गांधी नगर में श्मशान घाट की सड़क पिछले 40 साल से तो कब्रिस्तान की सड़क करीब 20 साल से नहीं बनी है। ऐसे में बारिश के दौरान हर साल गड्ढे और कीचड़ की भरमार होती है। न तो गाड़ियां जा सकती हैं और न कोई पैदल निकल सकता है। बारिश से शहर की 50% सड़कें खराब हैं। दैनिक भास्कर ने अलग-अलग क्षेत्रों के 10 पार्षदों से संपर्क कर उनके क्षेत्रों की सड़कों के बारे में जानकारी ली। दस वार्डों में 134 किमी से ज्यादा सड़कें हैं, इनमें 67.5 किलो मीटर यानी 50.75% तक सड़कें खराब हैं। भाजपा पार्षदों ने वार्डों में खराब सड़कों की तादाद कम बताई। जबकि, कांग्रेस पार्षदों की ओर से खराब सड़कों की दूरी ज्यादा बताई गई है। भाजपा पार्षद कुसुम चतुर्वेदी को यह नहीं पता कि वार्ड में कुल कितने किलोमीटर सड़कें हैं। उनका दावा है कि वार्ड में कोई सड़क खराब नहीं है। वहीं प्रियंका अनिल मिश्रा को यह नहीं पता कि उनके वार्ड में सड़कें कितनी हैं, हालांकि उनका कहना है कि करीब 5 से 7 किलोमीटर सड़कें खराब हैं। हर तीन-चार महीने में उखड़ रही सड़क वार्ड 8 की पार्षद रेहाना सुल्तान की मानें तो मुंशी हुसैन खां तालाब वाली रोड करीब डेढ़ साल पहले बनाई गई है। यह सड़क हर 3-4 महीने में उखड़ जाती है। हर बार बनवाने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। झंडा चौक खानू गांव की सड़क 15 साल से नहीं बनी। इसकी लागत 20 लाख है, जबकि पार्षद का बजट 25 लाख है। अगर पूरा पैसा एक ही सड़क में लगा दिया तो बाकी काम ही नहीं हो पाएंगे। अभी यह हो रही परेशानी जर्जर और गड्ढों वाली सड़कों से सबसे ज्यादा परेशानी दोपहिया वाहन चालकों को हो रही है। गड्ढों में दचके लगने के साथ ही सड़क पर बिखरी गिट्टी से फिसलन का डर भी है। धूल के कारण लोगों को आंखों में इंफेक्शन हो रहा है। इन पार्षदों ने बताए हालात वार्ड 1-लक्ष्मण राजपूत, वार्ड 2- कुसुम चतुर्वेदी, वार्ड 3- करिश्मा विकास मीणा, वार्ड 7- प्रियंका अनिल मिश्रा, वार्ड 8- रेहाना सुल्तान, वार्ड 10- सरोज हरिओम आसेरी, वार्ड 13- मनोज राठौर, वार्ड 15- शैलेष साहू, वार्ड 16- मो.सरवर और वार्ड 17- शीतल रवि वर्मा।