ऊपरी बांधों से पानी छोड़ने से नर्मदा का बेकवाटर खतरे के निशान से 12 मीटर ऊपर पहुंच गया है। बेकवाटर से तटीय गांवों में आई डूब के बाद एक बार फिर प्रभावितों के हक, अधिकार और मुआवजे को लेकर नर्मदा बचाओ आंदोलन लामबंद होकर उनकी आवाज को बुलंद कर रहा है। मंगलवार को पांच घंटे नबआं नेत्री मेधा पाटकर के नेतृत्व में समीप राजघाट बेक वाटर किनारे सत्याग्रह किया। साथ ही नर्मदा के पानी खड़े होकर बिना पुनर्वास डूब नामंजूर का संकल्प लिया। इस दौरान राहुल यादव, धनराज अवास्या, सेवंती बाई, कमला यादव, कैलाश यादव आदि मौजूद थे। मेधा पाटकर ने कहा कि आज नर्मदा किनारे सरदार सरोवर के हजारों लोग जो विस्थापित हो चुके हैं, लेकिन उनका पुनर्वास बाकी है। पिछले साल 2023 की डूब में जो हजारों घर ध्वस्त हुए और सामग्री सहित मवेशी व इंसान डूब गए। आज तक ऐसे करीब 16 हजार परिवार, जिनको की डूब से बाहर बताया था। जो गलत साबित हुआ। उनका भी पुनर्वास पूरा नहीं हुआ है। बड़वानी के राजघाट में कुछ परिवार को गुजरात में खेती के लिए अनुपयोगी जमीन देकर फंसाया गया, आज वो टापू पर रह रहे है।