दुकान लगाने पर कोई भी कभी भी कुछ बोले तो फोन लगाकर बताएं। कोई दिक्कत नहीं होने देंगे। अशोका गार्डन में 80 फीट रोड पर सब्जी मंडी के पास फुटपाथ पर ठेला लगवाने का जिम्मा कपिल जायसवाल ने संभाल रखा है। कपिल से बात होने के बाद भास्कर रिपोर्टर ने यहां भी साबूदाने की खिचड़ी का स्टॉल लगाया। कपिल ने इसके एवज में चार हजार रुपए महीने की डिमांड की। दुकान लगाते ही कपिल आया और रुपए मांगे। रिपोर्टर ने नई दुकान होने और एक-दो दिन में बाकी पैसे देने की बात कही तो भी कपिल ने 1,000 रुपए ले लिए। उसने कहा- हमें डायरी में पैसे की एंट्री करनी पड़ती है। भरोसा दिया- यहां कहीं भी दुकान लगाओ, नगर निगम का अमला या कोई और परेशान नहीं करेगा। कोई दिक्कत आए तो मेरा नाम बता देना। जानिए, कैसे चलता है अवैध वसूली का कारोबार… न्यू मार्केट: रोजाना 1 लाख रुपए से अधिक का काला कारोबार न्यू मार्केट में फुटपाथ और खाली पड़ी जगह पर दुकान लगाने के लिए 400 से 800 रुपए रोजाना का किराया तय है। यहां राजा मोजे वाला ने वसूली का जिम्मा उठा रखा है। वह साथ में अपने गुर्गे लेकर चलता है, जो डायरी में लेनदेन का पूरा हिसाब रखते हैं। भास्कर रिपोर्टर ने राजा से बात की तो उसने पिंक पार्किंग के गेट के पास जगह बताई। उसने कहा- यहां एक दिन ही दुकान लगा सकते हो, क्योंकि जिसे ये जगह दी है, वो आया नहीं है। न्यू मार्केट में फुटपाथ और सड़क पर 200 से अधिक दुकानें लगती हैं। यहां से रोजाना औसतन एक लाख रुपए से अधिक की अवैध वसूली की जा रही है। त्योहारी सीजन में यहां लगने वाली दुकानों का किराया दोगुना तक कर दिया जाता है। एमपी नगर: हर महीने 20 लाख रुपए से अधिक की अवैध वसूली एमपी नगर जोन-1 और 2 में 500 से अधिक दुकानें सड़क किनारे और यहां मौजूद सरकारी जमीनों पर लगती हैं। यहां नगर निगम ने हॉकर्स कॉर्नर भी बनाए हैं। फिर भी सड़कों पर अलग से ठेले लगाए जा रहे हैं। एमपी नगर जोन 2 में दुकानें लगवाने का जिम्मा लेने वाला रवि मस्खे खुद को स्थानीय पार्षद का खास बताता है। अशोका गार्डन: ऐसी धमक कि कहीं भी दुकान लगाओ, कोई दिक्कत नहीं अशोका गार्डन में 80 फीट रोड पर प्रभात चौराहे से गैस एजेंसी तक बने फुटपाथ पर हमेशा दुकानदारों का कब्जा रहता है। यहां रोजाना 200 रुपए देकर दुकानें लगाई जाती हैं। भीड़भाड़ वाले विवेकानंद चौराहे के पास सब्जी मंडी से सटकर लगने वाली सभी दुकानों से हर महीने 4000 रुपए के हिसाब से वसूली होती है। यहां कपिल जायसवाल ने ये जिम्मा संभाल रखा है। कपिल पास ही में लगने वाले निजी हॉकर्स कॉर्नर का भी काम देखता है। इसकी आड़ में सड़क के दोनों ओर दुकानें लगवाई गई हैं, जिनसे वसूली की जाती है। यहां सड़क और इसके आसपास पचास से अधिक ऐसी दुकानें हैं। कपिल का दावा है कि इस क्षेत्र में जहां भी मन करे, वहां दुकान लगा सकते हो। नगर निगम का अमला कोई कार्रवाई नहीं करेगा। जहां दुकानें लगाई जाती हैं, वहां से कुछ मीटर की दूरी पर ही पुलिस पॉइंट है, जहां हमेशा पुलिसकर्मी मौजूद रहते हैं। अब पढ़िए, जिम्मेदारों से किए गए सवाल और उनके जवाब… कमिश्नर बोले- हर जगह निगम कार्रवाई नहीं कर सकता भास्कर: प्राइवेट लोग ठेले, रेहड़ी वालों से पैसे वसूल रहे हैं। क्या कोई कार्रवाई की गई? निगम कमिश्नर हरेंद्र नारायण: नगर निगम कर्मचारी अवैध वसूली कर रहा है तो निगम उस पर कार्रवाई कर सकता है। प्राइवेट व्यक्ति कर रहा है तो लोग खुद पुलिस में एफआईआर दर्ज कराएं। हर जगह पर निगम कार्रवाई नहीं कर सकता। भास्कर: नगर निगम के कर्मचारी की जगह प्राइवेट लोग अवैध वसूली कर रहे हैं। पहचान कैसे हो कि असली कौन है? निगम कमिश्नर हरेंद्र नारायण: निगम के कर्मचारी सालाना तय किराया वसूलते हैं और उसकी रसीद देते हैं। कोई फर्जी व्यक्ति यदि वसूली कर रहा है तो उसकी पहचान दुकानदार को खुद करना चाहिए। पुलिस में वसूली की शिकायत दर्ज करानी चाहिए।