सरकार के लाख दावों के बावजूद आदिवासी बाहुल्य इलाकों में मूलभूत सुविधाओं का अभाव बना हुआ है। बड़वानी जिले के ग्राम पंचायत सुस्तिखेड़ा के रहने वाले आदिवासी आजादी के 77 सालों के बाद भी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। आलम यह है कि फलिए से गांव तक पहुंचने के लिए सड़क नहीं होने के कारण ग्रामीण मरीजों को झोली बनाकर कंधों के सहारे गांव तक लाने को मजबूर हैं। उल्लेखनीय है कि गत 6 साल से बड़वानी प्रधानमंत्री के आकांक्षी जिलों में शामिल है। इसमें स्वास्थ्य सुविधाओं को प्राथमिकता में रखा गया है। इसके बावजूद जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति बहुत अच्छी नहीं कही जा सकती है। दुविधाओं से भरा सात किमी का दुर्गम रास्ता…
बड़वानी जनपद क्षेत्र की ग्राम पंचायत सुस्तिखेड़ा का अम्बाबारी फलियां में आज भी लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहे हैं। यहां आज भी मरीजों व प्रसूताओं को कपड़े की झोली में डाल कर अस्पताल ले जाने की तस्वीरें देखी जा सकती हैं। गांव के दिलीप पटेल ने बताया कि उनके गांव जाने के लिए सड़क मार्ग नहीं है, इसके कारण उन्हें करीब सात किमी पैदल ही सफर करना पड़ता है। ग्रामीणों का कहना है कि उनके फलिये में 70 से ज्यादा मकान है और 400 से ज्यादा की आबादी है। फसल बेचने जाना हो या शहर से खाद लेकर गांव जाना हो, दुर्गम रास्ते से पैदल गुजरने की विवशता बनी रहती है। वन क्षेत्र होने से जंगली जानवरों का भय भी रहता है। वहीं विपरीत मौसम व रात के समय दुविधा दोगुना हो जाती है। झोली में कंधों पर लाए जाते हैं मरीज…
जिले के आदिवासी बाहुल्य बड़वानी जिले के ग्रामीण क्षेत्र के अधिकतर ग्राम पंचायतों में भी यही समस्या है। आदिवासी फालियों में रहने वाले लोग मुख्य सड़कों से दूर हैं, जिससे उन्हें मरीजों और गर्भवती महिलाओं को खटिया या झोली में डालकर मुख्य सड़क तक लाना पड़ता है। बारिश के मौसम में कच्चे अप्रोच रोड पर कीचड़ होने से 108 एम्बुलेंस के वाहन वहां पहुंचने से मना कर देते हैं, जिससे ग्रामीणों को और अधिक मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। गांव को कब नसीब होगी पक्की सड़क?
ग्रामीण परसिया का कहना है कि कई बार हम आवेदन निवेदन और ज्ञापन दे चुके हैं। लेकिन हमारी आज तक किसी ने सुध नहीं ली। इतना ही नहीं उन्होंने बताया कि ग्राम सुस्तिखेड़ा से बड़वानी विधानसभा के दो विधायक भी बने थे। लेकिन उन्होंने में अपने गांव की सुध नही ली भाजपा से विधायक प्रेमसिंह पटेल थे, जो शिवराज सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे। वो इसी गांव से आते हैं। लेकिन उन्होंने गांव के लिए कुछ भी नहीं किया। इतना ही नहीं 2013 में कांग्रेस विधायक रमेश पटेल चुनाव जीते थे। वो भी सुस्तिखेड़ा के ही थे। उन्होंने भी क्षेत्र के लिए कुछ भी नहीं किया। हमारी तीन पीढ़ियां हो चुकी हैं, लेकिन आज तक सुस्तिखेड़ा से अम्बाबारी का रोड़ नहीं बना। इसको लेकर हम कई बार जनप्रतिनिधियों ओर प्रशासन से गुहार लगा चुके हैं। उन्होंने बताया कि समस्या दिन पर दिन बढ़ रही है। सरकार को ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे पर ध्यान देने की आवश्यकता है। ताकि लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं तक आसान पहुंच प्राप्त हो सके। आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में सड़कों और अन्य मूलभूत सुविधाओं का विकास होना भी जरूरी है।