शहर के सरकारी स्कूल में छात्राओं को निर्वस्त्र कर चेकिंग के मामले में इंदौर हाईकोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई। जस्टिस धर्माधिकारी और जस्टिस दुपल्ला की युगल पीठ ने नोटिस जारी कर शासन से जवाब-तलब किया है। कोर्ट ने छात्राओं से जुड़े मामले की गंभीरता को देखते हुए अभी तक की कार्यवाही के बारे में 7 दिन में जानकारी देने का निर्देश दिया है। दरअसल, इंदौर के शासकीय कन्या विद्यालय में छात्राओं के साथ हुई अभद्रता के खिलाफ चिन्मय मिश्र द्वारा एक जनहित याचिका मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय खंडपीठ इंदौर के समक्ष जनहित याचिका लगाई गई है। इसमें छात्राओं के साथ हुए अपमानजनक और अभद्र व्यवहार को आधार बनाया है। याचिका में कहा गया है कि 2 अगस्त को इंदौर के शासकीय कन्या विद्यालय में अध्यापिका द्वारा मोबाइल फोन ढूंढने के नाम पर कम से कम 6 छात्राओं के कपड़े उतरवा कर जांच की गई। इसकी एक लिखित शिकायत छात्राओं के पालकों द्वारा मल्हारगंज थाने में 2 अगस्त को ही की थी। लेकिन पुलिस प्रशासन द्वारा उस शिकायत पर पॉस्को कानून के अंतर्गत कार्यवाही नहीं की जा रही है। याचिकाकर्ता की ओर से मामले में पैरवी अधिवक्ता अभिनव धनोड़कर द्वारा की गई है। याचिका में अंतरिम सहायता के तौर पर मामले में चाइल्ड वेलफेयर कमेटी और सपोर्ट पर्सन की नियुक्ति कर, मामले की जांच पॉस्को कानून के अंतर्गत करने की मांग की गई है। मुख्य सहायता के रूप में माननीय न्यायालय से पॉस्को कानून की धारा 19 के अंतर्गत बच्चों के विरुद्ध होने वाले लैंगिक अपराधों की शिकायत दर्ज कर कार्यवाही की जाती है के पूर्ण पालन के लिए उचित दिशा निर्देश जारी करने का निवेदन किया है। धारा 39 के अंतर्गत सपोर्ट पर्सन नियुक्त करने और कार्य करने के लिए उचित दिशा निर्देश जारी करने का निवेदन किया है। इसी पर पहली सुनवाई में कोर्ट ने नोटिस जारी किए हैं।