जैन धर्म के 22 वें तीर्थंकर नेमीनाथ भगवान का जन्म एवं तप कल्याणक झिरनो मंदिर में आर्यिका गुरुमति माताजी एवं दृढ़ मति माताजी ससंघ के सानिध्य में भक्ति भाव से मनाया गया। इसके साथ ही शहर के सभी जिनालयों में विशेष पूजा, अभिषेक सहित धार्मिक कार्य संपन्न हुए। ट्रस्ट के अध्यक्ष मनोज जैन ने बताया कि कल रविवार को जैन धर्म के 23 वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ का मोक्ष कल्याणक आर्यिका संघ के सानिध्य में चौक मंदिर में भक्ति भाव से मनाया जाएगा। इस मौके पर सुबह मूलनायक अतिशयकारी नेमीनाथ भगवान के मस्तक पर 1008 चांदी के कलशों से मस्तकाभिषेक पुण्यर्जको द्वारा किए गए। महिला मंडल ने भगवान को पालने में झूलने की व्यवस्था कर सबको आकर्षित किया। अभिषेक के बाद शांतिधारा की गई। आर्यिका गुरुमति माताजी ने अपने प्रवचन में कहा कि प्रभु के जन्म कल्याणक से हमें जीवन जीने का तरीका सीखना चाहिए। भगवान का जन्म होने पर उनकी व्यवस्था करने स्वर्ग से इंद्र आते हैं, प्रभु ने इस जन्म से काफी पहले से अपने भावों को सुधार कर अपनी हर इंद्रि को संभाला, वह भी पूर्व में हमारे ही तरह थे लेकिन उन्होंने अपने भावों को सुधारा और इस भव में अपना अंतिम भव बनाया। अनन्त भव से जो मलिनता हमने मन में एकत्रित कर रखी हैं उसे प्रभु ने अपने जीवन में धोकर अपने मन को अपनी आत्म को पवित्र किया है। ट्रस्ट मंत्री मनोज आरएम ने बताया कि आज झिरनो मंदिर में नेमीनाथ भगवान के जन्म तप कल्याणक पर विशेष कार्यक्रम हुआ। शहर से भक्त जन पहुंचे चौक मंदिर में चातुर्मास कर रही आर्यिका भी ससंघ पहुंची। जहां माताजी के आशीष वचन के बाद संगीतमय नेमीनाथ विधान किया गया। जिसमें श्रद्धालुओं ने भक्ति भाव से नृत्य के साथ भाव व्यक्त किए उसके बाद सभी ने भोजन प्रसाद के रूप में ग्रहण। कार्यक्रम का निर्देशन अविनाश भैया द्वारा किया गया कार्यक्रम में हुकमचंद, दिलीप मिंगु, विपिन,अशोक सर्राफ, अरविंद जैन, ऋषभ, सुनील पब्लिशर्स, नितेश मामा सहित बड़ी संख्या में समाजजन मौजूद रहे।