जुलाई 2022 में जब मुझे सेना में भर्ती का जॉइनिंग लेटर मिला तो पूरे परिवार ने जश्न मनाया था। इसके लिए परिवार ने 6 लाख रु. दिए थे। हमें नहीं पता था कि हम धोखाधड़ी का शिकार हो गए हैं। ये कहना है 23 साल के साहिल का। साहिल देवास जिले में सोनकच्छ के गंधर्वपुरी का रहने वाला है। उसके जैसे करीब 100 युवा हैं, जिन्हें आर्मी और रेलवे में भर्ती दिलाने के नाम पर शाजापुर के दरबार सिंह ने 6-6 लाख रु. लिए थे। दरबार सिंह और उसके गिरोह के सदस्यों ने इन्हें फर्जी जॉइनिंग लेटर दिया, फर्जी मेडिकल भी करवाया। ट्रेनिंग के लिए तीन से चार महीने तक देश के अलग-अलग शहरों में घुमाया। उसके बाद अगली तारीख देकर घर वापस भेज दिया। धोखाधड़ी का शिकार हुए युवकों ने शाजापुर पुलिस को इसकी शिकायत की। पुलिस ने जब तफ्तीश शुरू की तो पाया कि इस गिरोह का नेटवर्क दिल्ली, नॉर्थ ईस्ट, यूपी समेत कई राज्यों तक फैला है। गिरोह से आर्मी और रेलवे के अधिकारी भी जुड़े हैं। मास्टरमाइंड हिमाचल प्रदेश का रहने वाला रविंद्र सिंह है। उसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। 6 पॉइंट्स में जानिए, गिरोह कैसे करता था फर्जीवाड़ा… 1. शाजापुर का दरबार सिंह युवकों को नौकरी का भरोसा देता था साहिल ने बताया कि वह आर्मी में जाने की तैयारी कर रहा था। 2022 में उसे पता चला कि दरबार सिंह शाजापुर में शहीद पार्क के पास खालसा एकेडमी संचालित करता है। उसके यहां आर्मी, एयरफोर्स, नेवी में भर्ती की ट्रेनिंग कराई जाती है। उसे ये भी बताया गया कि दरबार सिंह का आर्मी में तगड़ा जुगाड़ है। वह पैसे देकर भर्ती भी करवा सकता है। साहिल और उसका दोस्त सचिन प्रजापति शाजापुर पहुंचे। वहां खालसा एकेडमी जाकर दरबार सिंह से मिले। दरबार बोला कि उसकी मिलिट्री इंजीनियर सर्विस में सेटिंग है। वह 45 दिन में नौकरी लगवा सकता है। 2. युवकों से पैसे भी दरबार सिंह वसूल करता था दरबार सिंह युवकों को भरोसा दिलाने के लिए उन लोगों के नाम लेता था, जो आर्मी में थे। इसके बाद भर्ती करवाने के एवज में 6-6 लाख रु. की डिमांड करता था। साहिल और सचिन भी दरबार के भरोसे में आ गए। दोनों ने इसके बारे में अपने परिजन को बताया। सामान्य परिवार से आने वाले साहिल और सचिन के परिजन ने बाजार से 5 प्रतिशत ब्याज पर कर्ज लेकर 6 लाख रु. की व्यवस्था की। दोनों ने दरबार को ये रकम 26 अप्रैल 2022 से लेकर 31 मई 2022 के बीच दी। इस लेन-देन का वीडियो भी बनाया था। 3. पैसा मिलने के बाद दरबार युवकों को फर्जी जॉइनिंग लेटर देता था सचिन ने बताया कि दरबार सिंह ने सभी 6 लोगों को जॉइनिंग लेटर दिए। इसके बाद वह सभी के दस्तावेज वैरिफिकेशन कराने की बात कहकर दिल्ली ले गया। मेडिकल कराने आर्मी हॉस्पिटल, पहाड़गंज ले गया। बाहर ही उसने सभी की मुलाकात संजय उर्फ सुखजीत सिंह से कराई। 4. संजय की जिम्मेदारी युवकों की मेडिकल जांच करवाने की थी दरबार ने बताया कि संजय ही उन लोगों का मेडिकल कराएगा। मेडिकल के बाद रविंद्र सिंह से मिलवाया। उसका परिचय आर्मी के बड़े अधिकारी के तौर पर कराया। ये भी बताया कि यही तुम लोगों को नौकरी पर लगवा रहे हैं। 5. ट्रेनिंग के नाम पर सिलीगुड़ी, गंगटोक, रांची, फिर मेरठ ले गए सचिन ने बताया कि दरबार इसके बाद सभी को पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी ले गया। वहां ट्रेनिंग के नाम पर होटल में कमरा किराये पर लेकर एक महीने रखा। वहां उनकी तरह कई लड़के पहले से थे। यहां सभी से दौड़-पीटी कराई जाती थी। सभी के बाल भी मिलिट्री की तरह काट दिए गए थे। बाद में सभी 6 लोगों को ये कहते हुए कि अभी ट्रेनिंग नहीं होगी, सिक्किम के गंगटोक ले जाया गया। गंगटोक में 6 दिन रुकने के बाद फिर सिलिगुड़ी लाया गया। यहां बताया गया कि अभी ट्रेनिंग सेंटर में जगह नहीं है। इसके बाद उन्हें झारखंड की राजधानी रांची ले जाया गया। 