निर्माण मरम्मत फर्नीचर खरीदी और कर्मचारी बीमे पर लगी मोहर:विक्रम विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद की बैठक में कई बिंदूओं पर चर्चा के बाद निर्णय

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विक्रम विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद् की बैठक में शासन के निर्णय अनुसार विभिन्न पाठ्यक्रम प्रारंभ करने की स्वीकृति के साथ ही विभिन्न विभागों में फर्नीचर खरीदी के लिए प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की गई। वहीं कर्मचारियों के पांच लाख रूपए के बीमा को लेकर भी निर्णय हुआ है। करीब तीन घंटे चली बैठक के दौरान विभिन्न विषयों पर चर्चा कर निर्णय लिए गए। विक्रम विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद की बैठक मंगलवार को दोपहर में कुलगुरू प्रो. अखिलेश कुमार पांडे की अध्यक्षता में प्रशासनिक भवन के कार्यपरिषद सभा कक्ष में हुई। बैठक में मुख्य विषय विश्वविद्यालय को पीएम उषा के अंतर्गत स्वीकृत राशि से उपकरण खरीदी के लिए स्टेट प्रोजेक्ट डायरेक्टर को अधिकृत किया गया है। इसके अलावा स्टोर विभाग के अंतर्गत विभिन्न विभागों के लिए फर्नीचर खरीदी करने की स्वीकृति, कन्या छात्रावास में छात्राओं की अधिक संख्या होने के कारण अतिरिक्त कक्षों का निर्माण कराने, अध्ययनशालाओं में फेंसिंग कार्य, आवासीय भवनों की छतों पर वाटर प्रुफिंग कार्य, एमबीए छात्रावास की मरम्मत कार्य, जूलोजी विभाग में क्लास रूम, टायलेट, ब्लाक कार्य कराने का निर्णय हुआ है। इसके अलावा विभिन्न परीक्षाओं में अनुचित साधनों का उपयोग करने वाले परीक्षार्थियोंं के प्रकरण पर विचार करने के लिए पांच सदस्यीय समिति का अनुमोदन किया गया। विभिन्न प्रायवेट कॉलेजों में परिनियम-28 के तहत निदेशक, प्राचार्य का अनुमोदन किया गया। बैठक में कार्यपरिषद् के सदस्य राजेश सिंह कुशवाह, वरुण गुप्ता, मंजूषा मिमरोट, संजय वर्मा, कुसुमलता निंगवाल, डॉ. मंसूर खान, डॉ. उमा शर्मा, डॉ. दीपक गुप्ता, डॉ. हर्षा क्षीरसागर, अतिरिक्त संचालक के प्रतिनिधि डॉ. विशाल टांकले, संयुक्त संचालक कोष एवं लेखा राघवेन्द्र पाल सिंह मौजूद थे। बैठक के अंत में कुलसचिव डॉ. अनिल कुमार शर्मा ने आभार माना। अतिथि शिक्षकों का मानदेय बढ़ाने का मामला टला कार्यपरिषद की बैठक प्रारंभ होने के पहले ही विश्वविद्यालय की विभिन्न अध्ययनशालाओं में कार्यरत अतिथि शिक्षकों ने सदस्यों से मिलकर अपना मानदेय 30 हजार से बढ़ाकर 50 हजार रूपए करने की मांग की थी। बैठक के दौरान इस विषय को आगे बढ़ा दिया है। हालांकि कुलगुरू प्रो अखिलेश कुमार पांडे ने कहा कि मामले में एक समिति गठित कर आंकलन किया जाएगा। इसके बाद ही इस विषय में निर्णय लिया जा सकेगा। बता दें कि विश्वविद्यालय की विभिन्न अध्ययनशालाओं में वर्तमान में करीब 80 से अधिक अतिथि शिक्षकों को करीब 30 से 35 हजार रूपए तक मानदेय दिया जाता है। बताया गया है कि मामले में वित्त विभाग का मत है कि यदि मानदेय बढ़ाया जाता है तो विश्वविद्यालय पर करीब एक से डेढ़ करोड़ रूपए का सालाना भार बढ़ जाएगा। मौजूदा स्थिति में विश्वविद्यालय के पास आय के साधन कम है। हालांकि अब इस मामले में गठित समिति पूरी स्थिति देखेगी।