मध्यप्रदेश में कोविड-19 महामारी के दौरान अस्थाई रूप से कार्यरत आयुष, दंत चिकित्सक, स्टाफ नर्स, लैब टेक्नीशियन, और फार्मासिस्ट समेत 300 से अधिक चिकित्सा कर्मियों ने उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला को ज्ञापन सौंपा। इन सभी ने महामारी के दौरान करीब दो वर्षों तक कोविड केयर सेंटर, कोविड आईसीयू, कोविड सैंपलिंग और टीकाकरण जैसे स्थानों पर अपनी सेवाएं दी थीं। कोविड के बाद बजट की कमी का हवाला देकर इन अस्थाई कर्मियों को सेवा से हटा दिया गया था। अब ये सभी चिकित्सकीय दल प्रदेश सरकार से स्वास्थ्य विभाग में रिक्त पदों पर संविदा नियुक्ति की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब, और बिहार की तरह मध्यप्रदेश में भी उन्हें स्थायी नियुक्ति दी जाए। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के दौरान जब प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था मानव संसाधन की कमी से जूझ रही थी, तब राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत इन अस्थाई कर्मियों की नियुक्ति की गई थी। महामारी के समय इन योद्धाओं ने अपनी जान पर खेलकर लोगों की जान बचाई थी। अब उन्हें बेरोजगार कर दिया गया है। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश में स्वास्थ्य कर्मचारियों की भर्ती हो रही है, लेकिन कोविड योद्धाओं को नजरअंदाज किया जा रहा है। उन्होंने सरकार से जल्द से जल्द न्याय की गुहार लगाई है और रिक्त पदों पर संविदा नियुक्ति की मांग की है।