6. ट्रेनिंग के नाम पर सामान्य काम करवाते, जल्द जॉइनिंग का भरोसा देते साहिल ने पुलिस को शिकायत में बताया है कि एक महीने बाद सभी 6 लोगों को मेरठ बुलाया गया। वहां ट्रेनिंग के नाम पर मेरठ कैंट में आर्मी हॉस्पिटल के पास तीन महीने रुकवाया गया। ट्रेनिंग के नाम पर उनसे सामान्य काम करवाए गए। वे जब भी दरबार से इसके बारे में बात करते, तो वह दिलासा देता कि जल्द ही ट्रेनिंग होगी। तीन महीने तक वे उसके आश्वासन पर वहां रुके रहे। इसके बाद उन्हें संदेह होने लगा। तीन महीने बाद वे मेरठ से घर लौट आए। शाजापुर पहुंचकर दरबार सिंह से कहा कि उनका पैसा लौटा दो, उन्हें अब कोई नौकरी नहीं करनी है। दरबार ने पैसे वापस करने की बात कही थी, लेकिन दो साल निकल गए। 26 जुलाई को साहिल, सचिन सहित सभी 6 पीड़ित शाजापुर एसपी से मिले और मामले की शिकायत की। दरबार की गिरफ्तारी के बाद खुले गिरोह के राज शाजापुर कोतवाली पुलिस ने दरबार सिंह को 27 जुलाई को गिरफ्तार किया। इसके बाद पुलिस ने दरबार के भाई प्रधान सिंह को भी दबोच लिया। दोनों भाइयों ने रिमांड के दौरान पुलिस को बताया कि उन लोगों ने कांगड़ा हिमाचल प्रदेश निवासी रविंद्र सिंह और कपूरथला पंजाब निवासी संजय उर्फ सुखजीत सिंह सहित अन्य लोगों के साथ मिलकर ये फर्जीवाड़ा किया है। शाजापुर एसपी यशपाल सिंह राजपूत के निर्देश पर कोतवाली पुलिस हिमाचल प्रदेश और पंजाब के लिए रवाना हुई। सायबर सेल की मदद से पुलिस ने 7 अगस्त को कांगड़ा से रवींद्र सिंह और पंजाब के कपूरथला से सुखजीत सिंह को गिरफ्तार किया। पुलिस ने रवींद्र को जेल भेज दिया जबकि सुखजीत सिंह को 5 दिन की रिमांड पर लिया है। आर्मी ही नहीं, रेलवे में भर्ती के नाम पर भी कर चुके हैं ठगी पुलिस सूत्रों ने बताया कि ठगी की ये वारदात आर्मी तक ही सीमित नहीं है। इस गिरोह ने रेलवे में भी भर्ती के नाम पर ठगी की है। पिछले तीन साल से ये गिरोह पूरे देश में सक्रिय है। इनका नेटवर्क, एमपी, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, पश्चिम बंगाल, सिक्किम, यूपी, झारखंड सहित कई प्रदेशों में फैला है। इस गिरोह ने तीन साल में 100 से अधिक लोगों को ठगी का शिकार बनाया है। शाजापुर पुलिस का दावा है कि इस गिरोह का पूरा पर्दाफाश होने पर ये देश का सबसे बड़ा मामला बनेगा। इस गिरोह में आर्मी और रेलवे के कुछ अधिकारी भी शामिल हैं। दिल्ली के रेलवे अस्पताल की पैथोलॉजी में होती थी मेडिकल जांच इस गिरोह के पीड़ितों ने बताया कि दिल्ली में उनका एक पैथोलॉजी में ब्लड सैंपल लिया गया था। इसके बाद उन्हें बताया गया कि उनकी मेडिकल जांच हो गई। ये जांच दिल्ली के पहाड़गंज स्थित रेलवे अस्पताल की पैथोलॉजी में हुई थी। रवींद्र सिंह युवकों को लेकर सुखजीत के पास जाता था। वह पहले ही सुखजीत सिंह को फोन पर अलर्ट कर देता था कि मेडिकल जांच कराने आ रहा है। रवींद्र सिंह खुद को आर्मी का रिटायर अधिकारी बताता था। रवींद्र सिंह पूर्व में शाजापुर में रह चुका है। यहां वह आर्मी की तैयारी कर रहे युवकों काे ट्रेनिंग देता था। उसी दौरान दरबार सिंह से उसकी पहचान हुई थी। बाद में रवींद्र सिंह के साथ मिलकर दरबार आर्मी की तैयारी में जुटे युवकों को झांसे में फंसाने लगा। ठगी की रकम वह रवींद्र सिंह को ट्रांसफर करता था। इसके बाद रवींद्र इस रकम में कुछ हिस्सा सुखजीत उर्फ संजय सिंह को भेजता था। पुलिस को इन आरोपियों के बैंक खातों में रकम भी मिली है, जिसे फ्रीज करा दिया गया है।