नर्मदा भ्रमण पर निकले हरिद्वार कनखल सुरतगिरी आश्रम के संत स्वामी निगमानंद पूरी ने मां नर्मदा की गोद में अपनी देह त्यागी। संतश्री 7 अगस्त को नर्मदा भ्रमण करते हुए नंद गांव पहुंचे थे। जहां शहर के रोटरी क्लब के सचिव ललित जैन द्वारा उनका स्वागत किया गया था। यहां से आगे नर्मदा क्षेत्र में वे जांगरवा पहुंचे थे। दो दिन बाद उनका स्वास्थ्य खराब होने से उन्हें जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया गया था। उपचार के बाद उन्हें कुछ स्वास्थ्य ठीक लगा, जिसके बाद अवल्दा के ग्रामीण उन्हें दोबारा आश्रम में ले गए थे। 13 अगस्त को रात 2 बजे उनका देहावसान हो गया। आज यानी मंगलवार सुबह रोटरी क्लब सचिव ललित जैन को जब इसकी खबर लगी तो उन्होंने समाजसेवी अजित जैन से संपर्क किया। जिसके बाद अजित जैन द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सोहन लाल सोलंकी, मनीष हैंडलूम, राज्यसभा सांसद डॉ. सुमेरसिंह सोलंकी, हर्ष कुशवाह और शैलेंद्र कुमार के सहयोग से सुरतगिरी आश्रम के महामंडलेश्वर बिश्वेश्वरानंदजी से फोन पर संपर्क कर उन्हें जानकारी दी। समाजसेवी अजित जैन ने बताया कि महामंडलेश्वर बिश्वेश्वरानंदजी से संपर्क के बाद उनके आदेशानुसार डेरा महादेव में ठहरे हुए संत भोपाल के लीलाशंकरजी के निर्देशन में अवल्दा के ग्रामीण मुकेश, नानूराम, राजेश, मोहन पाटीदार आदि के सहयोग से डेरा महादेव नर्मदा तट के समीप मंगलवार को संतश्री का थल समाधि संस्कार किया गया। आश्रम में पत्रकार बाबा के नाम से थे प्रसिद्ध समाजसेवी अजित जैन ने बताया कि स्वामी निगमानंदजी अपने आश्रम में पत्रकार बाबा के नाम से प्रसिद्ध थे। उन्होंने 10 अगस्त 1986 को गृह त्याग दिया था। 1988 में गुरु विमुक्तानंदजी के माध्यम से उन्हें द्वादशीय नैष्ठिक ब्रह्मचर्य दीक्षा प्रदान की गई थी। 20 अप्रैल 2001 को महामंडलेश्वर विश्वेश्वरानंदगिरी द्वारा विद्ववत सन्यास दीक्षा संपन्न हुई थी। निगमानंद गिरी कला स्वाध्याय मंदिर अहमदाबाद (गुजरात) में सहायक ग्रंथपाल भी रहे थे।