श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की हरियाली अमावस्या 4 अगस्त रविवार के दिन पुष्य नक्षत्र, सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ कर्क राशि के चंद्रमा की उपस्थिति में आ रही है। इस दिन अपने पितरों के निमित्त तीर्थ पर जाकर जल दान, पिंडदान कर सकते है। देवालय या शिवालय में पौधों का रोपण करने और पौधों का दान कर उनके सिंचन का संकल्प लें। यह करने से पितृ तृप्त भी होंगे और सृष्टि के साथ-साथ देव कृपा भी होगी। यदि नवग्रह में कोई ग्रह कमजोर है तो एक पौधा रोप कर ग्रह की स्थिति मजबूत कर सकतें है। पं. अमर डिब्बेवाला ने बताया कि मान्यता है कि सर्वार्थ सिद्धि योग में धर्म, दान, तीर्थ, तीर्थाटन, अनुष्ठान, पितृ अनुष्ठान करने से पुण्य फल प्राप्त होता है। मत्स्य पुराण के अनुसार वनस्पति तंत्र एवं पितरों का संबंध अलग प्रकार का बताया गया है। पितरों को प्रसन्न करने के लिए पीपल, नीम, बरगद, शमी,अशोक, गूलर, आंवला आदि के पौधे रोपें जा सकते है। इनको रोपने से तथा इनका निरंतर सिंचन से पितरों की भी कृपा प्राप्त होती है व पारिवारिक दोष की निवृत्ति होती है। वहीं पितृ प्रसन्न होकर के धन-धान्य और सुख शांति का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। ग्रह दोष के लिए राशि अनुसार करें पौधारोपण जिन जातकों के जन्म कुंडली में नवग्रहों में से कोई भी ग्रह यदि कमजोर स्थिति में है तो उस ग्रह के प्रतिनिधित्व अनुक्रम से पौधे का रोपन किया जा सकता है। जैसे सूर्य ग्रह के लिए आंकड़ा, चंद्र के लिए खेर, मंगल के लिए लाल कनेर, रक्त चंदन, बुध के लिए अपामार्ग, गुरु के लिए पीपल, शुक्र के लिए गुलर, शनि के लिए शमी, राहु व केतु की अनुकूलता के लिए पवित्री का पौधा शामिल है। हालांकि पवित्री के बारे में ऐसा कहा जाता है यह स्वत उगती है (इनको एकत्रित किया जा सकता है।) हरियाली अमावस्या का कालखंड दो घंटे ज्यादा रहेगा पं. डिब्बेवाला ने बताया कि शास्त्रीय मान्यता के अनुसार हरियाली अमावस्या दर्श अमावस्या की श्रेणी में आती है। इस बार अमावस्या का कालखंड सूर्यास्त के 2 घंटे पश्चात तक रहेगा। शास्त्रीय मान्यता अनुसार अमावस्या तीन प्रकार की होती है पहली कूहु अमावस्या, दूसरी सीनि वाली अमावस्या और तीसरी दर्श अमावस्या है। तीन अमावस्या में से दर्श अमावस्या का प्रभाव अधिक है। इसीलिए हरियाली अमावस्या पर धार्मिक अनुष्ठान, पौधारोपण, पिंडों के निमित्त दान या तर्पण आदि धार्मिक क्रिया संपादित करनी चाहिए।